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प्रादेशिक

साढ़े चार साल में 43,75,574 कृषकों को 36,405 करोड़ रुपए गेहूं मूल्य का भुगतान किया गयाः सीएम योगी

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में देश ने सर्वांगीण विकास के नये प्रतिमान स्थापित किये हैं। कृषि एवं कृषि कल्याण के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है। देश में पहली बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किये गये। न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य प्रदान करने के साथ ही, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत किसानों को आर्थिक सहायता सुलभ करायी गयी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना सहित विभिन्न योजनाएं प्रभावी ढंग से क्रियान्वित की गयीं।

मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के सम्बन्ध में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। वर्चुअल माध्यम से 03 चरणों में इस सम्मेलन का आयोजन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है। सम्मेलन को केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने भी सम्बोधित किया।

मुख्यमंत्री जी ने सम्मेलन के आयोजन के लिए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री तथा केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के प्रति आभार जताते हुए कहा कि इस आयोजन से राज्यों को कृषि एवं किसान कल्याण के सम्बन्ध में रणनीति बनाने में सहायता मिलेगी। इस प्रकार निर्मित रणनीति का सफल क्रियान्वयन करके प्रधानमंत्री जी के किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। विषम परिस्थितियों में भी कृषि और किसानों का कल्याण प्रदेश सरकार का मुख्य लक्ष्य है। कोविड-19 की वैश्विक महामारी देश के लिए चुनौतीपूर्ण रही है। स्वस्थ जीवन, व्यक्ति की सबसे बड़ी आवश्यकता है। समुचित पोषण एवं सुरक्षित भोजन वर्तमान परिवेश की सबसे बड़ी चुनौती है। कोविड कालखण्ड में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किसानों द्वारा अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जी, फल, दूध आदि की प्रचुर उपलब्धता आमजन को सुनिश्चित करायी गई है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत लगभग साढ़े चार वर्षाें में प्रदेश ने खाद्यान्न उत्पादन में नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में प्रति वर्ष धान का औसत उत्पादन 139.40 लाख मीट्रिक टन था। वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह औसत बढ़कर 163.45 लाख मीट्रिक टन हो गया। वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में धान की खरीद 123.61 लाख मीट्रिक टन रही। वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह बढ़कर 214.56 लाख मीट्रिक टन हो गई। वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में 14,87,519 कृषकों को 17,119 करोड़ रुपए धान मूल्य का भुगतान हुआ। वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में 31,88,529 कृषकों को अब तक 37,885 करोड़ रुपए धान मूल्य का भुगतान किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में गेहूं उत्पादन 288.14 लाख मीट्रिक टन था। वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में यह बढ़कर 369.47 लाख मीट्रिक टन हो गया है। वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में 94.38 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी। वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में ही 209.67 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के मध्य 19,02,098 कृषकों को 12,808 करोड़ रुपए गेहूं मूल्य का भुगतान किया गया। वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में ही 43,75,574 कृषकों को 36,405 करोड़ रुपए गेहूं मूल्य का भुगतान किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि खरीफ फसलों की बुआई के समय डी0ए0पी0 उर्वरक की कीमतें अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ने के कारण प्रति बोरी मूल्य 2400 रुपए हो गया था। प्रधानमंत्री जी द्वारा 500 रुपए अनुदान प्रति बोरी से बढ़ाकर 1200 रुपए प्रति बोरी कर दिया गया। इससे किसानों को पूर्व की भांति 1200 रुपए प्रति बोरी की दर पर पर्याप्त मात्रा में डी0ए0पी0 उपलब्ध हुई। खरीफ 2020-21 में 57 लाख मीट्रिक टन उर्वरक वितरण लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 52.95 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की उपलब्धता कराते हुए 36.76 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण कराया गया है। दानेदार यूरिया के स्थान पर इफ्को द्वारा विकसित नैनो तरल यूरिया का कृषकों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गन्ना किसानों को वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक की अवधि में 95,215 करोड़ रुपए गन्ना मूल्य का भुगतान हुआ। वर्तमान सरकार द्वारा 45.74 लाख गन्ना कृषकों को अब तक 1,42,366 करोड़ रुपए से अधिक का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य का भुगतान कराया जा चुका है। वर्ष 2020-21 में कुल 21.