उत्तर प्रदेश
मातृ व शिशु देखभाल में अनुकरणीय मॉडल बना वाराणसी
वाराणसी। उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं व बुनियादी ढांचों में सुधारों के जरिए उत्तम प्रदेश बनाने में जुटी योगी सरकार में वाराणसी ने मातृ एवं शिशु देखभाल के क्षेत्र में अपने सफल प्रयासों से राज्य के अन्य जिलों के लिए एक मिसाल कायम की है। सीएम योगी की मंशा अनुसार, 10 बिंदुओं पर आधारित प्रबंधन के जरिए संस्थागत प्रसव, सिजेरियन और शिशु देखभाल के क्षेत्र में वाराणसी ने उल्लेखनीय प्रगति की है। बेहतर प्रबंधन से शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और नवजात मृत्यु दर में भी भारी कमी आई है। इन प्रयासों ने वाराणसी को पिछले तीन वर्षों से राज्य में टॉप-5 की सूची में बनाए रखा है।
तीन साल से टॉप-5 में बना हुआ है वाराणसी
वाराणसी में सफलतापूर्वक चल रही मातृ एवं शिशु देखभाल योजना अन्य जिलों के लिए रोल मॉडल साबित हो रहा है । मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि 10 बिंदुओं को आधार बनाकर उस पर काम करने से वाराणसी तीन सालों से लगातार टॉप-5 की सूची में बना हुआ है। उन्होंने बताया कि सिजेरियन प्रसव और कम वजन वाले शिशुओं के प्रभावी प्रबंधन में विशेष वृद्धि हुई है। बेहतर प्रबंधन से शिशु मृत्यु दर (आईएमआर), मातृ मृत्यु दर (एमएमआर), और नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) में जबरदस्त कमी आई है।
10 बिंदुओं की सफलता के परिणाम
1-पिछले तीन वर्षों में संस्थागत प्रसव में 60% से अधिक की वृद्धि हुई है, जिसमें 2020-21 में 55,132 से बढ़कर 2023-24 में 78,178 प्रसव हुए हैं।
2-जटिल प्रसवों में सिजेरियन प्रसव 700% से अधिक बढ़ा है, 2020-21 में 2,705 से 2023-24 में 18,351 तक हुआ इजाफा।
3- उच्च जोखिम वाली गर्भधारण की ट्रैकिंग से स्थिति में सुधार आया, जिसमें 2020-21 में 3 से 2023-24 में 10-11 की वृद्धि हुई है।
4-जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं का प्रभावी प्रबंधन किया गया, हर साल 5,500 से अधिक शिशुओं का सफलतापूर्वक इलाज किया गया।
मातृ एवं शिशु देखभाल में रोल मॉडल बनने के लिए वाराणसी में अपनाए गए यह 10 एक्शन प्लान…
इस सफलता के पीछे प्रमुख योगदान वाराणसी में लागू किए गए 10 बिंदुओं पर आधारित योजनाओं का है।
1-मॉडल वीएचएनडी (ग्राम स्वास्थ्य और पोषण दिवस): 3000 से अधिक वीएचएनडी साइटों पर जन्म और विभिन्न परीक्षणों की नियमित निगरानी।
2- वीएचएनडी साइटों को सुलभ स्थानों पर स्थानांतरित करना: अधिक उपयुक्त सेंटर पर साइटों को स्थानांतरित कर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की गईं।
3-एनबीएसयू केयर को उच्चकृत बनाना: एनबीएसयू (न्यू बॉर्न स्टेब्लाइजेशन यूनिट ) केयर को उच्चीकृत करने के साथ प्रसव सेंटर पर स्थापित किया गया।
4-जटिल प्रसवों के लिए एफआरयू की संख्या में वृद्धि: प्राथमिक रेफरल यूनिट्स (एफआरयू) की संख्या बढ़ाई गई।
5-एमएनसीयू की स्थापना: कम वजन वाले शिशुओं की देखभाल के लिए 12 नए मातृ एवं नवजात शिशु देखभाल इकाइयों (एमएनसीयू) की स्थापना की गई।
6-उपकेंद्रों का बेहतर किया गया: 200 से अधिक प्रसव उपकेंद्रों को उच्चीकृत कर सुविधाओं का विस्तार किया गया।
7-नवजात की गृह-आधारित देखभाल में सुधार: नवजात की देखभाल के लिए बेहतर सेवाएं प्रदान की गईं।
8-एचआरपी ट्रैकिंग: एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा हाई रिस्क प्रेग्नेन्सीज़ की बेहतर निगरानी की गई।
9-लक्ष्य योजना: इस योजना के तहत बेहतर सर्जरी और प्रसव कक्ष की व्यवस्था की गई।
10-साप्ताहिक निगरानी: सभी उपायों की साप्ताहिक आधार पर नियमित निगरानी की जा रही है।
इस मॉडल की सफलता ने वाराणसी को जननी सुरक्षा योजना और मातृ वंदना योजना में राज्य के शीर्ष जिलों में शामिल कर दिया है, जो अन्य जिलों के लिए प्रेरणा का कार्य कर रहा है।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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