उत्तराखंड
दावे और घोषणाएं तो हजार, धरातल पर कार्य जीरो
यात्रा पड़ावों की तीन वर्षों में नहीं ली गई सुध
रुद्रप्रयाग। शासन-प्रशासन एवं पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार केदारनाथ यात्रा के सफल संचालन एवं यात्रा पड़ावों के विकास के जितने भी दावे करें, लेकिन हकीकत इससे उलट है। आज भी केदारनाथ यात्रा पड़ाव आपदा के बाद से जस की तस स्थिति में हैं। हालांकि आपदा के विकास के नाम पर अरबों-खरबों रुपये पानी की तरह बहाये गये हैं, मगर धरातल पर किसी भी प्रकार के कार्य नहीं हो पाये हैं। सोनप्रयाग एवं गौरीकुंड यात्रा पड़ाव आज भी खण्डहर जैसी हालात में हैं। गौरीकुंड के प्रवेश द्वार पर ही आपदा मंे टूटे-फूटे भवन तीर्थ यात्रियों को ठेस पहुंचाने का कार्य करेंगे।
सोनप्रयाग और गौरीकुंड में नहीं पार्किंग की व्यवस्था
16-17 जून वर्ष 2013 को केदारनाथ में आई आपदा को आगामी जून माह में तीन वर्ष का समय पूरा हो जायेगा, लेकिन केदारपुरी को छोड़ दें तो अन्य यात्रा पड़ावों की हालात आज भी जस की तस स्थिति में है। हालांकि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने यात्रा पड़ावों के विकास के लिये समय-समय पर तमाम घोषणाओं के साथ ही अरबो रुपये की योजनाओं का शिलान्यास किया, लेकिन यात्रा पड़ावों की स्थिति बिल्कुल नहीं बदली। सोनप्रयाग में आज भी मंदाकिनी नदी द्वारा मचाई तबाही को साफ देखा जा सकता है। यहां नदी किनारे भारी मात्रा में मलबा जमा हुआ है, जिसे आपदा के बाद से अब तक नहीं हटाया गया है। इसके साथ ही यहां पर कुछ प्रशासनिक भवनों के निर्माण के अलावा अन्य कार्य नहीं हो पाये हैं। जबकि आपदा में जिन लोगों के भवन और दुकानें क्षतिग्रस्त हो गई थी, उनके लिये प्रशासन की ओर से दुकानें बनाने का कार्य किया जा रहा है, लेकिन स्थिति को देखकर नहीं लगता है कि आगामी नौ मई तक दुकानें बनकर तैयार हो पायेंगी। सोनप्रयाग में पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है जिस कारण आगामी यात्रा सीजन में यहां पर जाम लगने की संभावना बनी हुई है। हालांकि सीतापुर में करोड़ों रुपये की लागत से पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन यात्रा सीजन तक पार्किंग के बनकर तैयार होने की उम्मीदें बहुत कम हैं।
आज भी खण्डहर नजर आ रहे हैं केदार यात्रा के पड़ाव
गौरीकंड के प्रवेश द्वार पर आपदा में खण्डहर हुए भवन तीर्थ यात्रियों को आपदा की भयावहता का अहसास करायेंगे। गौरीकंुड में स्थित गौरीमाई के कपाट भले ही खोल दिये गये हों, लेकिन मंदिर के चारों ओर अव्यवस्थाएं फैली हुई हैं। मंदिर समिति की लापरवाही के कारण गौरीकुंड में स्थित तर्पण एवं गर्म कुंड का आज तक पता नहीं चल पाया है। गौरीकुंड में भी पार्किंग की किसी भी प्रकार की व्यवस्थाएं नहीं हैं। बमुश्किल यहां कुछ छोटे वाहनों के खड़े होने की जगह मात्र है। सबसे अधिक अव्यवस्थाएं कहीं फैली हैं तो वह केदारनाथ यात्रा के आधार शिविर गौरीकुंड में।
आपदा के बाद यदि समय पर केदारनाथ की तर्ज पर यात्रा पड़ावों में भी विकास कार्यों को गति दी जाती तो आज यह स्थिति पैदा न होती। यात्रा पड़ाव खण्डहर न होते और तीर्थ यात्रियों को दिक्कतों का सामना न करना पड़ता। बहरहाल, अभी भी शासन-प्रशासन के पास भगवान केदारनाथ की यात्रा शुरू होने तक व्यवस्थाओं में सुधार लाने का समय है। वहीं, रविवार को अपर गढ़वाल आयुक्त हरक सिंह रावत ने आपदा पीडि़त गौरीकंुड का जायजा लिया और निर्माण कार्यों के साथ ही गौरीकुंड में अन्य व्यवस्थाओं को शीघ्र जुटाने के निर्देश अधिकारियों-कर्मचारियों को दिये। उन्होंने कहा कि गौरीकंुड में जो भवन आपदा में क्षतिग्रस्त हो गये थे, उन्हें तोड़ने का कार्य किया जा रहा है। सभी यात्रा पड़ावों पर यात्रियों के लिये रहने एवं खाने की व्यवस्था की जा रही है। यात्रियों को किसी भी प्रकार की दिक्कतें नहीं होने दी जाएंगी।
उत्तराखंड
केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जनता का किया धन्यवाद
देहरादून: केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत से साबित हो गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर जनता का विश्वास बढ़ता जा रहा है। ब्रांड मोदी के साथ साथ ब्रांड धामी तेजी से लोगों के दिलों में जगह बना रहे हैं। इस उपचुनाव में विरोधियों ने मुख्यमंत्री धामी के खिलाफ कुप्रचार करके निगेटिव नेरेटिव क्रिएट किया और पूरे चुनाव को धाम बनाम धामी बना दिया। कांग्रेस के शीर्ष नेता और तमाम विरोधी एकजुट होकर मुख्यमंत्री पर हमलावर रहे। बावजूद इसके धामी सरकार की उपलब्धियों और चुनावी कौशल से विपक्ष के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए। धामी के कामकाज पर जनता ने दिल खोलकर मुहर लगाई।
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केवल नाम भर नहीं है, बल्कि एक ब्रांड हैं। मोदी के हर क्रियाकलाप का प्रभाव जनता के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है इसलिए पिछले दो दशकों से वह देश के सबसे भरोसेमंद ब्रांड बने हुए हैं। ब्रांड मोदी की बदौलत केन्द्र ही नहीं राज्यों में भी भाजपा चुनाव जीतती चली आ रही है। उनके साथ ही राज्यों में भी भजपा के कुछ नेता हैं जो एक ब्रांड के रूप में अपनी पार्टी के लिए फयादेमंद साबित हो रहे हैं। तेजी से उभर रहे ऐसे नेताओं में से एक हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। सादगी, सरल स्वभाव, संवेदनशीलता और सख्त निर्णय लेने की क्षमता, ये वो तमाम गुण हैं जिनकी बदौलत पुष्कर सिंह धामी लोकप्रिय बनते जा रहे हैं। धामी ने उत्तराखण्ड में अपने कम समय के कार्यकाल में कई बड़े और कड़े फैसले लिए, जिससे देशभर में उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ। खासकर यूसीसी, नकलरोधी कानून, लैंड जिहाद, दंगारोधी कानून, महिला आरक्षण आदि निर्णयों से वह देश में नजीर पेश की चुके हैं। उनकी लोकप्रियता का दायरा उत्तराखण्ड तक ही सीमित नहीं है वह पूरे देश में उनकी छवि एक ‘डायनेमिक लीडर’ की बन चुकी है।
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