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नेशनल

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, औद्योगिक शराब पर कानून बनाने की राज्य की शक्ति को नहीं छीना जा सकता

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि औद्योगिक शराब पर कानून बनाने की राज्य की शक्ति को नहीं छीना जा सकता है। देश की शीर्ष अदालत ने 8:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि राज्यों के पास औद्योगिक अल्कोहल को रेग्यूलेट करने का अधिकार है।

इस बार कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है वो इसलिए भी खास है क्योंकि संविधान पीठ के 9 जजों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत से ये फैसला लिया है. वहीं, पीठ में शामिल जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इसे लेकर असहमति जताई है. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने बहुमत का फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राज्यों को मिला और राजस्व अधिकार कहा कि औद्योगिक अल्कोहल और इसके कच्चे माल सहित सभी प्रकार के अल्कोहल पर उनके पास विधायी कर नियंत्रण है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि 1951 अधिनियम की धारा 18-जी की व्याख्या के संबंध में सिंथेटिक्स एंड केमिकल मामले (सुप्रा) में निर्णय को कायम रहने की अनुमति दी जाती है, तो यह सूची III की प्रविष्टि 33 (ए) के प्रावधानों को निरर्थक बना देगा.इसके बाद मामला नौ जजों की बेंच के पास भेजा गया. गौरतलब है कि प्रविष्टि 33 सूची III के अलावा, प्रविष्टि 8 सूची II भी ‘नशीली शराब’के संबंध में राज्य को विनियमन शक्तियां प्रदान करती है

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नेशनल

World Meditates With Gurudev कार्यक्रम ने रचा इतिहास, 180 से ज्यादा देशों के लोग हुए शामिल

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बेंगलुरु। विश्व ध्यान दिवस पर आयोजित World Meditates With Gurudev कार्यक्रम ने इतिहास रच दिया है। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने ऑन लाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से दुनिया भर के 85 लाख से ज्यादा लोगों को सामूहिक ध्यान कराया। इस कार्यक्रम ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनियन में जगह बनाते हुए पिछले सारे रिकॉर्ड्स तोड़ दिए। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम ने सामूहिक ध्यान के लिए दुनिया भर के लोगों को एक साथ जोड़ा।

180 से ज्यादा देशों के लोग शामिल हुए

दरअसल, पूरी दुनिया ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के तौर पर मनाया। इसी क्रम में यह कार्यक्रम आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में 180 से ज्यादा देशों के लोग शामिल हुए और इसके माध्यम से ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति को प्रदर्शित किया। श्री श्री रविशंकर संयुक्त राष्ट्र में विश्व ध्यान दिवस के उद्घाटन कार्यक्रम में भी शामिल हुए। संयुक्त राष्ट्र में उद्घाटन समारोह से शुरू होकर अपने समापन तक यह कार्यक्रम दुनिया के महाद्वीपों में ध्यान की लहर फैलाता चला गया।

ये रिकॉर्ड टूटे

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

YouTube पर ध्यान के लाइव स्ट्रीम के सबसे ज़्यादा दर्शक

एशिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स

⁠एक दिवसीय ध्यान में भारत के सभी राज्यों से अधिकतम भागीदारी
एक दिवसीय ध्यान में अधिकतम Nationalities ने हिस्सा लिया

 

 

 

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