उत्तराखंड
हरीश के खिलाफ विजय बहुगुणा ने भेजा मानहानि का नोटिस
तीन दिन में सार्वजनिक माफी मांगें, नहीं तो कानूनी कार्रवाई करूंगा
देहरादून। प्रदेश में जारी सियासी और कानूनी जंग में अब मानहानि का मुद्दा भी जुड़ गया है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ एक और मोर्चा खोल दिया है। बहुगुणा ने अपने अधिवक्ता के जरिये रावत को मानहानि का नोटिस भेजा है। नोटिस में रावत के विभिन्न बयानों को आधार बनाते हुए बहुगुणा ने तीन दिन के अंदर सार्वजनिक रूप से माफी न मांगने पर कानूनी कार्यवाही की चेतावनी दी है।
मेरी छवि को धूमिल किया जा रहा है
बहुगुणा का कहना है कि हरीश रावत ने मुझपर यह झूठा आरोप लगाया है कि भाजपा ने मेरे खाते में 25 करोड़ रुपए जमा करवाए हैं और रावत कई मंचों से ऐसे झूठे बयान मेरे खिलाफ दे चुके हैं। बहुगुणा ने सीएम रावत से तुरंत माफी मांगने के लिए कहा है। बहुगुणा के अधिवक्ता राजेश्वर सिंह की ओर से हरीश रावत को भेजे गए नोटिस में कहा गया कि 18 मार्च को सदन में अल्पमत में होने के बावजूद सदन की कार्यवाही जारी रखी गई। वित्त विनियोग विधेयक पारित नहीं हुआ था, लेकिन उसे पारित बताया गया। साथ ही कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष का सहारा लेकर उनके मुवक्किल की सदस्यता समाप्त की गई। बाद में हरीश रावत का स्टिंग ऑपरेशन सामने आया। नोटिस में कहा गया कि इन बातों से ध्यान हटाने के लिए रावत लगातार बहुगुणा पर आरोप लगा रहे हैं। 27 मार्च से लेकर चार अप्रैल तक की हरीश रावत की प्रेस कांफ्रेंस का हवाला देते हुए कहा गया कि रावत इस बात का आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा ने विजय बहुगुणा के खाते में 25 करोड़ रुपये जमा कराए हैं।
रावत यह भी कह रहे हैं कि इस तरह की चर्चाएं हैं। इसके बावजूद, बहुगुणा की छवि को लगातार नुकसान पहुंचाया जा रहा है। नोटिस में कहा गया है कि हरीश रावत तत्काल पत्रकारवार्ता बुलाकर क्षमा मांगें, अन्यथा तीन दिन के भीतर मानहानि के मामले में कार्यवाही की जायेगी। बहुगुणा के पीआरओ दीप डिमरी ने यह जानकारी दी। दूसरी ओर मानहानि के नोटिस ने अब एक और कानूनी लड़ाई का मोर्चा कांग्रेस और बागी विधायकों के बीच खोल दिया है। सदस्यता समाप्त किए जाने को लेकर पहले से ही दोनों पक्ष कोर्ट कचहरी के चक्कर में उलझे हुए हैं।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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