प्रादेशिक
मप्र : इधर ओलों का दर्द, उधर प्रचार पर जोर!
भोपाल| मौका कोई भी हो, राजनेता और सत्ता की गद्दी पर बैठे दल अपने हित का रास्ता खोज ही लेते हैं। अब देखिए न! मध्य प्रदेश में पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश और ओलों की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है, मगर सरकार का सारा जोर प्रचार पर आकर सिमट गया है। प्रचार में कहा जा रहा है, किसानों को खुशहाल बना दिया गया है।
राज्य में पिछले एक पखवाड़े के दौरान हुई बेमौसम बारिश ने खेतों में लहलहाती फसलों को जमीन पर लिटाने के साथ बर्बाद कर दिया है। हजारों करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है, अभी सर्वेक्षण चल रहे हैं, लेकिन वास्तव में कितना नुकसान हुआ है, उसके आंकड़े सामने नहीं आए हैं। राज्य सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से लेकर कई मंत्री खेतों में जाकर हालात का जायजा ले चुके हैं, सभी किसानों को ढाढ़स बंधा रहे हैं।
इस आपदा से अच्छी पैदावार की आस लगाए किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई है, वे हैरान हैं कि आने वाला समय उनके लिए किसी पहाड़ से कम नहीं होने वाला। ऐसा इसलिए, क्योंकि किसी के सामने बेटी की शादी की समस्या है, तो कोई कर्ज के बोझ से दबा हुआ है। कई किसान हताशा में इस तरह डूब गए कि उन्होंने मौत को गले लगा लिया, वहीं कई तो सदमे से दुनिया छोड़ गए।
राज्य सरकार ने किसानों को मिलने वाला मुआवजा बढ़ाने का ऐलान किया है, बेटियों की शादी में मदद की बात कही है, वहीं खाद बीज पर ब्याज रहित कर्ज देने की बात की जा रही है। इतना ही, नहीं सरकार के अनुपूरक बजट में पांच सौ करोड़ रुपये किसानों की आपदा के लिए आवंटित किए गए हैं। किसानों को अभी सरकार की घोषणाओं का लाभ मिलना बाकी है।
एक तरफ किसान का हाल बेहाल है तो दूसरी ओर सरकार खुद को किसानों का हितैषी बताते हुए अपना प्रचार करने में पीछे नहीं है। खेती के क्षेत्र में बीते वर्षो में हासिल की गई उपलब्धियों को गिनाया जा रहा है, वहीं अन्य क्षेत्रों मे हुई प्रगति का बखान किया जा रहा है।
राज्य के क्षेत्रीय समाचार टीवी चैनल में शायद ही कोई ऐसा हो, जिसमें कई घंटे सरकार के किसान हितैषी और विकास का प्रतीक होने के विज्ञापन न दिखाए जा रहे हों। इतना ही नहीं, तमाम समाचार पत्र भी इस तरह कि विज्ञापनों से रंगे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री अजय सिंह का कहना है कि राज्य की सरकार किसानों से छलावा कर रही है, मनमाने बिजली बिल भेजे जा रहे हैं। आपदा के शिकार किसानों को राहत नहीं दी जा रही। किसान को मदद की दरकार है, लेकिन सरकार अपने प्रचार में मग्न है, वह आपदा की घड़ी में प्रचार पर 50 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर चुकी है।
जनता दल (युनाइटेड) के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद यादव का कहना है कि राज्य सरकार सिर्फ अपना मानवीय चेहरा दिखाने में भरोसा करती है, यही कारण है कि सरकार किसानों को तत्काल मुआवजा देने की बजाय अपनी तस्वीर वाले विज्ञापन छापवा रही है।
यादव के अनुसार, राजस्व पुस्तिका परिपत्र में प्रावधान है कि आपदा के समय 24 घंटे के भीतर प्रभावितों को राहत दी जाए और 15 दिन में सर्वेक्षण का कार्य पूरा कराया जाए, लेकिन राज्य में किसानों का मुआवजा कई वर्षो से लंबित है।
सरकार के प्रवक्ता डॉ. नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि सरकार किसानों के साथ है, राज्य के 34 सौ से ज्यादा गांव में फसल चौपट हुई है। किसानों को राहत दी जाएगी, बारिश के चलते पतले और कमजोर गेहूं की खरीद के भी प्रयास चल रहे हैं।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी का कहना है कि सर्वेक्षण की प्रकिया जारी है, सरकार अपने वादे के मुताबिक किसानों को हर संभव मदद देगी, सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है। जहां तक विज्ञापन की बात है, किसानों की उपलब्धियों को आमजन तक पहुंचाना भी तो सरकार का ही काम है।
राज्य का किसान सरकार से आस लगाए बैठा है कि आने वाले दिनों में उसके जख्मों पर मल्हम जरूर लगेगा, मगर देखना होगा कि वह घड़ी कभी आती भी है या प्रचार तक ही बात सीमित रह जाती है।
प्रादेशिक
अल्मोड़ा बस हादसा: सीएम धामी ने किया मुआवजे का एलान, मृतकों को चार, घायलों को एक लाख की सहायता राशि
अल्मोड़ा। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में सोमवार को हुए बस हादसे में मरने वाले लोगों की संख्या 36 हो गई है। इस भयंकर हादसे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त कार्रवाई करते हुए पौड़ी और अल्मोड़ा के संबंधित क्षेत्र के एआरटीओ प्रवर्तन को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं।
सीएम धामी की ओर से यह कार्रवाई सुरक्षा मानकों के उल्लंघन और लापरवाही के लिए की गई है। सीएम धामी ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये और घायलों को 1-1 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान करने के निर्देश भी दिए हैं। यह आर्थिक सहायता हादसे में प्रभावित हुए परिवारों को राहत देने के उद्देश्य से है। इसके अलावा, सीएम धामी ने कुमाऊं मंडल के आयुक्त को इस घटना की मजिस्ट्रेट जांच कराने के भी निर्देश दिए हैं।
इससे पहले सीएम धामी ने राहत कार्यों पर प्राथमिकता से जोर देते हुए कहा था कि अल्मोड़ा जिले के मार्चुला में हुई एक बस दुर्घटना में यात्रियों के हताहत होने के संबंध में दुर्भाग्यपूर्ण खबर आई है। जिला प्रशासन को तेजी से राहत और बचाव कार्य चलाने का निर्देश दिया गया है। स्थानीय प्रशासन, एसडीआरएफ टीमों के साथ पीड़ितों के परिवारों को सहायता प्रदान करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
बता दें कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में सोमवार को यात्रियों से भरी एक बस सड़क से फिसलकर 200 मीटर गहरी खाई में गिर गई। हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 36 हो गई, कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने यह जानकारी दी।
यह बस यात्रियों को लेकर गढ़वाल से कुमाऊं जा रही थी। बताया जा रहा है कि हादसे के समय बस में क्षमता से अधिक सवारी भरी हुई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बस ने अपना नियंत्रण खो दिया था। बताया जा रहा है कि इस बस में लगभग 40 लोग सवार थे। बस जब कुपेल गांव के पास पहुंची तो चालक ने अपना नियंत्रण खो दिया और बस हादसे की शिकार हो गई।
हादसे के बाद उत्तराखंड पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) सहित क्षेत्र में आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों को खोज और बचाव अभियान चलाने के लिए तुरंत तैनात किया गया है। बचावकर्मी जीवित बचे लोगों को निकालने और घायलों को नजदीकी चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंचाने के काम में जुट गए हैं।
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