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में कुल 1783.40 लाख मीट्रिक टन गन्ने का उत्पादन हुआ है, जो 818.07 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माह जुलाई, 2021 तक प्रदेश में कुल 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड का वितरण किया गया। वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के मध्य 239515.07 करोड़ रुपए का ऋण वितरण हुआ था, जबकि वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह बढ़कर 471723.82 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। इस प्रकार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में फसली ऋण वितरण में पूर्व की सरकार के सापेक्ष 96.95 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्तमान सरकार द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत 36 जनपदों में 585 क्लस्टर के 11,700 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। प्राकृतिक खेती के क्रियान्वयन हेतु 35 जनपदों के 38,670 हे0 क्षेत्रफल की 03 वर्ष के लिए 197 करोड़ रुपए की कार्य योजना भारत सरकार को प्रेषित की गई है। नमामि गंगे परियोजना के अन्तर्गत 3,309 क्लस्टर (66,180 हे0) स्थापित कर 1,03,442 कृषकों को लाभान्वित किया गया है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा भारत सरकार द्वारा कृषि अवसंरचना निधि की स्थापना की गयी है, जिससे कृषक अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें। इस उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु भारत सरकार द्वारा फार्मगेट एवं समेकन केन्द्र (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादन संगठन, कृषि उद्यमी, स्टार्टअप, मण्डी समिति, एफ0पी0ओ0) के वित्त पोषण के लिए एक लाख करोड़ रुपए की वित्तीय सुविधा कृषि अवसंरचना निधि द्वारा प्रदान की गयी है। उन्होंने सुझाव दिया कि कृषि अवसंरचना निधि का पोर्टल अंग्रेजी भाषा में होने के कारण कृषकों को योजना समझने एवं आवेदन करने में कठिनाई हो रही है। अतः पोर्टल को हिन्दी भाषा में भी संचालित कराया जाए।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि योजना के अन्तर्गत प्रदेश के शेड्यूल कॉमर्शियल बैंकों को कुल 197 परियोजनाओं के आवेदन प्राप्त हुए, जिनकी लागत 218 करोड़ रुपये है। इन आवेदनों में से लगभग 20 करोड़ रुपए की 20 परियोजनाओं की स्वीकृति के बाद प्रथम किस्त वितरित की गई है। वर्तमान में सेण्ट्रल पी0एम0यू0 तथा विभिन्न शेड्यूल कॉमर्शियल बैंक के स्तर पर 74 आवेदन प्रक्रियाधीन हैं। इनकी परियोजना लागत 126 करोड़ रुपए है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि अवस्थापना निधि के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के पैक्स को नाबार्ड की मल्टी सर्विस सेण्टर योजना के तहत लगभग 1,100 पैक्स के आवेदन पोर्टल पर प्राप्त हुए हैं। इनमें से नाबार्ड द्वारा 549 पैक्स के लगभग 120 करोड़ रुपए की डी0पी0आर0 स्वीकृत की गई है। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश द्वितीय स्थान पर है। लगभग 45 करोड़ रुपए की लागत के 250 पैक्स के प्रस्ताव स्वीकृत हैं। 170 पैक्स को, प्रति पैक्स 4.25 लाख रुपए की दर से, प्रथम किस्त के रूप में कुल 10 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी कृषक 250.09 लाख हैं। 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।योजना के प्रारम्भ से वित्तीय वर्ष 2021-22 के माह अगस्त, 2021 तक 250.09 लाख कृषकों के बैंक खातों में कुल 32571.29 करोड़ रुपए की धनराशि डी0बी0टी0 के माध्यम से हस्तान्तरित की गई है। कुल 07 जनपदों में 100 प्रतिशत तथा 14 जनपदों में 90 प्रतिशत या उससे अधिक किसान क्रेडिट कार्डधारक कृषक हैं। 