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बाहुबल और धनबल से सरकार गिराने की कोशिश: हरीश रावत

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बाहुबल और धनबल से सरकार गिराने की कोशिश, हरीश रावत

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बाहुबल और धनबल से सरकार गिराने की कोशिश, हरीश रावत

मुझसे कहते तो मैं खुद कुर्सी छोड़ देताः सीएम

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि यदि उनसे कहा जाता कि उनकी कार्यशैली में कमियां हैं और वे मुख्यमंत्री पद छोड़ दें, तो वे तत्काल अपनी कुर्सी छोड़ देते। उन्होंने कहा कि यदि उत्तराखंड में भी धन बल का बोलबाला रहा तो सीएम बदलते रहेंगे और कार्य कुछ नहीं होगा। उन्होंने निराश स्वर में कहा कि यदि षड़यंत्र करने वाले मेरे दोस्तों ने एक बार भी यह कहा होता कि मेरा चेहरा पसंद नहीं है, मैं खुद ही कुर्सी छोड़ देता। उन्होंने कहा कि भाजपा ने प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या की है। 28 तारीख को स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

बीजापुर अतिथि गृह में पत्रकारों से वार्ता के दौरान सीएम ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि छोटे राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर भाजपा नीत केंद्र सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है और भाजपा धनबल तथा बाहुबल का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि यह राज्य के लिए अच्छा नहीं है जहां हर साल एक नया मुख्यमंत्री देखने को मिले और ऐसे पर्वतीय राज्य के सपने चकनाचूर हो जाएंगे। प्रदेश बने 15 साल हो गए, लेकिन आज भी विकासपरक राजनीति के बजाय एक-दूसरे को चोर ठहराने की रणनीति पर काम होता रहा। केंद्र की सरकार इस प्रदेश को प्रजातांत्रिक प्रणाली से निकालकर धन बल और बाहुबल की राजनीति में धकेलने के लिए प्रयासरत है। यदि ऐसा हुआ तो हर वर्ष एक सीएम बदलेगा और इस प्रदेश के गठन के कोई मायने नहीं रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारे जिन दोस्तों ने भाजपा के साथ मिलकर षड़यंत्र रचा, उसका दामन थामा है, वो इस राज्य में लोकतंत्र की हत्या के दोषी हैं।

विश्वास मत को लेकर सीएम आश्वस्त

मुख्यमंत्री हरीश रावत को पूरा भरोसा है कि 28 मार्च को उनकी सरकार सदन में विश्वास मत हासिल कर लेगी। सीएम ने कहा कि राज्यपाल ने उनसे विश्वास मत हासिल करने के लिए कहा है। मुझे अब विश्वास मत हासिल करना है। इससे संबंधित सवालों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह मामला विधानसभा का है कि इसलिए अब वे इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे। वह इतना जरूर कहना चाहते हैं कि राजनीति राज्य के विकासपरक होनी चाहिए। लेकिन तू चोर है वो चोर है–यह कहते हुए अब तक राज्य चला है। इस पर सभी लोगों को विचार करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। विधानसभा की मर्यादा और एक संवैधानिक संस्था को तोडने और एक निर्वाचित सरकार को गिराने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 रुपये के बदले देना पड़ेगा 35,453 रुपये, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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