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मुख्य समाचार

कश्मीर हिंसा में तीन नागरिकों व घायल पुलिसकर्मी की मौत

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कश्मीर घाटी में हिंसा, ईद-उल-अजहा, उग्र भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प, तीन नागरिकों की मौत, दो प्रदर्शनकारियों की मौत

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कश्मीर घाटी में हिंसा, ईद-उल-अजहा, उग्र भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प, तीन नागरिकों की मौत, दो प्रदर्शनकारियों की मौत

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श्रीनगर| कश्मीर घाटी में मंगलवार को ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मौके पर उग्र भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच हुई हिंसक झड़पों में तीन नागरिकों की मौत हो गई। पिछले माह घायल एक पुलिसकर्मी ने भी मंगलवार को दम तोड़ दिया। शोपियां और बांदीपोरा जिलों में सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़पों में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई।

वहीं, पुलवामा जिले के अवंतीपोरा कस्बे में एक अन्य नागरिक की उस वक्त मस्जिद में दिल का दौरा पड़ने से जान चली गई, जब आंसू गैस का गोला मस्जिद में जा पहुंचा। पिछले 20 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब प्रशासन ने श्रीनगर में ईद के दिन कर्फ्यू लगाया। प्रशासन को ऐसी खुफिया रिपोर्ट मिली थी कि अलगाववादियों ने नमाज के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा की साजिश की है।

कश्मीर के शोपियां जिले में भीड़ ने कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए सुरक्षा बलों पर पथराव शुरू कर दिया। सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पैलेट दागे। इस दौरान शाहिद अहमद (24) की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए।

कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतीपोरा कस्बे में सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसूगैस के गोले छोड़े, जो अचानक मस्जिद में जा गिरा। इस दौरान वहां मौजूद जलालुद्दीन (45) की दिल का दौरा पड़ने से जान चली गई। इससे पहले बांदीपोरा जिले में एक युवक मुर्तजा (25) की सुरक्षा बलों के साथ झड़प में मौत हो गई थी। इस बीच, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर नौहट्टा में एक मुठभेड़ के दौरान घायल हुए पुलिस कांस्टेबल रउफ अहमद ने मंगलवार को दम तोड़ दिया। घाटी में 1990 के दशक के शुरुआती वर्षो के बाद पहली बार ईद पर लोगों को एकत्र होने की अनुमति नहीं दी गई।

यहां मंगलवार को लोगों ने केवल मस्जिदों में ईद की नमाज अदा की और वहां भी बहुत भीड़ नहीं देखी गई। कश्मीर घाटी में ईद का उत्साह नहीं देखा गया। अधिकांश लोगों ने हिंसा व झड़पों की वजह से घरों में ही रहना पसंद किया, जबकि आम तौर पर इस दिन मुसलमान समुदाय के लोग अपने रिश्तेदारों व मित्रों के घर आते-जाते हैं। कश्मीर घाटी में आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद नौ जुलाई से जारी हिंसा व तनाव में मरने वालों की संख्या बढ़कर 86 हो गई है, जबकि हजारों घायल हुए हैं।

नेशनल

जम्मू-कश्मीर: आतंकियों ने सेना के दो जवानों का किया अपहरण, एक भागने में कामयाब, दूसरे का गोलियों से छलनी शव मिला

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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के जंगली इलाके में आतंकियों ने सेना के 2 जवानों का अपहरण कर लिया। हालांकि, एक जवान आतंकियों के चंगुल से छूटकर वापस आने में कामयाब हो गया है, लेकिन दूसरे की बेरहमी से ह्त्या कर दी गई है। उसका गोलियों से छलनी शव बरामद हुआ है।

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार दोनों जवान प्रादेशिक सेना की 161वीं इकाई के हैं। 8 अक्टूबर को शुरू किए गए आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान जंगली इलाके से उन्हें अगवा किया गया। इनमें से एक जवान भागने में सफल रहा। उसे दो गोली लगी है। बुधवार सुबह दूसरे जवान का शव मिला। उसके शरीर पर गोलियों के कई निशान हैं।

घायल जवान को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसकी स्थिति स्टेबल है। आतंकियों की तलाश के लिए पूरे इलाके की घेराबंदी की गई है। बड़े स्तर पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

बता दें कि यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब 8 अक्टूबर को ही जम्मू-कश्मीर में मतगणना संपन्न हुई है और अब यहां नई सरकार बनने जा रही है। नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन यहां सरकार बनाने जा रही है। अब राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार की भी चुनौती बढ़ जाएगी। सफल चुनाव आयोजन से पाकिस्तान और पाक परस्त संगठन खार खाए बैठे हैं। इसके बाद अब यहां आतंकी गतिविधियों में भारी इजाफा होने की आशंका है।

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