उत्तर प्रदेश
बरेली: घर में फंदे पर लटका मिला कक्षा 5 की छात्रा का शव, मां ने लगाया हत्या का आरोप
बरेली। उप्र के बरेली जनपद के नवाबगंज तहसील के हाफिजगंज थाना क्षेत्र के गांव गोटिया लाडपुर गौटिया में 11 साल की कक्षा 5 की छात्रा का शव घर में चौखट से फांसी के फंदे पर लटका मिलने से हड़कंप मच गया। घटना के वक्त घर में कोई परिजन नहीं था। जब परिजन घर वापस आये तो घटना का पता चला।
इस दौरान चीख पुकार सुनकर पड़ोसी भी घटना स्थल पर पहुंच गए। घटना की पुलिस को सूचना दी गई। जानकारी होते ही आलाधिकारी मौके पर पहुंच गए। एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। लड़की की मां कमलेश ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी की हत्या की गई है।
जानकारी के अनुसार थाना हाफिजगंज क्षेत्र के गांव गौटिया लाड़पुर निवासी धर्मेंद्र कुमार एक किसान हैं। उनकी पत्नी कमलेश आशा कार्यकत्री है। 11 साल की बेटी रिद्धिमा गंगवार बाबा बधावा सिंह विद्या मंदिर राजघाट में कक्षा पांच की छात्रा थी। शुक्रवार दोपहर 3 बजे रिद्धिमा स्कूल से लौटी थी।
पिता धर्मेंद्र बेटी को घर पर अकेला छोड़कर पत्नी कमलेश को लेकर लांवाखेड़ा स्वास्थ्य केंद्र गए थे। जिसके बाद शाम को पति पत्नी घर लौटे। देखा तो कमरे का मेन दरवाजा खुला था। लड़की का शव चौखट के पास एक कुंदे पर लटका था। पुलिस ने पंचनामा भर शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
लड़की की मां कमलेश ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि मेरा बेटा पवन पंतनगर में नौकरी करता है। छोटी बेटी थी। पवन ने अपने ही गांव की लड़की प्रियंका से कुछ समय पहले लव मैरिज की थी। पवन और उसकी पत्नी प्रियंका एक ही बिरादरी के है। दोनों के घर में करीब 300 मीटर का फासला है। शादी के बाद पवन अपनी पत्नी के साथ पंतनगर में किराए पर रहने लगा। बेटी रिद्धिमा अपनी मां पिता के साथ रह रही थी।
मृतका के पिता धर्मेन्द्र कुमार का कहना है कि रिद्धिमा की परीक्षा चल रही थी परीक्षा देकर घर वापस आई मैं और मेरी पत्नी कमलेश आशा कार्यकत्री है। मैं कमलेश के साथ गांव लावाखेड़ा गया हुआ था घर मे कोई नही था रिद्धिमा घर मे अकेली थी।
बहु प्रियंका के पिता गंगादेव भाई विकास ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर रिद्धिमा की हत्या करके चौखट से फांसी के फंदे पर लटका दिया रिद्धिमा के हाथ पर पीठ पर और पैरों में चोट के निशान है ।
एसपी देहात मुकेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। लड़की की मां कमलेश की तरफ से गंगादेव और उसके परिवार पर हत्या का आरोप लगाया है। तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
धर्मेन्द्र ने यह भी बताया कि मां और पिता ने अपने बेटे को बेदखल कर दिया था। यह बात बेटे पवन के ससुरालियों को बुरी लगती थी। मां और पिता बेटे की लव मैरिज से खुश नहीं थे। जबकि लड़की वाले कहते थे कि जमीन, घर और पैसों में बेटे का ही हिस्सा है। संपत्ति के लालच में ही मां और पिता ने बेटे के ससुरालियों ने हत्या कर दी।
उत्तर प्रदेश
यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल
लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।
राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।
टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।
इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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