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उत्तर प्रदेश

राज्य स्तरीय प्रदर्शनी में अपने उत्पादों और कौशल का प्रदर्शन करेंगे प्रदेश भर के कारीगर

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लखनऊ। एक जिला एक उत्पाद और प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना जैसी स्कीम्स के माध्यम से प्रदेश में कारीगरों को प्रोत्साहित कर रही योगी सरकार एक बार फिर उन्हें अपने उत्पादों को राज्य स्तर पर प्रसारित करने का अवसर प्रदान करने जा रही है। एमएसएमई-विकास कार्यालय, कानपुर द्वारा 10 से 12 सितंबर, 2024 तक प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत राज्य स्तरीय प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य विभिन्न जिलों से आए कारीगरों को अपने उत्पादों और कौशल का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करना है। प्रदर्शनी में कारीगरों को नए ग्राहकों से मिलने और व्यापारिक अवसरों को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच मिलेगा। इस प्रदर्शनी में उत्तर प्रदेश के 25 जिलों के कारीगर भाग लेंगे। प्रदर्शनी में 18 प्रमुख ट्रेड्स के कारीगरों द्वारा अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा।

7 सितंबर तक करना होगा आयोजन

एमएसएमई मंत्री राकेश सचान के अनुसार इच्छुक कारीगर, जिनका प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत स्टेज-3 वेरिफिकेशन पूरा हो चुका है तथा जिनके पास पीएम विश्वकर्मा लाभार्थी पहचानपत्र है, वे 7 सितंबर, 2024 तक सादे कागज पर या ईमेल ([email protected]) के माध्यम से अपना पंजीकरण करा सकते हैं। पंजीकरण के दौरान उन्होंने अपना नाम, पीएम विश्वकर्मा ट्रेड, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, उत्पाद (प्रदर्शनी के दौरान प्रदर्शित किए जाने वाले), पीएम विश्वकर्मा आईडी पंजीकरण संख्या, पीएम विश्वकर्मा प्रशिक्षम समापन प्रमाणपत्र संख्या और श्रेणी आदि का उल्लेख करना होगा। प्रदर्शकों का चयन समिति द्वारा किया जाएगा। चुने गए प्रदर्शकों के आने-जाने और रहने का खर्च भारत सरकार के नियमानुसार वहन किया जाएगा। यह आयोजन एमएसएमई-विकास कार्यालय, 107 औद्योगिक आस्थान, कालपी रोड, फजलगंज, कानपुर में होगा।

इन 25 जिलों के कारीगर लेंगे हिस्सा

अयोध्या, बाराबंकी, शाहजहांपुर, बस्ती, हमीरपुर, महोबा, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, झांसी, ललितपुर, जालौन, कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज, लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी और फतेहपुर।

इन ट्रेड्स को किया जाएगा शामिल

बढ़ई, नाव निर्माता, अस्त्रकार, लोहार, हथौड़ा टूलकिट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार (पत्थर तराशने वाला), मोची (चर्मकार)/जूता कारीगर, राजमिस्त्री, टोकरी निर्माता, गुड़िया और खिलौना निर्माता, नाई, माला निर्माता, धोबी, दर्जी, और मछली पकड़ने वाला जाल निर्माता।

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उत्तर प्रदेश

सीएम योगी ने कुम्भ की आस्था और जलवायु परिवर्तन से संबंधित जलवायु सम्मेलन का किया शुभारंभ

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रयागराज महाकुम्भ में कुम्भ की आस्था और जलवायु परिवर्तन विषयक जलवायु सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मनुष्य ही केवल इस सृष्टि का एकमात्र जीव नहीं है। जीव जंतुओं का जीवन चक्र मनुष्य के साथ और मनुष्य का जीवन चक्र उनके साथ जुड़ा हुआ है। उनका अस्तित्व रहेगा तो हमारा भी अस्तित्व रहेगा और यदि उन पर संकट आएगा तो हमारे अस्तित्व पर भी संकट आएगा। उन्होंने कहा कि हम प्रलय की प्रतीक्षा ना करें, बल्कि अभी से धरती को हरा भरा बनाएं। कुम्भ का भी यही संदेश है। हम सबको आस्था के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के कारकों पर भी विचार करते हुए उसके निवारण का उपाय करना होगा। उन्होंने कहा कि जीव सृष्टि और जंतु सृष्टि के संरक्षण के साथ ही मानव सृष्टि की सुरक्षा और संरक्षण हो पाएगा। इस दौरान सीएम योगी ने दिल्ली में हुई घटना पर अफसोस जताते हुए सभी पुण्य आत्माओं के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

