प्रादेशिक
तमिलनाडु: टाटा ग्रुप के प्लांट में लगी भीषण आग, 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी करते हैं काम
तमिलनाडु /कृष्णागिरी। तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में स्थित टाटा के स्वामित्व वाली सेलफोन स्पेयर पार्ट बनाने वाली फैक्ट्री में आग लगने का मामला सामने आया है। आग लगने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल है। बता दें कि ये फैक्ट्री होसुर के पास थिमजेपल्ली पंचायत के अंतर्गत कुथानपल्ली गांव में मौजूद है। इस फैक्ट्री में सेलफोन के स्पेयर पार्ट बनाए जाते हैं।
फैक्ट्री में 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। हालांकि आग लगने की इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। वहीं आग पर काबू पाने का काम अभी भी जारी है।
दरअसल, टाटा इंडस्ट्रियल रोड पर स्थित केमिकल एनो प्लांट में आज सुबह भीषण आग लग गई। आग लगने से फैक्ट्री का सामान जलकर खाक हो गया। वहीं आग लगने का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें धुएं का गुबार देखा जा सकता है। आग लगने की वजह से आसमान में धुआं छा गया। आग लगने के बाद शुरुआत में कर्मचारियों ने फैक्ट्री में मौजूद दमकल गाड़ी से आग बुझाने का प्रयास किया।
वहीं जब आग पर काबू नहीं पाया जा सकता तब रायकोट्टई और ढेंकानीकोट्टई इलाके से दमकल की गाड़ियों को बुलाया गया। दमकल विभाग की गाड़ियां अभी भी आग बुझाने का प्रयास कर रही हैं।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार ने पीड़ित एससी/एसटी परिवारों के लिए आवंटित किए 1400 करोड़ से अधिक रुपये
लखनऊ | योगी सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के अधिकारों व हितों की रक्षा के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। योगी सरकार ने हत्या, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार की पीड़िताओं को साढ़े सात वर्ष में 1447 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी है। यह सहायता अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989) और नागरिक अधिकार संरक्षण (पीसीआर) अधिनियम के तहत प्रदान की जाती है। अपराध की गंभीरता के आधार पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीड़ितों और उनके परिवारों को जरूरत पर सरकार की तरफ से मदद मिले। केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार यह सहायता 85,000 रुपये से 8.25 लाख रुपये तक होती है।
पीड़ितों को समय पर आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करती है प्रदेश सरकार
समाज कल्याण विभाग के निदेशक कुमार प्रशांत ने बताया कि राज्य सरकार का उद्देश्य पीड़ितों और उनके परिवारों को समय पर आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया के दौरान उन्हें सहायता मिल सके। इस पहल के तहत सरकार यह सुनिश्चित करती है कि परिवारों को जांच और परीक्षण के महत्वपूर्ण बिंदुओं के आधार पर आवश्यक सहायता मिले।
जनपद स्तर पर जिलाधिकारी व तहसील स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में गठित है समिति
विभिन्न अपराधों से पीड़ित एससी-एसटी की महिलाओं को न्याय मिले। इसके लिए जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला सतर्कता व मॉनीटरिंग समिति कार्य करती है, जबकि तहसील स्तर पर उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में उपखंड स्तरीय सतर्कता एवं मॉनीटरिंग समिति की व्यवस्था की गई है।
अपराध की प्रकृति के आधार पर निर्धारित की जाती है सहायता
हत्या या अत्याचार के कारण मृत्यु होने पर परिजनों को 8.25 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिलती है। इसमें मुआवजा दो चरणों में वितरित किया जाता है। 50 प्रतिशत राशि पोस्टमार्टम के तुरंत बाद और शेष 50 प्रतिशत औपचारिक रूप से अदालत में चार्जशीट जमा होने के बाद प्रदान की जाती है।
बलात्कार या सामूहिक बलात्कार (धारा 375, भारतीय दंड संहिता) के मामले में, पीड़ित 5.25 लाख रुपये की वित्तीय सहायता के हकदार हैं। कानूनी प्रक्रिया के दौरान यह सहायता चरणबद्ध तरीके से प्रदान की जाती है। कुल 50 प्रतिशत राशि मेडिकल जांच और मेडिकल रिपोर्ट की पुष्टि के बाद दी जाती है, 25 प्रतिशत राशि कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होने के बाद दी जाती है और अंतिम 25 प्रतिशत राशि निचली अदालत में मुकदमा समाप्त होने के बाद दी जाती है। धारा 376 घ के तहत सामूहिक बलात्कार की पीड़िता को राज्य सरकार 8.25 लाख रुपये प्रदान करती है। इसमें 50 प्रतिशत राशि मेडिकल जांच और मेडिकल रिपोर्ट के सत्यापन के बाद दी जाती है। 25 प्रतिशत राशि कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होने के बाद दी जाती है। अंतिम 25 प्रतिशत राशि निचली अदालत में मुकदमा समाप्त होने पर दी जाती है।
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