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उत्तर प्रदेश

‘कुम्भ’ के बाद अब महाकुम्भ में जन्मी ‘गंगा’

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कुम्भनगर: महाकुम्भ की विधिवत शुरुआत से पहले ही महाकुम्भनगर में स्थापित सेंट्रल हॉस्पिटल ने अपनी सेवाएं देना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में सोमवार को लगातार दूसरे दिन हॉस्पिटल में एक महिला की डिलीवरी संपन्न कराई गई। खास बात ये है कि महिला ने कन्या को जन्म दिया है जो महाकुम्भ में हॉस्पिटल में जन्मीं पहली बेबी गर्ल है। इसीलिए हॉस्पिटल और परिजनों की सहमित से इसका नाम गंगा रखा गया है। इस बेबी गर्ल का जन्म डॉ. गौरव दुबे के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने कुशलतापूर्वक संपन्न कराया। इससे पहले रविवार को डॉक्टर दुबे की टीम ने महाकुम्भ में पहले बेबी बॉय की डिलीवरी कराई, जिसे कुम्भ नाम दिया गया था।

बांदा से आई है महिला

महाकुम्भनगर के सेंट्रल हॉस्पिटल में नोडल चिकित्सा स्थापना डॉ गौरव दुबे ने बताया कि सेंट्रल हॉस्पिटल में सोमवार को पहली कन्या ने जन्म लिया है। डॉ गौरव के साथ डॉ प्रमिला और डॉ पोंशी की टीम ने अपराह्न 12 बजकर 08 मिनट पर कन्या की सकुशल डिलीवरी संपन्न कराई। उन्होंने बताया कि बांदा जिले की निवासी शिवकुमारी और राजेल महाकुम्भ में जन्मी कन्या को मां गंगा का आशीर्वाद मान रहे हैं। इसी वजह से कन्या का नाम भी गंगा रखा गया है। डॉक्टर गौरव दुबे के अनुसार कन्या का वजन 2.8 किलो नापा गया है। उन्होंने बताया कि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और अस्पताल में दोनों की अच्छे से देखभाल की जा रही है। इससे पहले, रविवार सायं अस्पताल में बालक का भी जन्म हुआ था जो महाकुम्भ में पहली डिलीवरी थी।

रविवार को हुई थी पहली डिलीवरी

उन्होंने बताया कि रविवार को कौशांबी निवासी 20 वर्षीय महिला सोनम को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। सेंट्रल हॉस्पिटल में डॉक्टर गौरव के नेतृत्व में डॉक्टर नूपुर और डॉक्टर वर्तिका ने यह डिलीवरी संपन्न कराई थी। मां और बेटा पूरी तरह स्वस्थ हैं। रविवार को 20 वर्षीय सोनम अपने पति राजा के साथ यहां पहुंची थी। यह परिवार महाकुम्भ मेला क्षेत्र में काम की तलाश में आया है। सोनम को अस्पताल लाए जाने पर तेज प्रसव पीड़ा हो रही थी। महिला डॉक्टरों ने परीक्षण किया और उसे भर्ती कर लिया।

सेंट्रल अस्पताल में लेबर रूम से लेकर आईसीयू तक की व्यवस्था

महाकुम्भ में करोड़ों लोगों की आमद को देखते हुए योगी सरकार ने यहां स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर खास प्रबंध किए हैं। मेला क्षेत्र में परेड स्थित सेंट्रल अस्पताल में 100 बेड का सेंट्रल अस्पताल निर्मित हो गया है और कई दिनों से क्रियाशील है। महाकुम्भ के केंद्रीय अस्पताल में ओपीडी समेत सामान्य वार्ड से लेकर प्रसव केंद्र और आईसीयू की व्यवस्था की जा चुकी है। इसमें बड़ी संख्या में लोगों का इलाज भी होने लगा है। इसी क्रम में अस्पताल ने अब तक दो डिलीवरी कराने में भी सफलता प्राप्त की है।

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उत्तर प्रदेश

अनूठी पहल- किसानों को पराली के बदले गोवंश खाद दे रही योगी सरकार

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लखनऊ,:योगी सरकार पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए लगातार महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में बेतहाशा कमी आयी है। योगी सरकार ने किसानों के हित में अनूठी पहल शुरू की है, जिसमें पराली जलाने की घटनाओं को रोकने और किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ‘पराली के बदले गोवंश खाद’ योजना चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह अभिनव अभियान प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में किया जा रहा खाद का उपयोग

प्रदेश में हर वर्ष फसलों की कटाई के बाद पराली जलाने की समस्या बढ़ जाती थी, जिससे वायु प्रदूषण गंभीर रूप से प्रभावित होता है। इसे रोकने के लिए योगी सरकार ने 28 अक्टूबर से ‘पराली के बदले गोवंश खाद’ अभियान का संचालन किया। अभियान के दौरान प्रदेश में 2,90,208.16 कुंतल पराली एकत्रित की गई और किसानों को इसके बदले 1,55,380.25 कुंतल गोवंश खाद वितरित की गई। इस खाद का उपयोग जैविक खेती और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में किया जा रहा है। अभियान के तहत प्रदेश के कई जनपदों ने उत्कृष्ट कार्य किया।

इनमें वाराणसी, बांदा, बदायूं, जालौन, बरेली, अमेठी, सिद्धार्थनगर और बहराइच शामिल हैं। इन जनपदों में किसानों ने बड़े पैमाने पर पराली जमा की और खाद का लाभ लिया। अभियान के माध्यम से पराली के बदले गोवंश खाद वितरण से निराश्रित गोवंश संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है। गो-आश्रय स्थलों में एकत्रित गोवंश खाद किसानों तक पहुंचाई जा रही है, जिससे पशुपालन विभाग की सक्रियता और प्रभावी कार्यशैली भी उजागर होती है।

जैविक खेती को मिल रहा बढ़ावा, पर्यावरण संरक्षण को मिल रही दिशा

योगी सरकार की यह पहल सिर्फ अस्थायी समाधान नहीं है, बल्कि पारदर्शी सोच को दर्शाता है। इससे जहां जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं किसानों की उत्पादन लागत भी घटेगी, यह पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। योगी सरकार का ‘पराली के बदले गोवंश खाद’ अभियान किसानों, पर्यावरण और समाज के लिए महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना न सिर्फ पराली जलाने की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर रही है, बल्कि किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए भी प्रेरित कर रही है। योगी सरकार की इस पहल से प्रदेश में हरित क्रांति की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है।

अभियान से यह हो रहा फायदा

पराली जलाने से रोकथाम – किसान पराली जलाने की बजाय उसे सरकार को सौंपकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं।

जैविक खाद प्राप्ति – गोवंश खाद के रूप में किसानों को प्राकृतिक खाद प्राप्त हो रही है, जो रासायनिक खादों के उपयोग को कम कर रही है और भूमि की गुणवत्ता सुधार रही है।

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