प्रादेशिक
किसान सम्मान निधि योजना से ‘अन्नदाता’ के हितों का संरक्षण होगा: केशव प्रसाद मौर्य
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने किसान हितों को सर्वोपरि रखते हुए प्रधानमंत्री द्वारा पी०एम० किसान सम्मान निधि योजना के तहत जारी की गई आठवीं किस्त के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भारत सरकार के प्रति आभार जताया है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में कोरोना महामारी के दौरान भेजी गयी धनराशि से किसानों के हितों का संरक्षण होगा और ग्रामदेवता कहे जाने वाले अन्नदाता किसानों के स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त होगा। संकट के समय यह धनराशि आर्थिक संभल साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ,किसानों के लिए वरदान साबित हुई है ।सरकार का संकल्प है कि कहीं कोई भूखा न सोने पाये। कहा कि हमारे देश की ताकत हमारे किसान हैं ,जिन्होंने करोना काल में भी अपनी खेती में मेहनत करके उत्पादन किया।
केशव प्रसाद मौर्य ने अपने जारी बयान में कहा है कि अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर कृषि के नए चक्र की शुरुआत का समय है, । जब देश कोरोना के दौर से गुजर रहा है, ऐसे समय में किसानों के खातो में धनराशि ट्रांसफर करके प्रधानमंत्री जी ने देश के किसानों और गरीबों का पूरा ख्याल रखा है ।यह योजना खासकर छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
मौर्य ने कहा कि सरकार कोरोना से लड़ने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है।आक्सीजन की स्थिति बेहतर है। नए ऑक्सीजन प्लांट भी तेजी के साथ लगाए जा रहे हैं ।कालाबाजारी पर भी रोक लगाने के पर्याप्त प्रबंध किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से हम सबको मिलकर लड़ना होगा। श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हम सब लोग अपनी सोच में बदलाव लाकर कोरोना पर वार करें। लोगों के मन से करोना का भय मिटाएं। लोगों में जागरूकता पैदा करें। हमें मानवता का साथ निभाना होगा। एक दूसरे का सहयोग करना होगा। मदद के लिए हाथ बढ़ाना होगा। हम कोरौना पर निश्चित रूप से विजय हासिल करेंगे।
उत्तर प्रदेश
हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी
महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।
हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर
स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।
आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
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