उत्तराखंड
उत्तराखंड बन सकता है योग की अंतर्राष्ट्रीय राजधानी: राज्यपाल
देहरादून। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से भरपूर और 20 हजार से ज्यादा प्रशिक्षित योग प्रशिक्षकों वाले उत्तराखंड को भविष्य में योग की अंतर्राष्ट्रीय राजधानी बनाया जा सकता है। प्रदेश को आयुष प्रदेश के रूप में भी विकसित करने की जरूरत है। पीएडी चैंबर ऑफ उत्तराखंड की ओर से आयोजित सम्मेलन में राज्यपाल डॉ. केके पाल ने यह बात कही।
शुक्रवार को राजपुर रोड स्थित एक होटल में आयोजित सम्मेलन में राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड में आयुष प्रदेश बनने की अपार संभावनाएं हैं। देश की परंपरागत चिकित्सा पद्धति ‘आयुष’ के पांच प्रमुख अंगों में से ‘आयुर्वेद’ और ‘योग’ इस प्रदेश की विशेषता है। राज्यपाल ने कहा कि आयुष पद्धति में अधिकांश बीमारियों का इलाज है।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग का प्रदेश से गहरा संबंध है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा को प्राथमिकता के साथ स्थानीय लोगों और पर्यटकों को भी इनसे उपचार की सुविधा मिलनी चाहिए।
राज्य में 20 हजार से अधिक योग प्रशिक्षक हैं, जिनमें योग की जन्म स्थली उत्तराखंड को ‘योग कैपिटल ऑफ वल्र्ड बनाने की क्षमता है। राज्य में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड आयुर्वेद विवि और उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी परिषद की भूमिका महत्वपूर्ण है।
बजट के अनुकूल उपचार उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में ज्यादा आयुर्वेदिक केंद्रों की आवश्यकता है। ‘वैलनैस टूरिज्म’ के प्रति बढ़ते रुझान के दृष्टिगत इस ओर विशेष ध्यान देकर गतिशीलता बढ़ाई गई तो सही मायने में ‘उत्तराखंड आयुष’ प्रदेश बन सकता है। इस मौके पर उन्होंने सोविनियर का भी विमोचन किया।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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