उत्तराखंड
उत्तराखंड सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया राजपुर नेचर फेस्टिवल 2019 का शुभारंभ
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को राजपुर रोड, देहरादून में उत्तराखण्ड वन विभाग की ओर से आयोजित राजपुर नेचर फेस्टिवल 2019 का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने रिस्पना नदी से संबंधित तितलियों और पक्षियों के ब्रोसर का विमोचन किया व पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वालों को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए यह एक अच्छा आयोजन है। जब हम प्रकृति एवं पर्यावरण को बचा कर रखेंगे, तभी सुरक्षित भविष्य की कल्पना की जा सकती है। लोगों में पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि इस फेस्टिवल में जो विभिन्न प्रकार के स्टॉल लगाये गए हैं, इससे जहां स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, वहीं लोगों को एक-दूसरे से अनुभव साझा करने का मौका मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 05 नवम्बर को देहरादून को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए जागरूकता हेतु मानव श्रृंखला बनाई जाएगी। यह मानव श्रृंखला 50 कि.मी की होगी, जिसमें एक लाख से अधिक लोग प्रतिभाग करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए देशवासियों से जो आह्वान किया है, इसमें हम सभी को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। जिस प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए उत्तराखण्ड जाना जाता है, उसे बनाए रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने होंगे।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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