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वसुंधरा राजे पहुंचीं दिल्ली, पीएम मोदी व शाह को दे सकती हैं सफाई

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वसुंधरा राजे पहुंचीं दिल्ली, पीएम मोदी व शाह को दे सकती हैं सफाई

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नई दिल्ली। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर सकती हैं जिसमें वह ललित मोदी विवाद पर अपनी सफाई दे सकती हैं। उल्लेखनीय है कि राजे को शनिवार को ही दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेना है। हालांकि भाजपा ने इस मामले में उन्हें पहले ही क्लीन चिट दे दी है, लेकिन विपक्ष लगातार उनके खिलाफ नए-नए ख़ुलासे कर रहा है। अब कांग्रेस ने ललित मोदी और वसुंधरा राजे के बिज़नेस पार्टनर होने का आरोप लगाया है।

सूत्रों के अनुसार, वसुंधरा की दिल्ली यात्रा के दौरान पीएम और पार्टी आलाकमान से मिलकर ललित मोदी विवाद पर अपनी सफाई पेश करने की प्रबल संभावना है। वसुंधरा ने इस बैठक में भाग लेने के लिए लंदन यात्रा की अपनी योजना रद्द कर दी थी।

इस बीच कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राजे के सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह की जिस कंपनी में आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी ने 13 करोड़ रुपये निवेश किए थे, उसमें राजे सीधे तौर पर लाभान्वित थीं। कांग्रेस ने साल 2013 में चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल राजे का एक हलफनामा जारी किया है, जिसमें दिखाया गया है कि दुष्यंत के मालिकाना हक वाली कंपनी नियंत हेरीटेज होटल में उनके 3280 शेयर हैं। ललित ने हर 10 रुपए के शेयर के लिए 96 हजार रुपए प्रति शेयर की अधिक दर से 11 करोड़ रुपए इस कंपनी में निवेश किए थे। इस खुलासे ने इन आरोपों को जन्म दिया है कि राजे को ललित के विवादास्पद निवेशों से फायदा हुआ।

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हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी

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सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे  पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी

हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।

एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब

काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.

केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल

चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.

टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी

टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…

एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट

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