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उत्तराखंड

बाहर की निर्माण एजेंसियों पर भी लागू होंगे राज्य के कानून

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उत्‍तराखंड, बाहर की निर्माण एजेंसियों पर भी लागू होंगे राज्य के कानून, सभी विभागों को निर्देश जारी, बाहरी एजेंसियों के पास राज्य से अधिक काम

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उत्‍तराखंड, बाहर की निर्माण एजेंसियों पर भी लागू होंगे राज्य के कानून, सभी विभागों को निर्देश जारी, बाहरी एजेंसियों के पास राज्य से अधिक काम

देहरादून। प्रदेश में निर्माण कार्य कर रही बाहरी एजेंसियों पर अब राज्य के कायदे कानून लागू होंगे। यूपी राजकीय निर्माण निगम समेत आधा दर्जन बाहरी एजेंसियों को अब वर्क-ऑर्डर के माध्यम से बंदरबाट करने के बजाय टेंडरिंग प्रक्रिया से ही निर्माण का काम कराना होगा। इसके अलावा हर प्रोजेक्ट की फाइल को टीएसी (टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी) से मंजूरी लेना भी जरूरी हो जाएगा। जो काम सोलह साल में निर्वाचित सरकारें नहीं कर सकी, वो काम दस दिन के राष्ट्रपति शासन में हो गया।

सभी विभागों को निर्देश जारी

राज्य गठन से अब तक कई बार बाहर की निर्माण एजेंसियों को प्रतिबंधित कर राज्य की एजेंसियों को काम देने की खूब वकालत हुई, लेकिन यह मुहिम अंजाम तक नहीं पहुंची। मुख्य सचिव के आदेश के बाद नियोजन विभाग के सचिव एमसी जोशी ने सात अप्रैल को सभी विभागों के सचिवों व प्रमुख सचिवों को निर्देशित किया है कि राज्य में कार्यरत बाहरी निर्माण एजेंसियां राज्य के कायदे-कानून (उत्तराखंड प्रक्योरमेंट रूल) का अनुपालन करेंगी। एक मोटे अनुमान के तौर पर प्रतिवर्ष तीन हजार करोड़ से ज्यादा की धनराशि अवस्थापना विकास कार्यों में खर्च होती है।

बाहरी एजेंसियों के पास राज्य से अधिक काम

इसमें से पंद्रह सौ करोड़ रुपये पीडब्लूडी के माध्यम से खर्च होते है और 500 करोड़ रुपये राज्य की पेयजल निगम व अन्य एजेंसियां खर्च करती है। तकरीबन हजार करोड़ का काम बाहर की एजेंसियों के पास है और इस हजार करोड़ में 80 प्रतिशत काम अकेले यूपी राजकीय निर्माण निगम के जिम्मे है। इसके बाद वेबकोश, यूपी समाज कल्याण निर्माण निगम, यूपी सहकारी संघ निर्माण निगम समेत करीब आधा दर्जन बाहर की एजेंसियों का नंबर आता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि जितना काम यूपी राजकीय निर्माण निगम के पास है, इसके बराबर भी राज्य की निर्माण एजेंसियों के पास नहीं है। सिडकुल से लेकर सभी विभागों में यह निगम एक वर्क ऑर्डर से करोड़ों के काम कराता है, जबकि राज्य की एजेंसियों को टेंडर प्रक्रिया अपनानी होती है। यही नहीं, ये बाहरी एजेंसियां एक प्रोजेक्ट के काम को कई हिस्सों में भी बांट देती थी। भवन निर्माण, इलेक्ट्रिक वर्क्स सभी के अलग-अलग आदेश होते थे, लेकिन टेंडर के बाद अब सभी काम एक ही ठेकेदार के पास रहेंगे।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का किया उद्घाटन

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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का उद्घाटन किया। नीति आयोग, सेतु आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से राजधानी देहरादून में दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कौशल एवं रोज़गार सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।

कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसे सरकार की ओर से युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “निश्चित तौर पर इस कार्यशाला में जिन विषयों पर भी मंथन होगा, उससे बहुत ही व्यावहारिक चीजें निकलकर सामने आएंगी, जो अन्य युवाओं के लिए समृद्धि के मार्ग प्रशस्त करेगी। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे उनके लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल हो सकें, ताकि उन्हें बेरोजगारी से निजात मिल सके।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्किल डेवलपमेंट का विभाग खोला था, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, वो रोजगार खोजने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। अगर प्रदेश के युवा रोजगार देने वाले बनेंगे, तो इससे बेरोजगारी पर गहरा अघात पहुंचेगा। ” उन्होंने कहा, “हम आगामी दिनों में अन्य रोजगारपरक प्रशिक्षण युवाओं को मुहैया कराएंगे, जो आगे चलकर उनके लिए सहायक साबित होंगे।

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