17 जनपदों में 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक तथा केवल 01 जनपद में 25 प्रतिशत से कम किसान क्रेडिट कार्डधारक कृषक हैं। इन जनपदों में अभियान चलाकर किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाने की कार्यवाही प्रगति पर है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माह जनवरी, 2020 तक कुल 111.13 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बने थे, जबकि जुलाई, 2021 तक कुल 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बन गए थे। इस प्रकार जनवरी, 2020 से जुलाई, 2021 तक की अल्प अवधि में ही कुल 54.42 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बनाए गए हैं। कुछ जनपदों में किसान क्रेडिट कार्ड कम बनने का मुख्य कारण, कृषकों का अप्रवासी होना तथा छोटी जोत के कृषकों द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड बनवाए जाने में रुचि न लेना है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि पीएम किसान के लाभार्थियों का डाटाबेस तथा किसान क्रेडिट कार्ड का डाटाबेस भारत सरकार के पास है, यदि दोनों डाटा की मैचिंग राज्य सरकार को उपलब्ध करा दी जाए, तो किसान क्रेडिट कार्ड बनाने में गति आएगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा देश के किसानों का एक डाटाबेस तैयार किए जाने की योजना है, जिसमें किसानों के कल्याण के लिए संचालित सभी योजनाओं को लिंक किया जाएगा, किसानों को समय-समय पर एडवाइजरी उपलब्ध करायी जाएगी तथा उनके उत्पादों के उचित विपणन की व्यवस्था की जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के 03 जनपदों-मथुरा, मैनपुरी तथा हाथरस को सम्मिलित किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि तिलहनी फसलों के उत्पादन में वृद्धि हेतु भारत सरकार द्वारा पुरोनिधानित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (ऑयल सीड्स) योजना प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में संचालित है। कृषकों की आय में वृद्धि करने हेतु योजना के अन्तर्गत तिलहनी फसलों के मिनीकिट भारत सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदान किए जाते हैं। वर्तमान वर्ष में खरीफ में 13,960 तिल एवं मूंगफली के बीज मिनीकिट कृषकों को निःशुल्क वितरित कराए जा चुके हैं। राई/सरसों एवं अलसी के 4,77,500 बीज मिनीकिट का वितरण कराया जाना प्रस्तावित है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गत वर्ष कुल तिलहनी फसलों (खरीफ व रबी) से 11.93 लाख हे0 भूमि आच्छादित की गई तथा कुल 12.71 लाख मीट्रिक टन तिलहनी फसलों का उत्पादन हुआ। वर्ष 2021-22 हेतु कुल तिलहनी फसलों से 13.68 लाख हे0 क्षेत्रफल को आच्छादित करने का लक्ष्य है तथा कुल 15 लाख मीट्रिक टन तिलहनी फसलों का उत्पादन सम्भावित है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोविड से प्रभावित होने के बावजूद वर्ष 2020-21 के दौरान प्रदेश से कृषि निर्यात 17,58,479.29 मीट्रिक टन रहा, जिसका मूल्य 2,389,89 मिलियन यू0एस0 डॉलर था। गत वर्ष 2019-20 में उत्तर प्रदेश से 15,15,784.59 मीट्रिक टन कृषि निर्यात, जिसका 2,227.87 मिलियन यू0एस0 डॉलर था। रुपए के सन्दर्भ में यह कीमत बढ़कर 17,699.12 करोड़ रुपए हो गई, जबकि गत वर्ष 2019-20 में 15,902.78 करोड़ रुपए थी। वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक वृद्धि नॉन-बासमती चावल के निर्यात में रही। मात्रा के सन्दर्भ में यह वृद्धि 50.34 प्रतिशत बढ़कर 3,60,897.38 मीट्रिक टन हो गयी है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में यह निर्यात 24,0043.93 मीट्रिक टन था। रुपए के सन्दर्भ में यह बढ़कर 913.16 करोड़ रुपए हो गई है। वर्ष 2019-20 में 689.70 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार की कृषि निर्यात नीति के सामंजस्य में प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2019 में अपनी राज्य कृषि निर्यात नीति अधिसूचित की गई है। इसका उद्देश्य राज्य से वर्ष 2019 के निर्यात से वर्ष 2024 तक कृषि निर्यात को दोगुना करना है। राज्य स्तर की निर्यात निगरानी समिति, मण्डल स्तरीय कृषि निर्यात निगरानी समिति और जिला स्तर पर क्लस्टर फैसिलिटेटिंग सेल बनाकर राज्य, मण्डल और जिला स्तर पर कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत तंत्र विकसित किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत 06 माह में कानपुर से गंगा जी के किनारे उत्पादित जामुन का मई-जून, 2021 में लगभग 5,000 किलोग्राम का प्रथम बार यूनाईटेड किंगडम को निर्यात किया गया है। जामुन निर्यात से किसानों को 35 रुपए से 40 रुपए प्रति किलोग्राम के स्थान पर लगभग 70 रुपए प्रति किलोग्राम प्राप्त हुआ है। प्रदेश में कृषि निर्यात हेतु दो पैक हाउस लखनऊ एवं सहारनपुर में स्थापित हैं। लखनऊ पैक हाउस का इण्टीग्रेटेड पैक हाउस के रूप में आधुनिकीकरण किया जा रहा है तथा अमरोहा एवं वाराणसी में नये पैक हाउस निर्मित किये जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन की वृद्धि

