ऑफ़बीट
Hug Day पर अपने पार्टनर को 20 सेकंड तक गले लगाने से शांत होता है दिमाग
फरवरी के महीने को प्यार का महीना बोलते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि ये वो महीना है जिसमें वैलेंटाइन वीक मनाया जाता है और इस हफ्ते के हर दिन में कुछ खास होता है. 7 फरवरी से लेकर 14 फरवरी तक हर रोज प्यार करने वालों के लिए कुछ न कुछ स्पेशल होता है. वहीं इस हफ्ते का एक दिन है हग डे यानी गले लगाने वाला दिन. ये हर साल 12 फरवरी को मनाया जाता है. हग डे का बहुत महत्व है और इसे काफी अच्छा माना जाता है. बता दें कि इस दिन प्यार और इजहार के बाद अपने साथी को गले लगाने से सुकून का अहसास होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 20 सेकेंड अपने साथी को गले लगाने से ही आपका दिमाग काफी हद तक शांत हो जाता है. चलिए हम यहां आपको बताएंगे गले लगने के क्या-क्या फायदे होते हैं.
इसलिए रोजाना लगाना चाहिए पार्टनर को गले-
हमारा स्ट्रेस कम करने के साथ-साथ ये हमारी एंग्जाइटी को भी कम करता है. 20 सेकेंड पार्टनर को गले लगाने से शरीर में ये बदलाव देखने को मिलते हैं.
स्ट्रेस लेवल कम होता है-
अपने पार्टनर को गले लगाना स्ट्रेस को कम करने में बहुत असरदार है. जैसे-जैसे आपका स्ट्रेस कम होता है वैसे-वैसे आपका मूड भी अच्छा होता है.
ब्लड प्रेशर को करता है कम-
क्या आपको पता है कि 10 मिनट हाथ पकड़ने से लेकर 20 सेकेंड तक गले लगाने तक आपका ब्लड प्रेशर लेवल काफी कम हो जाता है. इसलिए गले लगना रोमांटिक होने के साथ-साथ दिल की सेहत के लिए भी अच्छा है.
ये शरीर का दर्द कम करता है-
अगर आपको कहीं दर्द हो रहा है तो अपने पार्टनर के गले लगने से काफी आराम मिलता है. ऐसा इसलिए क्योंकि गले लगने से आपके शरीर में ऐसे हार्मोन पैदा होते हैं जिससे दर्द थोड़ा कम हो जाता है.
डर को करता है कम-
किसी को गले लगाने से आपका डर भी काफी कम हो जाता है. एंग्जाइटी और स्ट्रेस के कम होने के कारण होता है.
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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