Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तराखंड

उत्तराखंड के ये शहर 2020 तक हो जाएंगे पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त

Published

on

Loading

देहरादून। सचिवालय सभागार में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के समक्ष प्रदेश के पांच शहरों देहरादून, ऋषिकेश, मसूरी, नैनीताल और हल्द्वानी को सन् 2020 तक प्लास्टिक मुक्त करने विषयक कार्य योजना का शहरी विकास विभाग द्वारा प्रस्तुतीकरण किया गया।

प्रस्तुतीकरण के दौरान अवगत कराया गया, कि विभाग द्वारा 50 माईक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक थैलों को पूर्णतः प्रतिबन्धित करने का शासनादेश के अनुपालन में सख्ती से कार्रवाई की जा रही है तथा सिंगल यूज प्लास्टिक के विषय मेंं व्यापार मण्डल, स्कूली छात्र, समाचार पत्रों आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार लगातार किया जा रहा है।

बताया गया, कि उत्तराखण्ड कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध अधिनियम 2016 दिनांक 30-11-2016 के अंतर्गत अब तक 1560 चालान कर रू0 7.57 लाख का अर्थ दण्ड दोषियों से वसूला गया है। बैठक में बताया गया, कि उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नियमावली व प्रतिबंधित प्लास्टिक के प्रकार की सूची बनाई जा रही है। प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया गया कि नगर निकाय क्षेत्र के अंतर्गत किसी भी प्रकार के प्लास्टिक व थर्माकोल से बनी थैलियां, पत्तल, ग्लास, कप, पैकिंग सामग्री इत्यादि का इस्तेमाल तत्काल प्रभाव से पूर्णतः प्रतिबंधित है।

प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया गया, कि प्रथम चरण में प्रदेश के पांच शहरों देहरादून, ऋषिकेश, मसूरी, नैनीताल एवं हल्द्वानी में निर्धारित प्राविधान के तहत 4947 लोगों से चालान द्वारा अक्टूबर 2019 तक रू 58.13 लाख की वसूली की गई तथा 11 सितम्बर से 27 अक्टूबर, 2019 तक प्रदेश में चलाए गए ‘‘स्वच्छता ही सेवा‘‘ अभियान के अंतर्गत 35.76 मी0टन प्लास्टिक संग्रहण किया गया तथा 13.88 मी0टन प्लास्टिक रिसाईकिल किया गया।

प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी में प्लास्टिक काम्पेक्टर के लिए धनराशि जारी कर दी गई है तथा मसूरी में प्लास्टिक काम्पेक्टर उपलब्ध है एवं नैनीताल से संग्रहित प्लास्टिक का रिसाईक्लिंग कार्य हल्द्वानी में किया जाएगा। प्रस्तुतीकरण में यह भी बताया गया कि प्लास्टिक से ईंधन बनाने की योजना हरिद्वार में प्रस्तावित है, जिसके लिए शीघ्र ही आरएफपी प्रकाशित की जा रही है।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

Published

on

Loading

उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

Continue Reading

Trending