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उत्तर प्रदेश

धान खरीद के लिए 4000 क्रय केंद्र स्थापित, पश्चिमी यूपी में मंगलवार से होगी खरीद

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लखनऊ | पहली अक्टूबर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान खरीद शुरू हो जाएगी। लखनऊ संभाग के जनपदों में अलग-अलग तिथियों में खरीद होगी। हरदोई, लखीमपुर खीरी, सीतापुर में पहली अक्टूबर तथा लखनऊ, रायबरेली व उन्नाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ पहली नवंबर को खरीद होगी। धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2300 रुपये व धान ग्रेड ए का 2320 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित किया गया है। किसानों को धान की उतराई, छनाई व सफाई की मद में 20 रुपये प्रति कुंतल की दर से प्रतिपूर्ति की जाएगी। उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में किसानों द्वारा धान बिक्री के लिए खाद्य-रसद विभाग व अन्य क्रय एजेंसियों के कुल 4000 क्रय केंद्र निर्धारित किए गए हैं। योगी सरकार ने किसानों को 48 घंटे के भीतर भुगतान कराने का निर्देश दिया है।

30 दिन में लगभग 32 हजार किसानों ने कराया पंजीकरण

खाद्य-रसद विभाग की तरफ से धान खरीद के लिए पहली सितंबर से पंजीकरण शुरू हो गया था। प्रदेश के जनपदों में 30 दिन में अब तक लगभग 32 हजार किसानों ने पंजीकरण करा लिया है। धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2300 रुपये व धान ग्रेड ए का 2320 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित किया गया है। उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में किसानों द्वारा धान बिक्री के लिए खाद्य-रसद विभाग व अन्य क्रय एजेंसियों के कुल 4000 क्रय केंद्र निर्धारित किए गए हैं। कृषि विभाग के मुताबिक खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 के लिए धान से आच्छादित क्षेत्रफल 61.24 लाख हेक्टेयर है। इस वर्ष धान का उत्पादन 265.54 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है। औसत उत्पादन लगभग 43.36 कुंतल प्रति हेक्टेयर अनुमानित है।

पश्चिम उत्तर प्रदेश व लखनऊ संभाग के इन जनपदों में मंगलवार से शुरू होगी खरीद

पश्चिम उत्तर प्रदेश के जनपदों में पहली अक्टूबर से धान खरीद शुरू होगी, जो 31 जनवरी तक चलेगी। यह खरीद पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली,आगरा, अलीगढ़, झांसी संभाग में होगी। वहीं लखनऊ संभाग के हरदोई, लखीमपुर खीरी, सीतापुर जनपद में भी धान खरीद इसी अवधि में होगी।

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उत्तर प्रदेश

राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार

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प्रयागराज। योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान कर रही है। प्रयागराज नगरी के साथ ही जिले में गंगा किनारे स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रहे श्रृंगवेरपुर धाम का भी कायाकल्प सरकार कर रही है। श्रृंगवेरपुर धाम में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ रूरल टूरिज्म की भी संभावनाएं विकसित हो रही हैं।

मिल रहा है भव्य स्वरूप
राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के भव्य निर्माण और गर्भ ग्रह में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब प्रभु राम के अनन्य भक्त निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर को भी भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। यूपी की पूर्व की सरकारों में उपेक्षित रहे प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई पहचान दी है। सामाजिक समरसता के प्रतीक इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के साथ अब रूरल टूरिज्म के साथ भी जोड़ कर विकसित किया जा रहा है।
प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह बताती हैं कि श्रृंगवेरपुर धाम का कायाकल्प का कार्य समापन के चरण में है। इसके अंतर्गत यहां ₹3732.90 लाख की लागत से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल का निर्माण कार्य दो फेज में किया गया है। निषादराज पार्क (फेज-1) के निर्माण हेतु ₹ 1963.01 लाख के बजट से निषादराज एवं भगवान श्रीराम मिलन की मूर्ति की स्थापना व मूर्ति के पैडेस्टल का कार्य, पोडियम का कार्य, ओवर हेड टैंक, बाउण्ड्रीवाल, प्रवेश द्वार का निर्माण, गार्ड रूम आदि कार्य कराया गया। इसी तरह श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क (फेज-2) के ₹ 1818.90 लाख के बजट से इस भगवान श्रीराम के निषादराज मिलन से सम्बन्धित गैलरी , चित्रांकन, ध्यान केन्द्र, केयर टेकर रूम, कैफेटेरिया, पॉथ-वे, पेयजल व टॉयलेट ब्लॉक, कियास्क, पार्किंग, लैंड स्केपिंग, हॉर्टिकल्चर,आउटर रोड, सोलर पैनल, मुक्ताकाशी मंच आदि कार्य कराए गए हैं। 6 हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।

रूरल टूरिज्म का हब बनेगी निषादराज की नगरी
धार्मिक और आध्यत्मिक पर्यटन के साथ श्रृंगवेरपुर धाम को ग्रामीण पर्यटन के साथ जोड़कर विकसित करने का रोड मैप तैयार किया गया है ।अपराजिता सिंह के मुताबिक रूरल टूरिज्म के अन्तर्गत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किये जाने के लिए सबसे पहले यहां ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए यहां स्थानीय लोगों को अपने यहां मड हाउस या हट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके। इन सभी स्थानों पर थीमेटिक पेंटिंग होगी, स्थानीय खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जाएगा । पर्यटक भी यहां स्टे करने के दौरान स्थानीय ग्रामीण क्राफ्ट का हिस्सा बन सके ऐसी उनकी कोशिश है।

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