उत्तर प्रदेश
उमेश पाल हत्याकांड में आज दाखिल होगी चार्जशीट, नौ आरोपियों का नाम होने की संभावना
प्रयागराज। प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड में आज शुक्रवार को चार्जशीट दाखिल होगी। इसमें नौ आरोपियों का नाम होने की संभावना है। इनमें साजिशकर्ता सदाकत समेत वे शामिल हैं, जिन्हें उमेश पाल हत्याकांड का आरोपी बनाया गया है और जो जेल में हैं। चार्जशीट दाखिल करने की 90 दिन की समयावधि में तीन दिन शेष हैं।
24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या के बाद से अब तक इस हत्या मामले में आठ आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं। इसके अलावा उम्रकैद की सजा काट रहे अतीक के वकील खान सौलत हनीफ को भी पुलिस आरोपी बना चुकी है। इस तरह से मौजूदा समय में इस मामले में कुल नौ लोग नैनी जेल में निरुद्ध हैं।
प्रकरण में पहली गिरफ्तारी 27 फरवरी को हुई थी। पुलिस ने मुस्लिम बोर्डिंग हॉस्टल से सदाकत खान को अवैध असलहा के साथ गिरफ्तार किया था। इसके बाद 21 मार्च को अतीक अहमद के नौकर राकेश उर्फ लाला, ड्राइवर कैश के अलावा हत्याकांड में रेकी करने वाले अख्तर कटरा, मो. सजद व नियाज अहमद को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
हत्याकांड में एक और गिरफ्तारी एक अप्रैल को हुई जब एसटीएफ ने अतीक के नौकर शारुप उर्फ शाहरुख को गिरफ्तार किया। चार अप्रैल को अतीक के बहनोई डॉ. अखलाक को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। 27 अप्रैल को उमेश पाल हत्याकांड में खान सौलत हनीफ की रिमांड बनवाई गई। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में जेल में निरुद्ध सभी नौ आरोपियों की हत्याकांड में संलिप्तता के पर्याप्त सबूत पुलिस जुटा चुकी है।
किसकी क्या है भूमिका
सदाकत खान- साजिशकर्ता, जेल में साजिश रचे जाने के दौरान मौजूद।
राकेश, कैश, सजद, नियाज, अख्तर कटरा- रेकी, उमेश की लोकेशन देना और हथियार व कैश ठिकाने लगाना।
शारुप उर्फ शाहरुख- हत्या में प्रयुक्त राइफल शूटरों के घर से निकलने से पहले क्रेटा में रखना, शाइस्ता से पांच लाख रुपये लेकर शूटर अरमान के भाई को पहुंचाना।
-अखलाक- शूटर गुड्डू मुस्लिम को शरण देना और घटना की साजिश में शामिल होना।
-खान सौलत हनीफ- साजिश में शामिल होना और उमेश की लोकेशन देना।
-इनकी निशानदेही पर अतीक के चकिया स्थित कार्यालय से 72.73 लाख नकद व 10 असलहे बरामद किए गए।
-जांच में यह बात सामने आई थी कि सदाकत इस हत्याकांड की साजिश में शामिल रहा है।
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन
महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।
महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान
महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम
दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।
महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।
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