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लाइफ स्टाइल

सर्दियों में बालों की यूं करें देखभाल

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नई दिल्ली| सर्दियों में बालों से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं होती हैं। इन्हें दूर करने के लिए इन दिनों में दही और नींबू का प्रयोग या गर्म तेल की मालिश से बालों का झड़ना और रूसी (डैंड्रफ) की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। यह कहना है एक विशेषज्ञ का। ‘ऑर्गेनिक हार्वेस्ट’ के सीईओ राहुल अग्रवाल ने सर्दियों के दिनों में बालों की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे बताए हैं :

-दही और नींबू : दही और नींबू का मेल आपके बालों का झड़ना रोक सकता है और यह सर्दियों के मौसम में आपके बालों के लिए एक प्राकृतिक मॉयश्चराइजर के तौर पर काम करता है। यह सिर की त्वचा के रूखेपन को दूर करता है और डैंड्रफ को भी कम करता है। यह हेयर पैक तैयार करने के लिए दही में नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाएं फिर उसे सूखने दें और उसके बाद बालों को धो लें।

-गर्म तेल से मालिश : बालों की चमक और मजबूती के लिए गर्म तेल से सिर की त्वचा की मालिश करें। यह बालों को पोषण देता है और सर्दियों की ठंडी, रूखी हवाओं से सिर की त्वचा की रक्षा करता है।

-तेल और कपूर : अपने सिर और बालों को ठंडा रखने के लिए थोड़ी मात्रा में कपूर और तेल मिलाएं और उसे सिर की त्वचा पर लगाएं। यह डैंड्रफ और खुजली को दूर करता है।

-भाप : यह प्राकृतिक नमी को लौटाने और बालों को मजबूत बनाने में मददगार है। यह बालों के कूपों को खोलता है, ताकि वे ज्यादा नमी सोख सकें। इसके साथ ही भाप लेने से बालों का झड़ना रुकता है, बाल स्वस्थ होकर बढ़ते हैं और उनकी चमक बढ़ती है।

-नीम और नारियल का तेल : यह सिर की त्वचा में खुजली और लालिमा पैदा करने वाली फफूंद (फंगस) के खिलाफ एंटी-फंगल तेल के तौर पर काम करता है। नीम और नारियल का तेल साथ मिलकर डैंड्रफ और सिर की त्वचा की खुजली के खिलाफ एक एंटीसेप्टिक का काम करते हैं।

-नीम का पेस्ट और दही : नीम की पत्तियों के पेस्ट को दही के साथ मिलाकर सिर की त्वचा पर लगाने से बालों का झड़ना कम होता है, सफेद बालों की समस्या कम होती है और बाल लंबे और खूबसूरत होते हैं।

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साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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