उत्तर प्रदेश
जीत की गारंटी बन गए हैं योगी
लखनऊ | योगी आदित्यनाथ यानी जीत की गारंटी का नाम। विकास, रोजगार, सख्त कानून व्यवस्था, समृद्धि की बदौलत उत्तर प्रदेश के प्रति लोगों के मन में धारणा बदलने वाले योगी आदित्यनाथ की स्वीकार्यता अपने प्रदेश के ‘मन-मन’ के साथ अन्य प्रदेशों के ‘जन-जन’ में बढ़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव, उपचुनाव, विधान परिषद उपचुनाव, नगर निकाय चुनावों में भाजपा व एनडीए को जीत दिलाई तो अन्य राज्यों में भी भाजपा कार्यकर्ता के रूप में खूब पसीना बहाया। लिहाजा पीएम मोदी के नेतृत्व में कई राज्यों में भाजपा सरकार बनी। इसमें योगी आदित्यनाथ ने भी काफी मेहनत की। कुंदरकी व कटेहरी में भी कमल खिलाकर भाजपा ने नेतृत्व को विश्वास दिला दिया कि यूपी को योगी का ही साथ पसंद है, लिहाजा जन-जन ने योगी आदित्यनाथ को जीत की गारंटी मान लिया है।
निकाय चुनाव में भी भाजपा का क्लीन स्वीप, 17 में खिला कमल
योगी की रणनीति व संवाद का ही असर रहा कि इस बार निकाय चुनाव में भी भाजपा ने क्लीन स्वीप किया। इस बार यूपी की सभी 17 की 17 नगर निगमों में भारतीय जनता पार्टी के महापौर निर्वाचित हुए हैं, जबकि पिछली बार 2017 में यह आंकड़ा 16 में से 14 का था। पिछली बार यूपी में भाजपा के 596 पार्षद जीते थे, जबकि इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 813 हो गया। शहरों में भाजपा की यह जीत योगी के विकास परक नीति पर आमजन की मुहर है। नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर 2017 में भाजपा को 60 सीटों पर जीत मिली थी। 199 सीटों में से यह आंकड़ा इस बार बढ़कर 88 पहुंच गया। पालिका परिषद सदस्यों में पिछली बार भाजपा को 923 सीट मिली थी, 2023 में यह बढ़कर 1353 हो गई। नगर पंचायतों में भी 191 सीटों में अध्यक्ष पद पर भाजपा के प्रतिनिधि काबिज हुए। 2017 में यह आंकड़ा 100 का था। योगी के नेतृत्व में 2023 में 91 सीटें और बढ़कर भाजपा की झोली में आई, वोट प्रतिशत में भी खूब इजाफा हुआ। भाजपा के नगर पंचायत सदस्यों की संख्या भी 664 से बढ़कर 1403 हो गई। वहीं नगर निगम, पंचायत व पालिका में भी सपा की साइकिल पंचर हो गई तो बसपा का हाथी भी गिर गया। निकाय चुनाव में भी सपा-बसपा का ग्राफ जबर्दस्त गिरा।
विधान परिषद चुनावः अखिलेश की कुटिल चाल पर योगी की कुशल रणनीति पड़ी भारी
लक्ष्मण आचार्य के महामहिम राज्यपाल व बनवारी लाल दोहरे के निधन के कारण मई में विधान परिषद की दो सीटों पर उपचुनाव हुए। 403 में से 396 वोट पड़े थे, जबकि एक अवैध हो गया। सीएम योगी की कुशल रणनीति से अखिलेश की कुटिल चाल यहां भी धरी की धरी रह गई। भाजपा प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह 280 व पद्मसेन चौधरी 279 मत पाकर परिषद पहुंचे, जबकि सपा के रामकरण निर्मल को मज 116 व रामजतन राजभर को 115 वोट से ही संतोष करना पड़ा था। जुलाई में हुए विधान परिषद उपचुनाव में भी सरकार के मुखिया के तौर पर सीएम योगी के नेतृत्व में बहोरन लाल मौर्य निर्विरोध सदन पहुंचे।
अन्य राज्यों में भी पीएम के नेतृत्व में मिली जीत, कार्यकर्ता के रूप में योगी ने बहाया पसीना
पीएम मोदी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में भी महायुति गठबंधन ने फिर से सत्ता हासिल की। पीएम के निर्देशन में योगी आदित्यनाथ ने यहां जनसभा कर 24 प्रत्याशियों के लिए वोट की अपील की। इनमें से 22 पर महायुति गठबंधन ने जीत हासिल की। त्रिपुरा में योगी ने दो दिन में छह रैलियां और रोड शो किया था। इन सबमें कमल खिला और पीएम मोदी के मार्गदर्शन में भाजपा सरकार बनी। मई में ओडिशा में हुए चुनाव में भी योगी आदित्यनाथ का जादू चला। यहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी योगी का आह्वान जनता तक पहुंचा। ओडिशा में नवीन पटनायक सरकार गिरी और भाजपा सरकार ने सत्ता संभाली। राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में भी पीएम मोदी के मार्गदर्शन में योगी आदित्यनाथ ने भाजपा कार्यकर्ता के रूप में चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया। इन राज्यों में भी कमल खिला।
विधानसभा चुनाव व उपचुनाव में भी योगी-योगी, रामपुर में कमल को पहली बार मिला ‘आकाश’
विधानसभा चुनाव में योगी के जादू का ही असर है कि दोबारा सत्ता में भाजपा की वापसी हुई। योगी निरंतर सभी जनपदों में संवाद, विकास के बलबूते लोगों से मिलते रहे। इसका परिणाम विधानसभा उपचुनावों में भी दिखा। 2024 में हुए उपचुनाव हों या इसके पहले के उपचुनाव, भाजपा ने जबर्दस्त जीत हासिल की। योगी ने विकास से रामपुर की कमान संभाली तो 10 बार के विधायक आजम खां का किला भी ढह गया। यहां योगी के नेतृत्व में कमल को पहली बार आकाश मिला। यहां सपा के आसिम रजा राजा नहीं बन पाए। इस चुनाव में 21वां अंक भाजपा के लिए लकी साबित हुआ। 21वें राउंड के बाद से ही भाजपा ने यहां बढ़त हासिल की, जो अंतिम तक बरकरार रही।
विधानसभा उपचुनाव में भाजपा व सहयोगी दलों की जीत
गोला गोकर्णनाथ- अमन गिरि
छानबे- रिंकी कोल (अपना दल एस)
रामपुर- आकाश सक्सेना
स्वार टांडा- शफीक अंसारी (अपना दल एस)
ददरौल-अरविंद सिंह
लखनऊ पूर्वी-ओपी श्रीवास्तव
कुंदरकी- रामवीर सिंह
गाजियाबाद- संजीव शर्मा
फूलपुर-दीपक पटेल
मझवा-सुचिस्मिता मौर्य
कटेहरी धर्मराज निषाद
खैर- सुरेंद्र दिलेर
मीरापुर- मिथिलेश पाल (रालोद)
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन
महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।
महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान
महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम
दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।
महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।
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