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उत्तर प्रदेश

मखाना की खेती को प्रोत्साहित कर किसानों की आय बढ़ाएगी योगी सरकार

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गोरखपुर। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार सतत प्रोत्साहन की योजनाएं लागू कर रही है। इसी सिलसिले में किसानों की आय बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने मखाना की खेती के लिए किसानों को अनुदान देने की व्यवस्था बनाई है। इसके लिए सरकार का विशेष ध्यान मखाना की सर्वाधिक खेती करने वाले बिहार के मिथिलांचल के समतुल्य जलवायु वाले पूर्वांचल पर है। सरकार ने पूर्वांचल के 14 जिलों में अनुदान पर मखाना की खेती के लिए लक्ष्य तय कर दिया है। इसमें गोरखपुर मंडल के देवरिया जिले में बीते साल से मखाना की खेती शुरू हो गई है जबकि मंडल के तीन अन्य जिलों गोरखपुर, महाराजगंज और कुशीनगर को कुल 33 हेक्टेयर में मखाना की खेती कराने का लक्ष्य दिया गया है। वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि गोरखपुर मंडल की जलवायु में मिथिला जैसी उत्पादकता देने का सामर्थ्य है।

मखाना की खेती ऐसी जगहों के लिए अधिक उपयुक्त है जहां खेतों में काफी पानी जमा रहता है। गोरखपुर मंडल में तालाबों की पर्याप्त संख्या तो है ही मंडल के कई ब्लॉक ऐसे हैं जहां लो लैंड एरिया में बारिश का पानी खेतों में काफी समय तक भरा रहता है। जाहिर सी बात है कि इन खेतों के किसान मखाना की खेती अपनाकर मालामाल हो सकते हैं। सरकार की तरफ से मखाना खेती के लिए अनुदान की व्यवस्था भी इसी मंशा से की गई है। सरकार की इस पहल का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है।

गोरखपुर मंडल के देवरिया जिले में मखाना की खेती का प्रयोग गत वर्ष ही शुरू हो चुका है। यहां के कई प्रगतिशील किसान और मत्स्यपालक राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा से मखाना का बीज मंगाकर खेती कर रहे हैं। इस तरह देवरिया मखाना खेती की शुरुआत करने वाला पूर्वांचल का पहला जिला बन चुका है। इस साल देवरिया में करीब पांच हेक्टेयर रकबे में मखाना की फसल तैयार है। अब सरकार मंडल के अन्य जिलों के किसानों को भी इससे जोड़ने में जुट गई है। मसलन देवरिया के बगल में कुशीनगर जिले में 13 हेक्टेयर रकबे में मखाना की खेती कराने का लक्ष्य मिला है। इसमें से अबतक 8 हेक्टेयर से अधिक रकबे में खेती करने के लिए 16 किसानों का प्रस्ताव उद्यान विभाग ने मंजूर भी कर लिया है। गोरखपुर में 10 हेक्टेयर रकबे में मखाना की खेती कराने का उद्यान विभाग को दिया गया है। राजकीय उद्यान के अधीक्षक पारसनाथ बताते हैं कि कुल लक्ष्य में 20 प्रतिशत से यानी गोरखपुर में 2 हेक्टेयर रकबे में मखाना की खेती के लिए अनुसूचित जाति के किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। 8 हेक्टेयर रकबा सामान्य वर्ग के किसानों के लिए लक्षित है। इसी तरह महराजगंज जिले में भी उद्यान विभाग को 10 हेक्टेयर में मखाना की खेती कराने का लक्ष्य शासन से मिला है। पहले साल करीब 25 किसान इससे जुड़ेंगे।

40 प्रतिशत लागत की भरपाई अनुदान से

उद्यान विभाग में पंजीकरण कराकर मखाना की खेती करने वाले किसानों को सरकार प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपये का अनुदान देगी। एक हेक्टेयर में मखाना की खेती करने में करीब एक लाख रुपये की लागत आती है। ऐसे में लागत की 40 प्रतिशत भरपाई तो अकेले सरकारी अनुदान से ही हो जाएगी। एक हेक्टेयर के तालाब या पानी लगे खेत में औसतन प्रति हेक्टेयर 25 से 29 क्विंटल पैदावार हासिल होती है। वर्तमान में अच्छी क्वालिटी के मखाना का प्रति किलो थोक भाव औसतन एक हजार रुपये है।

