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उत्तर प्रदेश

गाजियाबाद कोर्ट में फिर तेंदुए की पेशी, अदालत को किया गया बंद; सर्च अभियान जारी  

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Leopard seen again in Ghaziabad court

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गाजियाबाद। राष्ट्रीय राजधानी से सटे गाजियाबाद कोर्ट में आज गुरुवार को एक बार फिर तेंदुआ देखा गया है। हालांकि तेंदुए को एक बार फिर देखे जाने की चर्चा कल से ही चल रही थी, जिसको कल अफवाह मात्र बताया गया था जिसके बाद जांच की जा रही थी।

सूत्रों के अनुसार आज फिर सुबह 7:45 पर तेंदुए की तस्वीर सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई जिसके बाद हड़कंप की स्थिति बन गई। एहतियात के तौर पर कोर्ट  को बंद कर दिया गया है। अब वन विभाग और पुलिस के अधिकारी उसकी तलाश में सर्च अभियान चला रहे हैं।

बता दें कि एक सप्ताह पहले भी एक तेंदुए ने कोर्ट में घुसकर जम कर उत्पात मचाया था। हालांकि देर रात उसे पकड़ कर सहारनपुर में छोड़ दिया गया था।

इसी बीच बुधवार की सुबह एक बार फिर कोर्ट में तेंदुए के देखे जाने की खबर मिली। हालांकि शाम तक अधिकारियों ने इस खबर को अफवाह करार दिया और गुरुवार की सुबह समय से कोर्ट शुरू हो गया। इसी बीच परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे में इस तेंदुए की झलक दिख गई। इसके बाद हड़कंप मच गया। आनन फानन में कोर्ट परिसर को खाली कराते हुए उसकी तलाश शुरू कर दी गई है।

सुबह पौने आठ बजे दिखी हरकत

जानकारी के मुताबिक कोर्ट कर्मचारी सुबह नियमित समय से कोर्ट पहुंचे और अपना काम शुरू ही किया था कि सीसीटीवी रूप से तेंदुआ आने का शोर हुआ। देखने पर पता चला कि सुबह 7:45 बजे एक मादा तेंदुआ और उसके पीछे पीछे शावक तेंदुआ कोर्ट परिसर में घूम रहा है। इसे देखते ही कोर्ट में आए वकीलों और वादकारियों में हड़कंप मच गया। कोर्ट के अंदर भी गेट बंद कर दिए गए।

बार एसोसिएशन ने बंद कराया कोर्ट

जिला बार एसोसिएशन ने तेंदुए को लेकर दहशत की स्थिति को देखते हुए सभी वकीलों को कोर्ट से बाहर निकल जाने को कहा। इसी के साथ एसोसिएशन ने पत्र जारी कर न्यायिक कार्य बंद रखने की जानकारी दी। वहीं वकीलों ने दहशतग्रस्त वादकारियों को बिना भगदड़ मचाए परिसर से बाहर निकल जाने को कहा।

वन विभाग ने शुरू कराया सर्च अभियान

कोर्ट में एक बार फिर तेंदुआ होने की सूचना पर 12 सदस्यीय वन विभाग की टीम कोर्ट पहुंची और सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। हालांकि करीब घंटे भर के सर्च ऑपरेशन के बाद भी कहीं तेंदुआ नजर नहीं आया है। आशंका है कि यह तेंदुआ किसी पेड़ पर या इमारत के मुंडेर पर छिपा हुआ हो सकता है।

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उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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