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मप्र : इस वर्ष की डीमेट पर कुहासा!
भोपाल| मध्य प्रदेश के निजी चिकित्सा और दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में दाखिले के लिए वर्ष 2015 में आयोजित की जाने वाली डेंटल, मेडिकल प्रवेश परीक्षा (डीमेट) पर कुहासा छाया हुआ है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा परीक्षा के लिए तय की गई तारीख के गुजर जाने का हवाला देते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। साथ ही डीमेट की वैधानिकता पर सवाल उठाया है।
उच्च न्यायालय में विभोर चोपड़ा की ओर से दायर की गई याचिका में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिपिका गुप्ता बनाम भारत सरकार प्रकरण में दिए गए आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि अगर डीमेट पांच जून के बाद होती है तो वह सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की अवमानना होगी।
चोपड़ा ने लिपिका गुप्ता प्रकरण का हवाला देते हुए कहा है कि देश के विभिन्न राज्यों और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली चिकित्सा महाविद्यालयों की प्रवेश परीक्षा के लिए सभी (राज्यों व निजी शिक्षण संस्थान)ने मिलकर कर परीक्षा प्रक्रिया की तारीखें (शेड्यूल) तय की थी। इसे 14 मार्च, 2014 को सर्वोच्च न्यायालय ने मान लिया था। इसके मुताबिक, सभी राज्य और संस्थान एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा के नतीजे पांच जून तक आवश्यक रुप से घोषित कर दें। यह आदेश वर्ष 2014 और आगे के लिए भी था।
सामाजिक कार्यकर्ता ने आगे बताया कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए 22 जून, 2015 को एक याचिका उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में लगाई थी। बाद में यह प्रकरण उच्च न्यायालय जबलपुर के लिए नौ जुलाई 2015 को स्थानांतरित हो गया। इसके साथ उनकी ओर से जल्दी सुनवाई के लिए अंतरिम आवेदन भी लगाया गया है।
ज्ञात हो कि राज्य में छह निजी चिकित्सा महाविद्यालय हैं और इनमें एमबीबीए की 378 और नौ दंत चिकित्सा महाविद्यालय की नौ सीटों के लिए डीमेट परीक्षा आयेाजित की जाती है। यह परीक्षा एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डेंटल एंड मेडिकल कॉलेजिस ऑफ मध्य प्रदेश (एपीडीएमसी) द्वारा आयोजित की जाती है।
याचिकाकर्ता चोपड़ा ने आईएएनएस से कहा, “डीमेट की परीक्षा निरस्त कर निजी चिकित्सा महाविद्यालयों की सीटें ऑल इंडिया पीएमटी के जरिए ही भरी जाएं। ऐसा होने से डीमेट के नाम पर होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अवमानना भी नहीं होगी।”
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा परीक्षा तारीख को लेकर दिए गए निर्देश के संदर्भ में आईएएनएस ने एपीडीएमसी के सचिव अनुपम चौकसे से संपर्क किया, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुए। वहीं उनके कार्यालय में मौजूद अधिकारियों ने जवाब देने में अपनी असमर्थतता जताई।
ज्ञात हो कि एपीडीएमसी ने पूर्व में डीमेट की तारीख 21 जून घोषित की थी, उसके बाद इस बढ़ाकर 12 जुलाई किया, फिर उच्च न्यायालय ने सभी परीक्षा केंद्रों पर स्कैनर लगाने के आदेश दिए थे। तब एपीडीएमसी ने अपनी समस्याएं बताकर परीक्षा को स्थगित कर दिया।
मालूम हो कि उच्च न्यायालय जबलपुर में डीमेट को लेकर कई याचिकाएं दायर है, जिनमें अलग-अलग मुद्दों पर सुनवाई चल रही है। पूर्व विधायक पारस सखलेचा की ओर से भी परीक्षा प्रक्रिया को लेकर याचिका दायर की गई है।
ज्ञात हो कि राज्य में व्यापसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित की जाने वाली पीएमटी में बड़े खुलासे हुए। उसके बाद व्यापमं की अन्य परीक्षाएं सवालों के घेरे में आई। व्यापमं घोटाले की सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच कर रहा है। वहीं दूसरी ओर डीमेट भी विवादों में है।
