Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

कुम्भ ख़त्म होने के बाद कहां चले जाते है नागा साधु, जानकर हैरान रह जाएंगे आप

Published

on

Loading

प्रयागराज में आयोजित हो रहे कुभं मेला में देशभर में नागा साधु आए है। इन साधुओं के मुंह पर महादेव का नाम, शरीर पर भस्म और हाथों में तीर-तलवार-त्रिशूल साथ रखते है।

IMAGE COPYRIGHT: GOOGLE

बहुत कम लोग जानते हैं कि कुंभ में आए साधु मेला ख़त्म होने के बाद ये आम साधु संन्यासी की तरह पूजा-पाठ व जाप करते हैं या फिर हिमालय की कंदराओं और घने जंगलों में तप के लिए निकल जाते हैं।

IMAGE COPYRIGHT: GOOGLE

नागा संन्यासी की माने तो दिगंबर शब्द दिग् व अम्बर के योग से बना है। दिग् यानी धरती और अम्बर यानी आकाश। आशय कि धरती जिसका बिछौना हो और अम्बर जिसका ओढ़ना।

नागा साधुओं का कहना है कि सालभर दिगम्बर अवस्था में रहना समाज में संभव नहीं है। निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी जो खुद भी पेशवाई के दौरान नागा रूप धारण करते हैं, कहते हैं कि समाज में आमतौर पर दिगम्बर स्वरूप स्वीकार्य नहीं है।

IMAGE COPYRIGHT: GOOGLE

नागा संन्यासी बनने के लिए वयस्क होना आवश्यक है। वयस्क होने पर उसे गंगा की शपथ दिलाई जाती है कि वह परिवार में नहीं जाएगा और न ही विवाह करेगा। आपको बता दें, समाज से अलग रहेगा, ईश्वर भक्ति करेगा। खुद का भी पिंडदान कराया जाता है।

Continue Reading

आध्यात्म

महाशिवरात्रि 2025 : जानें क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि का पर्व, क्या है पूजा विधि

Published

on

Loading

नई दिल्ली। हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन शाम को विशेष पूजा का महत्व है। माना जाता है कि भगवान शिव की रात्रि 4 पहर पूजा करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसे में इस अवसर आप भी भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा, व्रत और मंत्र आदि जप पर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मान्यता है कि महादेव अन्य देवों की तुलना बहुत दयालु हैं, उन्हें महज बेलपत्र चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है।

क्या है पूजा विधि?

सबसे पहले सुबह स्नान आदि करें और सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके बाद दूध-दही,शहद, घी और गंगाजल आदि से भोलेनाथ का अभिषेक करें। याद रहे कि जलाभिषेक करते समय आपका मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए। फिर शिवलिंग पर भस्म लगाएं और बेलपत्र, मोली,साबुत अक्षत, फल, पान-सुपारी अर्पित करें। फिर महादेव की आरती करें और शिवलिंग के सामने शिव गायत्री मंत्र “ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।” या फिर श‍िव नामावली मंत्र- श्री शिवाय नम:” का जप करें।

Continue Reading

Trending