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शराब पीकर गाड़ी चलाई तो वसूली जाएगी 10 हजार पेनॉल्टी!

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नई दिल्ली। शराब पीकर गाड़ी चलाने के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सरकार इस ओर जुर्माना राशि‍ में पांच गुना तक बढ़ोतरी का निर्णय कर सकती है। परिवहन मंत्रालय जुर्माने की राशि पांच गुना तक बढ़ाने के साथ-साथ छह महीने से एक साल तक की सजा और एक साल के लिए गाड़ी जब्त करने तक के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।

खबरों के मुताबिक ये प्रस्ताव सड़क परिवहन और सुरक्षा बिल में शामिल हैं, जिसे परिवहन मंत्रालय ने कानून मंत्रालय के बाद राज्य सरकारों को फीडबैक के लिए भेजा है। वर्तमान में शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 2000 रुपये तक जुर्माना या छह महीने तक की सजा का प्रावधान है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि पहली बार नियम तोड़ने वाले से 10 हजार रुपये की पेनॉल्टी वसूली जा सकती है और बार-बार ऐसा करने वाले के लिए सजा सख्त करते जाने का प्रस्ताव है। एक अधिकारी ने कहा कि रेड लाइट जंप, सीट बेल्ट नहीं लगाने जैसे मामलों के लिए कम जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जबकि एक्सीडेंट में बच्चे की मौत जैसे मामलों में भारी जुर्माना चुकाना होगा।

बिल में एक से ज्यादा लाइसेंस रखने वालों या एक से ज्यादा लाइसेंस के लिए अप्लाई करने वालों के लिए भी जुर्माने की बात कही गई है। बिल को मंजूरी मिली तो बिना इंश्योरेंस वाली गाड़ी चलाने पर भी जुर्माने का प्रावधान होगा। इसके लिए दो हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक चुकाना होगा। इस बिल में ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों के साथ-साथ ऑटो कंपनियों को भी जवाबदेह बनाने की कोशिश की गई है। गलत डिजाइन या दोषपूर्ण मैन्युफैक्चरिंग और गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद गाड़ियों को रिकॉल नहीं करने पर ऑटो कंपनियों के लिए जुर्माने और सजा का प्रस्ताव है।

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हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी

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सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे  पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी

हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।

एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब

काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.

केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल

चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.

टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी

टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…

एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट

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