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उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की सेवा में लगेंगी परिवहन निगम की 40 इलेक्ट्रिक बसें

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महाकु्म्भ नगर। महाकुम्भ के दौरान श्रद्धालुओं को परिवहन सेवा सुलभ कराने के लिए योगी सरकार इलेक्ट्रिक बसों का संचालन करने जा रही है। महाकुम्भ से पहले प्रयागराज में 10 से 15 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू हो जाएगा, जबकि 29 जनवरी को मौनी अवास्या के प्रमुख स्नान पर्व तक 30 और बसों को लखनऊ मुख्यालय से प्रयागराज भेज दिया जाएगा। इलेक्ट्रिक बसें विभिन्न रूटों पर श्रद्धालुओं को परिवहन सेवा उपलब्ध कराएंगी और उनके सफर को आसान बनाएंगी। उल्लेखनीय है कि 13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुम्भ में करोड़ों लोगों के आने का अनुमान है। ऐसे में ये इलेक्ट्रिक बसें परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

महाकुम्भ से पूर्व पहुंचेंगी 10 से 15 बसें

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के जीएम प्राविधिक अजीत कुमार सिंह ने बताया कि महाकुम्भ मेला के प्रारंभ होने से पूर्व 10 से 15 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन प्रयागराज में शुरू हो जाएगा। वहीं, मौनी अमावस्या पर्व के पूर्व लगभग 30 से 40 बसें प्रयागराज पहुंच जाएंगी। इन बसों की सप्लाई स्विच मोबिलिटी द्वारा की जा रही है। बसों की लंबाई 12 मीटर है तथा एक चार्जिंग में यह लगभग 200 किलोमीटर से अधिक संचालित की जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि नई इलेक्ट्रिक बसें जो परिवहन निगम को प्राप्त हो रही हैं उनको सीधे प्रयागराज क्षेत्र ही भेजा जा रहा है। पूर्व में इनका प्री डिलीवी इंस्पेक्शन कानपुर में किया जाता था, लेकिन महाकुम्भ मेले के दृष्टिगत इन बसों का प्रयागराज क्षेत्र में ही प्रयाग डिपो के अंतर्गत चेकिंग की जाएगी तथा रजिस्ट्रेशन करने के उपरांत इनको वहीं पर संचालित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय प्रबंधक प्रयागराज द्वारा मार्गो को चिन्हित कर लिया गया है, जिन पर इनका संचालन कराया जाएगा।

रूट प्लान भी तैयार

प्रयागराज परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक एमके त्रिवेदी ने बताया कि इलेक्ट्रिक बसों के लिए शहर और बाहर दोनों का रूट प्लान तैयार है। उन्होंने बताया कि नेहरू पार्क, बेला कछार और अंदावा समेत प्रयागराज में बसों की चार्जिंग की 4 जगह व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गई है। मेला प्रशासन और पुलिस के द्वारा इनके रूट भी तय किए जा चुके हैं। पीक डेज में कुल 6 रूट्स पर बसों का संचालन होगा, जबकि सामान्य दिनों में 11 रूट्स पर इलेक्ट्रिक बसें दौड़ेंगी। उन्होंने बताया कि बसों के आते ही उनका संचालन तत्काल प्रभाव से शुरू कर दिया जाएगा।

द्वितीय चरण में डबल डेकर बसें भी होंगी संचालित

परिवहन विभाग द्वितीय चरण में डबल डेकर बसें भी संचालित करेगा। विभाग को दूसरे चरण में कुल 120 इलेक्ट्रिक बसें मिलने की संभावना है। इनमें से 20 बसें डबल डेकर होंगी तथा 100 बसें 9 मीटर और 12 मीटर की होगी। 20 डबल डेकर की आपूर्ति स्विच मोबिलिटी के अलावा अन्य दो प्रकार की बसों की आपूर्ति में पिनेकल मोबिलिटी प्रा. लि. द्वारा की जाएगी। महाकुम्भ के दौरान इन बसों का संचालन मुश्किल है।

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उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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