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उत्तराखंड

उत्तराखंड के लाल का कमाल, हवा से चलने वाली बाइक बनाकर रचा इतिहास

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देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से गुरूवार को हर्रावाला के छठवीं कक्षा के छात्र अद्वैत क्षेत्री ने मुलाकात की। अद्वैत ने बताया कि उन्होंने हवा से चलने वाली बाइक बनाई है। इस बाइक को बनाने में उन्हें डेढ़ साल का समय लगा। इससे वायु, ध्वनि और मृदा से संबंधित कोई प्रदूषण नहीं होता है।

यह बाइक वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को समर्पित करना चाहते हैं। अद्वैत ने कहा कि प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान में यह उनका छोटा सा योगदान है। अद्वैत ने कहा कि वे भविष्य में एस्ट्रोनॉटिक्स के क्षेत्र में कार्य करना चाहते हैं। यह बाइक उन्होंने गुब्बारे से प्रभावित होकर बनाई है।

उन्होंने कहा कि यह विचार मेरे मन में तब आया जब गुब्बारा कम प्रेशर से इधर से उधर उड़ सकता है, तो अधिक प्रेशर से एयर से चलने वाली बाइक बनाई जा सकती है। उन्होंने इस बाइक मॉडल को देखने के लिए मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने अद्वैत को इस मॉडल को बनाने पर बधाई देते हुए उनका आमंत्रण स्वीकार किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में अनेक प्रतिभाशाली बच्चे हैं। हमारा प्रयास है कि ऐसे बच्चों को आगे भी इसी तरह के इनोवेटिव कार्यों के लिए अलग फंड की व्यवस्था की जाए।

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय स्तर पर इस बाइक मॉडल का प्रस्तुतीकरण कराया जाएगा। इस अवसर पर अद्वैत के पिता आदेश क्षेत्री व माता अमृता क्षेत्री भी उपस्थित थे।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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