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‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना से 82,120 बालिकाओं को खेल में निपुण बनाएगी योगी सरकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में पढ़ने वाली 82,120 बालिकाओं की खेल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का प्रयास तेज कर दिया है। सरकार इस उद्देश्य को ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू कर साकार करेगी।
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को विशेषज्ञ प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस योजना से बालिकाएं खेल में निपुण होने के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास भी प्राप्त करेंगी, जिससे वे समाज में एक सशक्त पहचान बना सकेंगी।
उत्तर प्रदेश के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में बालिकाओं की खेल प्रतिभा को निखारने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर उभारने के उद्देश्य से ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू की गई है। इस योजना का उद्देश्य पिछड़े और वंचित समुदायों की बालिकाओं को खेल के क्षेत्र में विशेष कौशल प्रदान करना है। इसके अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को खेल विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रत्येक जनपद के दो केजीबीवी में आरंभ की जाएगी और सफल होने पर इसे अन्य विद्यालयों में भी विस्तार दिया जाएगा।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है उद्देश्य इस योजना का मुख्य उद्देश्य केजीबीवी में अध्ययनरत 82,120 छात्राओं को खेलों में प्रशिक्षित कर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है। यह योजना छात्राओं को न केवल खेल किट और आधारभूत प्रशिक्षण प्रदान करेगी, बल्कि विभिन्न प्रतियोगिताओं में जनपद और राज्य स्तर पर चयनित करने की प्रक्रिया भी सुनिश्चित करेगी।
विद्यालय में खेल का चयन ऐसे होगा
प्रत्येक विद्यालय में एक खेल समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें वार्डन, व्यायाम शिक्षिका, खेल प्रभारी और दो खिलाड़ी छात्राएं होंगी। यह समिति छात्राओं की रुचि और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक खेल का चयन करेगी। चयनित खेल में प्रशिक्षण देने के लिए योग्य महिला प्रशिक्षक नियुक्त की जाएगी। आवश्यकतानुसार, बाहरी खेल प्रशिक्षकों की सहायता भी ली जा सकेगी।
विशेष प्रशिक्षण और स्वास्थ्य पर रहेगा विशेष ध्यान
योजना के अंतर्गत, खेल गतिविधियों के संचालन के लिए एक निर्धारित समय सारिणी होगी, जिसमें प्रशिक्षक छात्राओं को खेल की बारीकियां सिखाएंगे। बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें छात्राओं को आहार, पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण भी समय-समय पर किया जाएगा।
समाज और विभागीय सहयोग लिया जाएगा
पूर्व राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को भी बुलाकर छात्राओं को प्रेरित किया जाएगा। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं को स्थानीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जाएगा। इसके अलावा, विद्यालयों में खेल प्रतियोगिताओं के दौरान सम्मानित नागरिकों और विभागीय अधिकारियों को आमंत्रित कर छात्राओं का उत्साहवर्धन किया जाएगा।
खेल संघों और कॉर्पोरेट समूहों से भी लिया जाएगा सहयोग
योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर के खेल संघों के साथ कॉर्पोरेट समूहों से भी सहयोग लिया जाएगा। कॉर्पोरेट समूहों की मदद से छात्राओं के लिए आवश्यक खेल सामग्री और अन्य सुविधाएं बेहतर तरीके से उपलब्ध कराई जाएंगी।
बालिकाओं का विशेष स्थानांतरण और अभिभावकों की ली जाएगी सहमति
चयनित छात्राओं को विशेष खेल प्रशिक्षण देने के लिए तीन महीने तक नोडल केजीबीवी में रखा जाएगा। इस दौरान उनके रहने, खाने और प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था होगी। इसके बाद, छात्राओं को उनके मूल केजीबीवी में वापस भेज दिया जाएगा। छात्राओं के स्थानांतरण से पूर्व उनके अभिभावकों से सहमति ली जाएगी।
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