श्रद्धालु पार्किंग में खड़े करें वाहन

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में जब जलवायु परिवर्तन की बात करते हैं तो एक-दूसरे पर दोषारोपण होने लगता है। यही स्थिति महाकुम्भ में भी देखने को मिल रही है. एरियल सर्वे में देख रहा था कि पार्किंग की जगह खाली है, लेकिन हर व्यक्ति सड़क पर अपनी गाड़ी खड़ी करके संगम स्नान को जा रहा है। अगर वही व्यक्ति पार्किंग के स्थान पर अपना वाहन पार्क करे तो हो सकता है कि उसे 100 मीटर ज्यादा पैदल चलना पड़े, लेकिन सड़क पर कहीं जाम नहीं होगा और आसानी से वह संगम में स्नान कर सकेगा। उन्होंने कहा कि इस जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए हम सब कहां भागीदार हैं, इसके बारे में चिंतन करना और उसे अपने व्यवहारिक जीवन में उतारना, यह सचमुच महाकुम्भ का हिस्सा बनना चाहिए। इसे हर किसी को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

जलवायु परिवर्तन के कारण सूख रहीं नदियां

सीएम योगी ने कहा कि 13 जनवरी से लेकर 16 फरवरी के बीच 52 करोड़ श्रद्धालु मां गंगा, यमुना और मां सरस्वती की इस पावन त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। 52 करोड़ लोग तब यहां डुबकी लगा पा रहे हैं, जब मां गंगा, यमुना और मां सरस्वती की कृपा से यहां अविरल जल उन्हें मिल पा रहा है। जो भी यहां डुबकी लगा रहा है उसे आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव मिल रहा है। इस अनुभव को जब वह अपने गांव में और आसपास के क्षेत्र में साझा कर रहा है, तभी वहां से बड़े पैमाने पर श्रद्धालु यहां आकर इस पूरे आयोजन को सफलता की नई ऊंचाई तक पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सबको सोचना होगा की कार्बन उत्सर्जन और पर्यावरण के प्रदूषण का कारण जलवायु परिवर्तन है। जलवायु परिवर्तन का ही कारण है कि धरती माता की धमनियों के रूप में जिन नदियों को अविरल बहना चाहिए था वह सूखती जा रही हैं। अनुमान कीजिए, अगर शरीर की रक्त धमनियां सूख गई तो शरीर की स्थिति क्या होगी। अगर धरती माता की धमनियां सूख गईं या प्रदूषित हो गई तो जिन धमनियों से रक्त का प्रवाह होना चाहिए उसकी क्या स्थिति होगी।

मर चुकी नदियों को पुनर्जीवित किया जा रहा

सीएम योगी ने कहा कि धरती माता के साथ खिलवाड़ न हो, इसको ध्यान में रखते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित किया गया है। उत्तर प्रदेश में पिछले 8 वर्षों के अंदर हमारी सरकार ने 210 करोड़ वृक्षारोपण किया है। वन विभाग के द्वारा जो वृक्ष लगाए गए हैं उसमें 70 से लेकर 80 फीसदी पौधे सुरक्षित हैं। वहीं विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से जो वृक्षारोपण हुआ है उसमें भी 60 से 70 फीसदी पौधे सुरक्षित हैं। डीजल से चलने वाली बसों के स्थान पर इलेक्ट्रिक बसों को प्राथमिकता दी गई है। इसके लिए पॉलिसी बनाई और अनेक कार्यक्रम बढ़ाए गए हैं। मर चुकी नदियों को फिर से पुनर्जीवित करने का काम किया। आज जो संगम में इतना पावन स्नान एक साथ एक दिन में करोड़ों लोग कर पा रहे हैं। जितनी भीड़ कभी मौनी अमावस्या को जुटती थी उतनी भीड़ हर दिन हो रही है। नदियों को चैनेलाइज किया गया। संगम क्षेत्र का दायरा बढ़ाया गया। संगम में हर समय 10 हजार से 11 हजार क्यूसेक जल हमेशा मौजूद रहे इसको सुनिश्चित किया गया।

जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए जनभागीदारी आवश्यक

सीएम योगी ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर कार्य कर रही है, लेकिन हमारा भी प्रयास होना चाहिए कि हम भी इसमें कैसे भागीदार बन सकते हैं। दैनिक जीवन में प्लास्टिक का उपयोग करना क्या हम रोक पाएंगे, क्या नदियों पर कब्जा करना और प्रदूषण करने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण कर पाएंगे, वन्य जीवों के प्रति क्या हमारे मन में भी संवेदना जागृत होगी, क्योंकि जैसे हमारा जीवन चक्र है ऐसे ही धरती माता का भी अपना एक जीवन चक्र है। हम दोनों को एक साथ जोड़ करके देखेंगे तब यह सृष्टि रहेगी। एक पेड़ मां के नाम, एक पेड़ आस्था के नाम लगाने के क्रम में हम भी सहभागी बन सकें।

इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, परमार्थ आश्रम के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि, जगद्गुरु स्वामी मुकुंदानंद, वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ अरुण कुमार सक्सेना एवं राज्य मंत्री केपी मलिक समेत विधायक व अधिकारी उपस्थित रहे।

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