प्रादेशिक
बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है जिसके शारीरिक एवं मानसिक रूप से गम्भीर दुष्प्रभाव होते हैं
लखनऊ। राज्य महिला आयोग उत्तर प्रदेश की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह ने बताया कि किसी भी बालिका, जिसने अपनी आयु 18 वर्ष पूर्ण न की हो एवं किसी भी बालक/युवा जिसने अपनी आयु 21 वर्ष पूर्ण न की हो, का विवाह कराया जाना प्रतिबन्धित है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत बाल विवाह एक दण्डनीय अपराध है तथा बाल विवाह में प्रतिभाग करने वाले व्यक्तियों पर भी कानूनी कार्यवाही का प्राविधान किया गया है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के प्राविधानों के अन्तर्गत बाल विवाह करने वाले व्यवस्क पुरूष के लिए एवं बाल विवाह का अनुष्ठान करने वाले व्यक्तियों के लिए 02 वर्ष के कठोर कारावास या 01 लाख रूपये तक के जुमाने का प्राविधान है।
सुषमा सिंह ने बताया कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है जिसके शारीरिक एवं मानसिक रूप से गम्भीर दुष्प्रभाव होते हैं।अक्षय तृतीया (आखा तीज) के अवसर पर बाल विवाह करने की रूढ़िवादी परम्परा समाज में प्रचलित रही है। वर्ष 2021 में अक्षय तृतीया 14 मई, 2021 को पड़ रही है। बाल विवाह की रोकथाम हेतु सरकार के द्वारा समस्त जनपदों में विभिन्न प्रकार के जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।
सुषमा सिंह ने बताया कि बाल विवाह कराने में सम्मिलित व्यक्तियों के विरूद्ध नियमानुसार कानूनी कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने वैवाहिक आयोजन कराने वाले प्रिन्टिंग प्रेस, टेन्ट व्यवसायी, मैरिज हॉल, बैण्ड बाजा, कैटरर्स, फोटो ग्राफर, पुरोहित, मौलवी इत्यादि व्यक्तियों एवं संस्थाओं से भी यह अपेक्षा की है कि वैवाहिक आयोजन कराने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि वधु की आयु 18 वर्ष एवं वर की आयु 21 वर्ष से कम न हो। उन्होंने सभी जनपदों के सभी सम्मानित व्यक्तियों से अनुरोध किया है कि यदि बाल विवाह से सम्बन्धित कोई प्रकरण आपके संज्ञान आने पर तत्काल 112 पुलिस हेल्पलाईन नम्बर, 1098 चाइल्ड हेल्पलाईन नम्बर, 181 महिला हेल्पलाईन नम्बर या स्थानीय पुलिस स्टेशन/चैकी को सूचित करने के साथ साथ महिला आयोग से भी सम्पर्क कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश
शामली मुठभेड़ में घायल हुए STF इंस्पेक्टर सुनील कुमार शहीद, गुरुग्राम के मेदांता में चल रहा था इलाज
गुरुग्राम। उत्तर प्रदेश के शामली में हुई एक मुठभेड़ के दौरान स्पेशल टास्क फोर्स ने चार कुख्यात अपराधियों को ढेर कर दिया। इस अभियान में एसटीएफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया।
इस घटना में मारा गया मुख्य अपराधी अरशद जिसके सिर पर 1 लाख रुपए का इनाम था। अपने तीन साथियों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। यह घटना कानून-व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। लेकिन एसटीएफ ने इस दौरान एक वीर अधिकारी को खो दिया।
शुरू में उन्हें करनाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन बाद में हालत खराब होने पर गुरुग्राम के मेदांता में रेफर किया गया। बीते 24 घंटे खतरे से बाहर नहीं हुए थे इंस्पेक्टर सुनील कुमार। वह वहां आईसीसीयू में भर्ती थे।
बताया जा रहा है कि एक गोली इंस्पेक्टर के लिवर को पार करके पीठ में अटक गई थी। इसे निकाला संभव नहीं था, इसलिए इसे छोड़ दिया गया।इंस्पेक्टर सुनील कुमार ठोकिया एनकाउंटर में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर हेड कांस्टेबल से सब इंस्पेक्टर बने थे। शामली में सोमवार देर रात कग्गा गैंग के चार बदमाशों के एनकाउंटर में इंस्पेक्टर सुनील कुमार भी शामिल थे। बदमाश एक कार में सवार थे। घेरे जाने पर उन्होंने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी। इसी में सुनील कुमार घायल हुए थे। जवाबी कार्रवाई में STF ने चार बदमाशों को मार गिराया था।
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