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भाजपा के एम.जे. अकबर राज्यसभा उपचुनाव जीते
रांची। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एम.जे. अकबर ने झारखंड से राज्यसभा उपचुनाव जीत लिया है। अकबर ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार हाजी हसन अंसारी को 19 मतों के अंतर से हराया। धन की हेराफेरी के आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने भी अकबर को समर्थन दिया है।
झारखंड के 81 सदस्यीय विधानसभा में एक सीट रिक्त है, जबकि जेल में बंद दो निर्दलीय उम्मीदवारों को अदालत से मतदान की अनुमति नहीं मिली। इसके साथ ही भाजपा की सहयोगी पार्टी आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) एवं झारखंड जल संसाधन मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी का मत रद्द कर दिया गया। झारखंड विधानसभा के महासचिव और उपचुनाव के निर्वाचन अधिकारी सुशील कुमार सिंह ने कहा कि अकबर को 48 मत मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को 29 मत मिले।
अकबर को भाजपा के 43 विधायकों और आजसू के तीन विधायकों का मत मिला। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा, बहुजन समाज पार्टी के एकमात्र विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने भी अकबर के समर्थन में मत दिया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के हाजी हसन अंसारी को अपनी पार्टी के 19 मत मिले। इसके साथ ही कांग्रेस के छह और झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के दो विधायकों का भी समर्थन मिला। अंसारी को मार्क्स वादी समन्वय समिति और सीपीआई मार्क्सकवादी-लेनिनवादी के एक-एक सदस्यों का भी समर्थन मिला।
यह उपचुनाव के.डी. सिंह के इस्तीफे की वजह से करवाया गया। पहले वह झारखंड से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे और बाद में 2014 में पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा सदस्य चुने गए। अकबर का कार्यकाल जुलाई 2016 तक रहेगा।
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हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी
सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.
गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी
हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।
एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब
काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी, मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.
केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल
चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.
टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी
टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…
एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट
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