नेशनल
वैश्विक रैंकिंग भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए प्रासंगिक है?
नई दिल्ली| अगर आप किसी भारतीय विश्वविद्यालय का नाम दुनिया की शीर्ष रैकिंग में नहीं देखते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी अकादमिक योग्यता में कोई कमी है। बल्कि इसका कारण यह है कि हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों में शोधकार्य भारतीय भाषाओं में किए जाते हैं। ये बातें बुधवार को मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कही। उन्होंने नई शिक्षा नीति पर आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में कहा, “हमारे शिक्षण संस्थानों के विश्व रैकिंग में नहीं आने को लेकर काफी बातें की जाती हैं। लेकिन इसका कारण उच्चस्तरीय शोध कार्य की कमी नहीं, बल्कि यह है कि विश्व रैंकिंग में केवल अंग्रेजी भाषा में किए गए शोध कार्यो को ही महत्व दिया जाता है जबकि हमारे यहां के शोध कार्य क्षेत्रीय भाषाओं में किए जाते हैं।”
लेकिन यह भी एक तथ्य है कि प्रतिष्ठित पत्रिका टाइम्स की इस साल की 100 प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों की सूची में हमारे गैरअंग्रेजी भाषी पड़ोसी देश चीन के दो विश्वविद्यालयों के नाम हैं जबकि भारत का एक भी नहीं।
ऐसे में मंत्री का यह बयान क्या वर्ल्ड रैकिंग में अपेक्षित सुधार की मांग करता है या फिर यह भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों के कमतर प्रदर्शन पर पर्दा डालने वाला बयान है? विशेषज्ञों की राय भी हालांकि इस पर बंटी हुई है।
इस बारे में टाइम्स की उच्च शिक्षा पर निकलने वाली पत्रिका के संपादक फिल बेटी ने आईएएनएस से कहा, “विश्व रैंकिंग से छात्रों को अपने भविष्य के बारे में महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद मिलती है। साथ ही इससे विश्वविद्यालयों को अपने प्रदर्शन का आकलन करने और उसमें सुधार करने का भी मौका मिलता है।”
उन्होंने कहा, “हालांकि मैं इससे सहमत हूं कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं के विश्वविद्यालयों की क्षमता को अलग संदर्भ में पहचानने की जरूरत है। इसलिए हमने ब्रिक्स देशों और विकासशील देशों के लिए एक अलग रैकिंग प्रणाली प्रकाशित की है।”
यह दीगर है भारतीय विश्वविद्यालय ब्रिक्स देशों और विकासशील देशों की इस रैंकिंग में भी जगह बनाने में नाकाम रहे हैं।
बेटी ने आगे कहा कि ब्रिक्स देशों और विकाशसील देशों की अलग रैंकिंग से इसका महत्व बिल्कुल कम नहीं होता, क्योंकि इसमें भी वही मानक इस्तेमाल किए गए हैं जो वैश्विक रेटिंग के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
उनके मुताबिक भारतीय विश्वविद्यालयों के रैंकिंग में पिछड़ने का मुख्य कारण यह है कि यहां निवेश की कमी है, बदलाव की राजनीतिक इच्छा नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़ का अभाव है।
ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और विश्व मामलों के विशेषज्ञ श्रीराम चौलिया का कहना है कि विश्व रैंकिंग के तरीकों की आलोचना करने की बजाय हमें अपने उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता सुधारने और शोध को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
जिंदल स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज के संकायाध्यक्ष कैथलीन माडरोवस्की का कहना है कि अभी भारतीय विश्वविद्यालयों को विश्व रैंकिंग में जगह बनाने के लिए काफी कुछ करना है, लेकिन भारतीयों ने दुनिया में अपनी जगह बनाई है और एक निश्चित छाप छोड़ी है।
उनके मुताबिक हमारी शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए स्वतंत्र सोच को बढ़ावा देना होगा, लालफीताशाही को दूर करना होगा, शिक्षा प्रणाली को गतिशील बनाना होगा तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों के बीच समन्वय को बढ़ावा देना होगा, तभी हम उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया से कदमताल मिला पाएंगे।
आध्यात्म
नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की आराधना, भक्तों के सभी कष्ट हरती हैं मां
नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां कूष्मांडा की उपासना की जाती है। मां कूष्मांडा यानी कुम्हड़ा। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानी कद्दू, पेठा। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कूष्मांडा पड़ा।
मां को प्रिय है ये भोग
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुआ का प्रसाद अर्पित कर भोद लगाएं। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी। साथ ही इस दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन या वस्त्र भेट करने से धन में वृद्धि होगी।
यूं करें मां कूष्मांडा की पूजा
मां कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करें। मन को अनहत चक्र में स्थापित करें और मां का आशीर्वाद लें। कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करने के बाद मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लें और मां का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।
माता कूष्मांडा हरेंगी सारी समस्याएं
जीवन में चल रही परेशानियों और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें। ऐसा करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
मां कूष्मांडा की पूजा के बाद इस मंत्र का 21 बार जप करें
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
शास्त्रों में उल्लेख है कि इस मंत्र के जप से सूर्य संबंधी लाभ तो मिलेगा ही,साथ ही, परिवार में खुशहाली आएगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आय में बढ़ोतरी होगी।
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