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इस तारीख को है देवशयनी एकादशी, जानें महत्व शुभ मुहूर्त व पूजन विधि
नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदी महीने के दोनों पक्षों (शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष) में आने वाली ग्यारहवी तिथि एकादशी के रूप में मनाई जाती है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है। यह तिथि भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होती है।
एकादशी व्रत भगवान विष्णु की आराधना करते हुए सभी तरह की मनोकामनाओं को प्राप्त करना और श्रीहरि की विशेष कृपा हासिल करने के लिए साधन होता है। इसी क्रम में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आषाढ़ी एकादशी, हरिशयनी, पद्मनाभा और देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार देवशयनी एकादशी 29 जून, गुरुवार के दिन पड़ रही है।
देवशयनी एकादशी का महत्व
सभी एकादशियों में इस देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। देवशयनी यानी भगवान के विश्राम का समय। धर्म ग्रंथों और पुराणों के अनुसार देवशयनी एकादशी तिथि से भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में शयन करने के लिए चले जाते है।
इस कारण हरिशयनी या देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि से ही चातुर्मास आरंभ हो जाता है जिसमें चार महीनों के लिए किसी भी तरह का शुभ, विवाह संस्कार, मांगलिक कार्य और धार्मिक अनुष्ठान करना वर्जित हो जाता है।
देवशयनी एकादशी 2023 तिथि
आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी तिथि की शुरुआत 29 जून 2023 को प्रात: 03 बजकर 18 मिनट से हो जाएगी और देवशयनी एकादशी तिथि का समापन 30 जून 2023, प्रात: 02 बजकर 42 मिनट पर होगा।
देवशयनी एकादशी पूजन विधि
एकादशी तिथि भगवान विष्णु की आराधना के लिए सबसे अच्छी तिथि मानी गई है क्योंकि एकादशी तिथि विष्णुजी को अतिप्रिय है इसलिए इस दिन जप-तप,पूजा-पाठ,उपवास करने से मनुष्य श्री हरि की कृपा प्राप्त कर लेता है।
भगवान विष्णु को तुलसी बहुत ही प्रिय होती है। बिना तुलसीदल के भोग इनकी पूजा को अधूरा माना जाता है। ऐसे में देवशयनी एकादशी पर तुलसी की मंजरी,पीला चन्दन,रोली,अक्षत,पीले पुष्प,ऋतु फल एवं धूप-दीप,मिश्री आदि से भगवान वामन का भक्ति-भाव से पूजन करना चाहिए।
पदम् पुराण के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन कमललोचन भगवान विष्णु का कमल के फूलों से पूजन करने से तीनों लोकों के देवताओं का पूजन हो जाता है। रात्रि के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य,भजन-कीर्तन और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए।
देवशयनी एकादशी शयन मंत्र
29 जून को देवशयनी एकादशी पर भगवान को शयन करवाते समय श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम। विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम।’
हिंदी भावार्थ- ‘हे जगन्नाथ जी! आपके सो जाने पर यह सारा जगत सुप्त हो जाता है और आपके जाग जाने पर सम्पूर्ण विश्व तथा चराचर भी जागृत हो जाते हैं। प्रार्थना करने के बाद भगवान को श्वेत वस्त्रों की शय्या पर शयन करा देना चाहिए।
देवशयनी एकादशी पर क्या न करें
– देवशयनी एकादशी पर भूलकर भी चावल न खाएं। धर्म ग्रंथों में एकादशी तिथि पर चावल का सेवन करना वर्जित माना गया है।
– देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु को उनकी सबसे प्रिय चीज तुलसी को उन्हें अर्पित करना न भूलें लेकिन इस बाद का ध्यान रखें कि तुलसी के पत्तों को तोड़ते हुए पवित्रता बनाएं रखें।
-देवशयनी एकादशी पर पीला ही वस्त्र पहनें भूलकर इस दिन काले कपड़े न पहनें।
– देवशयनी एकादशी पर बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना गया है।
उत्तर प्रदेश
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और डॉ. कुमार विश्वास ने संगम में लगाई डुबकी, गौतम अदानी ने की श्रद्धालुओं की सेवा
महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ 2025 के तहत संगम घाट पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास ने औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के साथ संगम के पवित्र जल में पुण्य की डुबकी लगाई। वहीं, देश के शीर्ष उद्योगपति गौतम अदानी ने श्रद्धालुओं के लिए चल रहे भंडारे में सेवा की और फिर बड़े हनुमान मंदिर में पूजन अर्चन किया।
रामनाथ कोविंद ने सपरिवार किया स्नान
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी पत्नी और पुत्री के साथ संगम की पवित्र त्रिवेणी में स्नान किया। इस दौरान मंत्री नंदी ने स्वयं उनका हाथ पकड़कर स्नान में सहयोग किया। स्नान के बाद मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने सपरिवार मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की पूजा-अर्चना की। उन्होंने महाकुम्भ की भव्यता और दिव्यता की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन भारत की आध्यात्मिक धरोहर और सांस्कृतिक समृद्धि का उत्कृष्ट उदाहरण है। पूर्व राष्ट्रपति ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की अवधारणा को देश के आर्थिक विकास के लिए गेम चेंजर बताया। उन्होंने कहा कि इससे देश की जीडीपी और आर्थिक स्थिति में व्यापक सुधार होगा।
कुमार विश्वास बोले- सामाजिक समरसता का परिचायक है महाकुम्भ
डॉ. कुमार विश्वास ने मां गंगा का जयकारा लगाते हुए स्नान किया। उन्होंने गंगा के महात्म्य पर अपनी कविता से सबको मंत्रमुग्ध करते हुए कहा कि
“तपस्वी राम के चरणों चढ़ी उपहार तक आई,
हमारी मां हमारे लोक के स्वीकार तक आई।”
उन्होंने कहा कि महाकुम्भ का यह आयोजन 144 वर्षों के बाद आया दुर्लभ संयोग है, जो भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में प्रेरणा देगा। उन्होंने सभी से राजनीतिक भेदभाव भूलकर इस सर्वसमावेशी आयोजन में भाग लेने का आह्वान किया। डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का सार है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक समरसता का परिचायक है, जो पूरे विश्व को एक नई दिशा देगा।
गौतम अदानी ने सेवा में तत्पर शासन-प्रशासन, सफाई कर्मियों और सुरक्षा बलों को कहा धन्यवाद
उद्योगपति गौतम अदानी ने इस्कॉन द्वारा संचालित इस्कॉन रसोई में सेवा की और श्रद्धालुओं को खाना खिलाया। उन्होंने महाकुम्भ को अद्भुत, अद्वितीय, एवं अलौकिक कहा। उन्होंने कहा कि प्रयागराज आकर ऐसा लगा मानो पूरी दुनिया की आस्था, सेवाभाव और संस्कृतियां यहीं मां गंगा की गोद में आकर समाहित हो गयी हैं। कुम्भ की भव्यता और दिव्यता सजीव बनाए रखने वाले सभी साधु, संत, कल्पवासी एवं श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर शासन-प्रशासन, सफाई कर्मियों और सुरक्षा बलों को मैं हृदय से धन्यवाद देता हूँ। मां गंगा का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे। गौतम अदानी संगम और हनुमान जी के दर्शन करते हुए शंकर विमान मंडपम पहुंचे, जहां मुख्य द्वार पर 21 वैदिक ब्राह्मणों ने ‘वैदिक वेलकम’ किया। उन्होंने विमान मंडपम मंदिर प्रांगण में मौजूद गीता प्रेस की आरती संग्रह पगोडा पर श्रद्धालुओं बातचीत भी की।
राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने दूसरे दिन भी किया पवित्र स्नान
उधर, राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए तीन दिन तक पवित्र स्नान और तर्पण करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा, “मैंने कल पवित्र स्नान किया, आज भी करूंगी और कल फिर करूंगी। मेरे नाना, नानी, दादा-दादी यहां नहीं आ सके, इसलिए उनकी ओर से तर्पण कर रही हूं। यह मेरे लिए गर्व और खुशी की बात है।” सुधा मूर्ति ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, “योगी जी और उनकी टीम ने यहां बहुत अच्छा काम किया है। मैं उनके लंबे जीवन की कामना करती हूं।”
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