ऑफ़बीट
पुलिस की वर्दी खाकी क्यों होती है?कारण जानकर आप पुलिस से डरेंगे नहीं,उन पर हसेंगे
नई दिल्ली। भारत में पुलिस को देख कर लोग खुद को सुरक्षित के बजाय घबराया हुआ महसूस करते हैं। पुलिसवालों की वर्दी होती ही कुछ ऐसी है। लेकिन पुलिसवालों की सबसे प्राथमिक पहचान उनकी वर्दी पर कभी अपने गौर किया है? आपने कभी सोचा है कि पुलिस की वर्दी का रंग केवल खाकी ही क्यों होता है? कोई दूसरा रंग पुलिस की वर्दी का क्यों नहीं हो सकता? इसके पीछे एक कहानी है।
हुआ ये था कि जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था तो ब्रिटिश शासन के पुलिस वालों की वर्दी सफ़ेद होती थी। लेकिन पुलिस वालों की लम्बी मेहनत और पूरे दिन की दौड़-भाग के चलते, वो सफ़ेद वर्दी जल्दी गन्दी हो जाती थी। 1800 के दशक के मध्य में, भारत में ब्रिटिश अधिकारियों ने अपनी सफेद वर्दी के रंग बदल-बदल कर कई एक्सपेरिमेंट किए। कभी धूलदार रंग, कभी चाय का रंग। कई रंगों के प्रयोगों के बाद, 1847 में सर हैरी लुम्सडेन ने आधिकारिक तौर पर खाकी रंग की वर्दी को अपनाया।
लेकिन भारत के हर राज्य में पुलिस की वर्दी खाकी नहीं होती है। कोलकाता पुलिस सफेद वर्दी पहनती है, जो कि भारत के किसी अन्य राज्य में नहीं पहनी जाती। इसके पीछे कारण ये है कि चूंकि कोलकाता एक तटीय क्षेत्र है। वहां आर्द्रता अपेक्षाकृत अधिक होती है। इसलिए सफेद रंग वैज्ञानिक रूप से कपड़े के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। नेवी की वर्दी के पीछे भी यही तर्क उपयोग किया जाता है।
अन्य राज्य
सोशल मीडिया पर हवाबाजी करने के लिए युवकों ने रेलवे ट्रैक पर उतारी थार, सामने से आ गई मालगाड़ी
राजस्थान। सोशल मीडिया पर अपना वीडियो या रील बनाने वालों ने इन दोनों कानून और नियम कायदों को धता बताना अपना शग़ल बना लिया है। रील के लिए कोई पहाड़ से कूद जाता है तो कोई पानी के तेज बहाव की परवाह तक नहीं करता। जयपुर में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां कुछ नौजवानों ने स्टंट की खातिर थार जीप को रेलवे ट्रेक पर उतार दिया। फिर जब थार पटरियों पर फँस गई तो उनके हाथ पांव फूल गए। पटरी पर इसी दौरान मालगाड़ी भी आ गई लेकिन लोको पायलट की सूझबूझ से दुर्घटना टल गई।
नशे में धुत्त तीन चार नौजवानों ने सोमवार को जयपुर के सिवांर इलाके में अपनी करतूत से लोगों को परेशानी में डाल दिया। इन युवकों ने पहले एक थार जीप किराए पर ली और उसे लेकर रेलवे ट्रेक पर पहुंच गए। इरादा था ट्रेक पर जीप दौड़ाने का। लेकिन अचानक थार फँस गई पटरियों के बीच। इसी दौरान कनकपुरा रेलवे स्टेशन की तरफ़ से एक मालगाड़ी को आता देख थार में सवार कुछ युवक तो उतरकर भाग गए लेकिन ड्राइवर बैठा रहा। इस बीच मालगाड़ी के लोको पायलट ने थार को ट्रैक पर देखकर ब्रेक लगा दिए जिससे जान माल का नुकसान होने से बच गया। इस दौरान वहाँ आरपीएफ के जवान और स्थानीय लोग भी पहुँच गए और सबने मिलकर ट्रैक से थार जीप को हटाया। लेकिन ये क्या जैसे ही थार ट्रैक से बाहर आई ड्राइवर उसे मौके से भगाकर ले गया । रास्ते में कई वाहनों और दुपहिया को टक्कर मारी लेकिन रुका नहीं। एक जगह बजरी के ढेर पर थार चढ़ गई लेकिन ड्राइवर ने रफ़्तार कम नहीं की और फ़रार हो गया।
इसके बाद पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो घटनास्थल से चार किलोमीटर दूर थार जीप लावारिस खड़ी मिली। पुलिस में जीप को जब्त कर उसके मालिक की तलाश शुरू की तो पता चला कि थार को पारीक पथ सिंवार मोड़ निवासी कुशाल चौधरी चला रहा था।वो इस जीप को बेगस से किराए पर लेकर आया था। कुशल चौधरी अभी भी फ़रार है इस संबंध में आरपीएफ की तरफ से मुकदमा दर्ज किया गया है। रेलवे प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 153 के अलावा धारा 147 और 174 में मामला दर्ज करके आरोपियों की तलाश जारी है। ये सभी ग़ैर जमानती धारा है इनके तीन साल तक की क़ैद का प्रावधान है।
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