उत्तर प्रदेश
खुद को मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बताने वाला अनस मलिक गिरफ्तार
गाजियाबाद। गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो खुद को मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बताता था। दरअसल आरोपी खुद को यूपी मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बताकर राज्य के कई जिलों के अधिकारियों से सुरक्षा की मांग करता था। इस आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया है। अधिकारियों ने इस घटना की जानकारी दी। बता दें कि आरोपी की पहचान 25 वर्षीय अनस मलिक के रूप में हुई है, जो कि मुरादाबाद के कांठ रोड का रहने वाला है। उसने बताया कि खुद को उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बताते हुए आरोपी ने 8 नवंबर को दो दिवसीय कार्यक्रम के लिए मुरादाबाद, गाजियाबाद, अमरोह और नोएडा के जिलाधिकारियों को आधिकारिक पत्र भेजकर प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा की मांग की थी।
खुद को यूपी मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बताने वाला गिरफ्तार
पत्रों पर संदेह होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और पाया कि मलिक का आयोग से कोई लेना देना नहीं है। अपर पुलिस उपायुक्त (अपराध) सच्चिदानंद ने मलिक की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि उसने स्थानीय अधिकारियों को गुमराह करने के लिए अपनी फर्जी बताई थी। अधिकारी ने बताया, ‘‘पूछताछ के दौरान मलिक ने खुलासा किया कि उसने केवल 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और चालक के तौर पर काम करता था।’’ बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी की गई है। इससे पहले एक फर्जी पीएमओ के अधिकारी की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं कई बार फर्जी पुलिस अधिकारी और फर्जी डीएम बने लोगों की भी गिरफ्तारी की जा चुकी है।
सरकारी कागजों में जिंदा बुजुर्ग को दिखाया मृत
इससे पूर्व कन्नौत में सरकारी कागजों में मृतक ग्रामीण आठ साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। दरअसल उस शख्स को सरकारी कागजों में मृत बता दिया गया है। बुजुर्ग खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है और उसकी समस्या वैसे-वैसे ही बनी हुई है। सरकारी कागजों में उसे मृत घोषित कर दिए जाने की वजह से उसे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जानकारी के मुताबिक, जिला मुख्या से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर तिर्वा तहसील क्षेत्र के गांव वाहिदपुर मौजा सौसरी निवासी हरनाथ पाल को सरकारी कागजों में मृत घोषित कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश
यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल
लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।
राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।
टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।
इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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