प्रादेशिक
निकाय चुनाव : कांग्रेसी नेता की फिसली जुबान, बोले-पूर्व सीएम उनकी जेब में रहते थे
कानपुर। सूबे में निकाय चुनाव बेहद करीब है। ऐसे में राजनीति बयानबाजी चरम पर देखी जा सकती है। कई पार्टी के नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए सारी मार्यादाओं को लांघने पर उतारू हो गए है। इसी कड़ी में कांग्रेस के नेता ने अपनी भाषा की सारी हदों को लाघते हुए बोला कि अखिलेश यादव उनकी जेब में रहते थे।
इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी पर भी अपशब्द कहने से रूके नहीं। कानपुर से वायरल हुए इस वीडियो में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता अजय कपूर ने सपा के मुखिया पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि पिछले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनकी जेब में रहते थे। आगे उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया। वीडियो वायरल भी हो गया। हालांकि इस पूरे मामले तब नया मोड आ गया जब मुख्यमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर पूर्व विधायक अजय कपूर फंस गए हैं। जोनल मजिस्ट्रेट की तहरीर पर किदवई नगर पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
उधर वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि उन्होंने अखिलेश यादव के साथ-साथ योगी को भी लपेटा है। कानपुर से वायरल हुए इस वीडियो को बीजेपी संगठन ने कार्रवाई के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय कपूर ने विवादास्पद बयान को लेकर बीजेपी में काफी गुस्सा है।
गौरतलब हो कि अजय कपूर कानपुर इलाके के गोविंद नगर और किदवई नगर कांग्रेस के चार बार विधायक रहे चुके हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस विधायक होने के बावजूद उत्तर प्रदेश की पिछली समाजवादी पार्टी से उनकी करीबी किसी से छिपी नहीं थी। कुल मिलाकर इस बयान को लेकर अजय कपूर पर एक्शन के लिए कई लोग दबाव बना रहे हैं।
नेशनल
हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी
सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.
गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी
हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।
एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब
काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी, मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.
केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल
चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.
टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी
टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…
एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट
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