उत्तराखंड
मैं आपदा से जूझ रहा था वो साजिश रच रहे थे: बहुगुणा
भाजपा को समर्थन पर चुप्पी
देहरादून। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के कुर्सी छिनने से हुए घावों से एक बार फिर मवाद बह निकला। पूर्व सीएम बहुगुणा ने कहा कि जब उनकी सरकार केदारनाथ आपदा से जूझ रही थी तो वो (हरीश रावत) दिल्ली में मेरे खिलाफ साजिश रच रहे थे ताकि मेरी कुर्सी जाए और वो सत्ता पर काबिज हो जाएं। उन्होंने कहा कि रावत सरकार ने जनहितों की उपेक्षा की और आम आदमी को हाशिये पर ले जाने का काम किया। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा अपने दर्द को इस तरह से बयां कर रहे थे। मौका था उनके पिता व हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा की जयंती का।देहरादून के एमडीडीए काम्पलैक्स में आयोजित एक कार्यक्रम में बागी कांग्रेसी विधायकों की मौजूदगी में स्व. बहुगुणा को याद किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बहुगुणा पूर्व सीएम रावत पर जमकर बरसे।
उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने प्रदेश को माफियाओं के हवाले कर दिया और जमकर लूट-खसोट की है। उन्होंने कहा कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के लिए रावत पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। जनता के हितों की अनदेखी की गई। रावत के निकटस्थ लोगों व विधायकों को खूब लाभ पहुंचाया गया, जबकि विकास योजनाओं को दरकिनार कर दिया गया। ऐसे में कभी न कभी तो ऐसे हालात होने ही थे। हालांकि जब उनसे भाजपा को सरकार बनाने संबंधी समर्थन देने की बात की गई तो वह चुप्पी साध गये।
हरक ने किया समर्थन
इस मौके पर ही बागी विधायक हरक सिंह रावत ने कहा हरीश रावत सरकार ने विधायकों व विकास कार्यों की उपेक्षा की है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ेगी तो वह भाजपा को समर्थन दे भी सकते हैं और चुनाव में जाने के लिए भी तैयार हैं। इस अवसर पर बागी विधायक प्रदीप बत्रा, विधायक उमेश काऊ आदि प्रमुख लोग उपस्थित थे। गौरतलब है कि बागी विधायकों की आज शाम को सितारगंज में बैठक होनी है। इस बीच हाईकोर्ट में बागी विधायकों की सुनवाई चल रही है। यह तय माना जा रहा है कि यदि हाईकोर्ट का फैसला बागियों के खिलाफ जाएगा तो वे सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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