नर्सरी डालने से लेकर फसल तैयार होने में लगता है दस माह

मखाना की खेती तालाब या औसतन तीन फीट पानी भरे खेत में होती है। नवंबर महीने में इसकी नर्सरी डाली जाती है और चार माह बाद (फरवरी-मार्च में) इसकी रोपाई की जाती है। रोपाई के करीब पांच महीने बाद पौधों में फूल लगने लगते हैं। अक्टूबर-नवम्बर में इसकी कटाई शुरू होती है। नर्सरी डालने से लेकर कटाई तक कुल दस माह का समय फसल तैयार होने में लगता है। मखाना की खेती उन किसानों के लिए तो और भी फायदेमंद है जो पहले से अपने निजी तालाबों में मछली पालन करते हैं।

सुपरफूड के रूप में बढ़ रही मखाना की ख्याति

पोषक तत्वों का खजाना होने का कारण मखाना की ख्याति एक सुपरफूड के रूप में बढ़ रही है। कोरोना के बाद लोगों में स्वास्थ्य और प्रतिरक्षण प्रणाली को मजबूत करने के लिए जागरूकता काफी बढ़ी है और इसके चलते मखाना की मांग में भी काफी तेजी से वृद्धि हुई है। लो कैलोरी होने के साथ मखाना में प्रोटीन, फॉस्फोरस, फाइबर, आयरन और कैल्शियम भरपूर पाया जाता है। इसका सेवन पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के साथ हृदय, उच्च रक्तचाप और मधुमेह नियंत्रण के लिए मुफीद माना जाता है।

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उत्तर प्रदेश

मां शाकंभरी देवी के दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं की ट्रैक्टर ट्राली अनियंत्रित होकर पलटी, 16 लोग घायल

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सहारनपुर। सिद्धपीठ मां शाकंभरी देवी के दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं की ट्रैक्टर ट्राली दिल्ली-यमुनोत्री हाईवे पर अनियंत्रित होकर सड़क किनारे खाई में पलट गई जिसके चलते ट्राली में सवार 16 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे की सूचना प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को दी। सूचना मिलते ही देहात कोतवाली प्रभारी चंद्र सेन सैनी मयफोर्स के घटनास्थल पर पहुंचें ओर 108 एंबुलेंस की मदद से सभी घायलों को उपचार हेतु जिला चिकित्सालय भर्ती कराया।

बुधवार को सिद्धपीठ मां शाकंभरी देवी के दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं की एक ट्रैक्टर ट्राली जैसे ही देहात कोतवाली क्षेत्र के ग्राम महेश्वरी गांव के पास पहुंची तो चालक को नींद की झपकी आ गई जिसके चलते ट्रैक्टर ट्राली अनियंत्रित होकर सड़क किनारे खाई में पलट गई। ट्रैक्टर ट्राली के खाई में पलटते ही उसमें सवार श्रद्धालुओं में चीख-पुकार मच गई। राह चलते लोगों ने हादसे की सूचना देहात कोतवाली पुलिस व 108 एंबुलेंस को दी। सूचना मिलते ही देहात कोतवाली प्रभारी निरीक्षक चंद्र सेन सैनी मयफोर्स के घटनास्थल पर पहुंचे ओर 108 एंबुलेंस की मदद से सभी घायल श्रद्धालुओं को उपचार हेतू जिला चिकित्सालय भर्ती कराया।

ये हुए घायल

अभिषेक पुत्र प्रतीश (20), विशाल पुत्र ओम कुमार (18), हर्षित पुत्र ऋषिपाल (15), अमरीश पुत्र श्याम सिंह (27), आशू पुत्र विनोद (18), कप्तान पुत्र अनिल (18), वेश पुत्र बिजेन्द्र (20), सुमित पुत्र अशोक (21), अनिकेत पुत्र रामचंद्र (16), आदेश पुत्र विनोद (16), कार्तिक पुत्र पंकज (18), काला पुत्र प्रितम (20), रितिक पुत्र ओमबीर (17), शौरभ पुत्र ओमबीर (18), आर्यन पुत्र सुमित (14) निवासीगण ग्राम लंढौरा गुर्जर व निगम पुत्र नरेश निवासी ग्राम कांकरकुई थाना रामपुर मनिहारान जनपद सहारनपुर हैं।

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