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लखनऊ |  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले साढ़े सात वर्ष से चल रहा ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ जनअभियान’ रंग ले आया। 2024 में 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण करने वाले उत्तर प्रदेश में आईएसएफआर 2023 के अनुसार 559 वर्ग किमी. वन व वृक्ष आच्छादन से अधिक की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश से आगे केवल छत्तीसगढ़ है, जबकि अन्य सभी राज्य उत्तर प्रदेश से पीछे हैं। इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के नेतृत्व में आए इस सकारात्मक पहल की बधाई दी। वहीं केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी इस उपलब्धि पर उत्तर प्रदेश को शुभकामना दी।

देहरादून में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई

🌳भारत का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है। इसमें 7,15,343 वर्ग किमी (21.76%) वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी (3.41%) वृक्ष आवरण है।

🌳2021 के आकार-फ़ाइल आधारित मूल्यांकन की तुलना में वन एवं वृक्ष आवरण में 1,445 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किमी और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किमी की वृद्धि शामिल है।

🌳वन एवं वृक्ष आवरण में अधिकतम वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष चार राज्यों में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी) के साथ शीर्ष पर है। ओडिशा का क्षेत्रफल (558.57 वर्ग किमी), राजस्थान (394 वर्ग किमी) व झारखंड (286.96 वर्ग किमी.) है।

इनसेट
इन राज्यों में हुई वृद्धि
राज्य एरिया
छत्तीसगढ़ 683.62 वर्ग किमी.
उत्तर प्रदेश 559.19 वर्ग किमी.
ओडिशा 558.57 वर्ग किमी.
राजस्थान 394.46 वर्ग किमी.
झारखंड 286.96 वर्ग किमी.

‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है नया उत्तर प्रदेश:सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि नया उत्तर प्रदेश ‘हरित उत्तर प्रदेश’ बनने की दिशा में तीव्रता से गतिमान है। आईएसएफआर 2023 के अनुसार उत्तर प्रदेश में हुई 559 वर्ग कि.मी. की वन और वृक्ष आच्छादन की ऐतिहासिक वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान ‘एक पेड़ मां के नाम’ और भारतीय दर्शन ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ भाव से उत्तर प्रदेश वासियों के जुड़ाव का प्रतिफल है।

मानवता के कल्याण को समर्पित इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए पौधरोपण अभियान से जुड़े सभी लोगों, प्रकृति प्रेमियों एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई!

यूपी में लगाए गए 36.80 करोड़ से अधिक पौधे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक दिन (20 जुलाई) को 36.51 करोड़ पौधरोपण कर इतिहास रचने वाले उत्तर प्रदेश ने 30 सितंबर तक 36.80 करोड़ से अधिक पौधरोपण किए। साढ़े सात वर्ष में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 210 करोड़ पौधरोपण किये गए।

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2023 में प्रकाशित रिपोर्ट के परीक्षण करने पर उत्तर प्रदेश में वनावरण की स्थिति…

वनावरण

1. अति सघन वन 2,688.73 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 4,001.41 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8.355.66 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 15045.80 वर्ग कि०मी० (6.24%)
वृक्षावरण 8950.92 वर्ग कि0मी (3.72%)
कुल वनावरण व वृक्षावरण 23996.72 वर्ग कि0मी0 (9.96%)

भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून द्वारा वर्ष 2021 (यथा संशोधित) में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश से सम्बन्धित आंकड़े…
वनावरण

1. अति सघन वन 2655.29 वर्ग कि०मी०
2. मध्यम सघन वन 3995.53 वर्ग कि०मी०
3. खुला वन 8276.55 वर्ग कि०मी०
4. कुल योग 14927.37 वर्ग कि०मी० (6.20%)
5-वृक्षावरण 8510.16 वर्ग कि0मी0 (3.53%)
6-कुल वनावरण व वृक्षावरण 23437.53 वर्ग कि0मी0.( 9.73%)

सर्वाधिक वृद्धि वाले उत्तर प्रदेश के पांच जनपद

1- झांसी – 8597 एकड़
2- अमरोहा – 7769 एकड़
3- इटावा – 7127 एकड़
4- कानपुर नगर – 6249 एकड़
5- बिजनौर – 3343 एकड

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