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प्रादेशिक

दशकों से नि:शुल्क दवा बांट रहा यह परिवार

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भोपाल| समाज के गरीब और पीड़ितों की सेवा करने को कुछ लोग अपना धर्म मानते हैं, उन्हीं में से एक है मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कारोबारी प्रदीप अग्रवाल का परिवार। उनका परिवार पिछले छह दशकों से आग व तेजाब से जले लोगों को नि:शुल्क आयुर्वेदिक दवा वितरित करता आ रहा है।

राजधानी के घोड़ा नक्काश इलाके में अग्रवाल पूड़ी भंडार की दूसरी पहचान आग से झुलसे लोगों के दवा वितरण स्थल के तौर पर भी है। एक थाल में हर वक्त जलने वालों को दी जाने वाली दवा की कई पुड़िया रखी होती है और जब भी यहां पीड़ित पहुंचता है, तो उसे यह पुड़िया दी जाती है। हर रोज सौ से ज्यादा पीड़ितों को आयुर्वेदिक दवा की पुड़िया उपलब्ध कराई जाती है। वह भी बगैर किसी भुगतान के।

प्रदीप अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया कि उनके चाचा शिव नारायण अग्रवाल समाज सेवा में लगे रहते थे। लगभग छह दशक पहले जलने वालों के इलाज के लिए आयुर्वेद का एक फार्मूला बनाया, ऐसा इसलिए क्योंकि उस दौर में जलने पर बेहतर दवा उपलब्ध नहीं थी। उन्होंने अपने फार्मूले के मुताबिक दवा भी तैयार की और उसके नतीजे चौंकाने वाले आए।

अग्रवाल के अनुसार शरीर के किसी भी स्थान पर आग अथवा अन्य किसी भी चीज से जले व्यक्ति को इस दवा के लगाते ही आराम मिल जाता है और इसकी खूबी यह है कि इसके लगाने से जलने का दाग भी नहीं रहता है।

अग्रवाल बताते हैं कि उनके चाचा जब तक जीवित रहे वे नि:शुल्क दवा का वितरण करते रहे, उनकी पहचान ही पूडी के कारोबार से अलग दवा देने वाले की बन गई थी। उनकी मौत के बाद परिवार अभी यह क्रम बनाए हुए है, फार्मूला सिर्फ उन्हें ही पता है। आज भी हर रोज सौ से ज्यादा लोग आकर दवा ले जाते हैं।

अग्रवाल की मानें, तो इस दवा का उनके चाचा ने जो फार्मूला बनाया था उसी के मुताबिक उनका परिवार आज भी यह दवा बनाता आ रहा है। उन्हें अच्छा लगता है जब वे किसी पीड़ित को दवा देने के बाद उसे स्वस्थ होते देखते हैं।

आग से झुलसे संतोष कुमार का कहना है कि उन्होंने अग्रवाल परिवार से मिली आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल किया तो उनके जख्म तो ठीक हुए ही, साथ ही किसी तरह का दाग भी नहीं रहा। उन्हें आशंका थी कि कहीं आग के निशान उनके हाथ में न रह जाएं, मगर ऐसा हुआ नहीं।

पीड़ितों की सेवा में सुख तलाशने वाले समाज के उन लोगों के लिए यह एक नजीर है, जो दौलत से सिर्फ अपनी झोली भरने में लगे रहते हैं।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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