Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

यूपी का आदर्श गांव भरतौल, जहां सभी घरों में आता है आरओ का पानी

Published

on

Loading

लखनऊ। उप्र के बरेली जनपद का भरतौल गांव कई मायनो में आदर्श गांव की श्रेणी में है, गांव में जहां एक ओर घर-घर आरओ का पानी पहुंच रहा है वहीं दूसरी ओर कूड़ा निस्तारण से लेकर इंग्लिश मीडियम सरकारी स्कूल ने पूरे प्रदेश में गांव की एक अलग पहचान बनाई है।

भरतौल गांव प्रदेश का पहला ऐसा गांव बन गया है जहां घर-घर आरओ का पानी पहुंच रहा है। गांव में घरों के आसपास ग्राम निधि से 20 आरओ सिस्टम लगाए गए है। सभी पानी के टैंक से जोड़े गए हैं। ग्रामीण इन्हीं आरओ सिस्टम से होकर आने वाले पानी का घरों में इस्तेमाल कर रहे हैं।

क्या है आरओ

रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) जल उपचार प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के दौरान, दूषित पदार्थों को फिल्टर किया जाता है और स्वच्छ पीने के पानी को छोड़कर अन्य दूषित पदार्थ को हटा दिया जाता है।

जाट रेजीमेंट से सटे भरतौल गांव की आबादी करीब सात हजार है। यहां प्रदेश का सबसे सुंदर पंचायत सचिवालय बना है। गांव को पंचायती राज व्यवस्था को बेहतर ढंग से लागू करने के मामले में पिछले वित्तीय वर्ष में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण और मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार मिले हैं।

इनमें 12-12 लाख की पुरस्कार राशि ग्राम पंचायत के विकास के लिए दी गई थी। ग्राम प्रधान प्रवेश कुमारी ने ग्राम निधि से आरओ के पीने के पानी का इंतजाम किया है। प्रति आरओ 75 हजार की लागत आई है। घरों के आसपास सार्वजनिक स्थानों पर इन्हें लगाया गया है। सिस्टम के लिए बिजली आपूर्ति का इंतजाम भी किया गया है।

इंग्लिश मीडियम सरकारी स्कूल  

इंग्लिश मीडियम प्राथमिक स्कूल की वजह से प्रदेश में भरतौल गांव की अलग पहचान है। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गांव के बच्चे अंग्रेजी में बातचीत करते हैं। बरेली मंडल के सबसे अच्छे कम्युनिटी टॉयलेट भी भरतौल में ही बने हैं।

सीसीटीवी की निगरानी में है पूरा गांव

गांव की सुरक्षा के लिए ग्राम पंचायत ने पंचायत सचिवालय से लेकर चौराहों तक पर सीसीटीवी लगवाए हैं। पंचायत सचिवालय से सीसीटीवी का कंट्रोल रूम बनाया गया है।

40 फीसदी आबादी फौजियों की

भरतौल गांव जाट रेजीमेंट के करीब है। गांव में 850 मकान हैं। इनमें से 350 मकान फौजियों के हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात काफी फौजियों के परिवार भरतौल गांव में रहते हैं।

कूड़ा कलेक्शन सेंटर में कांच-प्लास्टिक सब अलग

गांव में कूड़ा के एकत्र करने के लिए शेड बनाया गया है। डोर-डोर टू कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था है। ग्राम पंचायत के पास ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ-साथ ठेले भी रहते हैं। जो कूड़े को लेकर शेड में पहुंचते हैं। प्लास्टिक और कांच के साथ सूखा-गीला कूड़ा भी अलग किया जाता है।

ग्राम प्रधान प्रवेश कुमारी का कहना है ग्रामीणों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है। पीने के पानी को लेकर दिक्कतें थीं। गांव में आरओ सिस्टम लगाए हैं। जरूरत के मुताबिक कुछ और आरओ सिस्टम लगाएंगे। साफ-सफाई को लेकर ग्रामीण जागरूक हैं। भरतौल निर्मल ग्राम पंचायत है।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

अपने इष्ट गणपति और नागा संन्यासियों को लेकर महाकुम्भ क्षेत्र पहुंचा श्री शंभू पंच दशनाम अटल अखाड़ा

Published

on

Loading

महाकुंभ नगर। प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित होने जा रहे महाकुम्भ में जन आस्था के केंद्र सनातन धर्म के 13 अखाड़ो का अखाड़ा सेक्टर में प्रवेश जारी है। इसी क्रम में बुधवार को श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े ने छावनी प्रवेश किया। छावनी प्रवेश को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

इष्ट देव भगवान गजानन को लेकर कुंभ क्षेत्र में हुआ प्रवेश

आदि गुरु शंकराचार्य के प्रयास से छठी शताब्दी में संगठित रूप में अस्तित्व में आये अखाड़ो की स्थापना शस्त्र और शास्त्र दोनों को आगे बढाने के लिए की गई। शास्त्र ने अगर शंकर के धार्मिक चिंतन को जन जन तक पहुचाया तो वही शस्त्र ने दूसरे धर्मो से हो रहे हमलो से इसकी रक्षा की। इन्ही अखाड़ो में शैव सन्यासी के अखाड़े श्री शंभू पञ्च दशनाम अटल अखाड़ा ने कुम्भ क्षेत्र में प्रवेश के लिए अपनी भव्य छावनी प्रवेश यात्रा निकाली। अलोपी बाग स्थिति अखाड़े के स्थानीय मुख्यालय से यह प्रवेश यात्रा निकाली गई। प्रवेश यात्रा में परम्परा, उत्साह और अनुशासन का खूबसूरत मेल देखने को मिला। आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती की अगुवाई में यह प्रवेश यात्रा निकली। सबसे आगे अखाड़े के ईष्ट देवता भगवान गजानन की सवारी और उसके पीछे अखाड़े के परंपरागत देवता रहे।

नागा संन्यासियों की फौज बनी आकर्षण और आस्था का केंद्र

स्थानीय मुख्यालय से शुरू हुए अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश में नागा संन्यासियों की फौज को देखने के लिए शहर में स्थानीय लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इष्ट देवता गणपति के पीछे चल रहे अखाड़े के पूज्य देवता भालो के बाद कतार में नागा सन्यासी चल रहे थे। यह पहला अखाड़ा था जिसमें नागा संन्यासिनियों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की। छावनी प्रवेश में एक बाल नागा भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती का कहना है कि छावनी में दो दर्जन से अधिक महा मंडलेश्वर और दो सौ से अधिक नागा संन्यासी शामिल थे। रथों में सवार अखाड़े के संतों का आशीर्वाद लेने के लिए लोग सड़कों के दोनो तरफ दिखे।

“सूर्य प्रकाश” भाला रहा आकर्षण का केंद्र

अटल अखाड़े के जुलुस में एक बात अलग से देखी गई और वह है अखाड़े की प्रवेश यात्रा में सबसे आगे फूलों से सजे धजे वह भाले जिन्हें अखाड़ो के इष्ट से कम सम्मान नहीं मिलता। अखाड़े की पेशवाई में अखाड़े के जुलूस में भी आगे था “सूर्य प्रकाश” नाम का वह भाला जो केवल प्रयागराज के महाकुम्भ में ही अखाड़े के आश्रम से महाकुम्भ क्षेत्र में निकलता है।

जगह जगह अखाड़े के संतों का प्रशासन ने किया स्वागत

पांच किमी का रास्ता तय कर अखाड़े की प्रवेश यात्रा महाकुंभ के सेक्टर 20 पहुंची। रास्ते में कई जगह महा कुम्भ प्रशासन की तरफ से संतों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।

Continue Reading

Trending