उत्तर प्रदेश
बस्ती: नौकरी का झांसा देकर करता रहा रेप, सपा का नगर पंचायत अध्यक्ष गिरफ्तार
![Rudhauli Nagar Panchayat President and SP leader Dhirsen Nishad arrested](https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2023/09/Rudhauli-Nagar-Panchayat-President-and-SP-leader-Dhirsen-Nishad-arrested.jpg)
बस्ती। उप्र के बस्ती जनपद की पुलिस ने रुधौली नगर पंचायत अध्यक्ष व सपा नेता धीरसेन निषाद को गिरफ्तार कर लिया है। धीरसेन निषाद पर नौकरी का झांसा देकर लड़की से दुष्कर्म करने का आरोप है। पीड़िता की तहरीर पर पुलिस ने निषाद के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया था।
पीड़िता ने 28 अगस्त को एसपी कार्यालय पर पहुंच कर रुधौली नगर पंचायत अध्यक्ष पर दुष्कर्म का आरोप लगा कर सनसनी फैला दी थी। पीड़िता ने आरोप लगाया कि माया पाठक ने 2021 में अध्यक्ष से उसकी मुलाकात कराई थी।
इसके बाद नगर पंचायत अध्यक्ष धीरसेन निषाद ने नौकरी का झांसा देकर उसका शारीरिक शोषण किया। जब वह गर्भवती हो गई तो उसने अध्यक्ष को यह बात बताई। लड़की के अनुसार, अध्यक्ष ने माया पाठक से दवा भेज कर उसे जबरन गर्भपात की दवा खिला दी लेकिन उस के बाद भी नौकरी नहीं लगाई।
पीड़िता का कहना है कि जब मैंने गर्भपात कराने से संबंधित ऑडियो वायरल करने को कहा तो मुझे अगस्त 2022 में सफाईकर्मी के पद पर नियुक्त किया गया। उस के बाद भी अध्यक्ष बार बार दुष्कर्म करते रहे। जब मैंने इसका विरोध किया तो मुझे ऑफिस में अटैच कर प्रताड़ित करने लगे। मेरी इच्छा के विरुद्ध कई बार दुष्कर्म किया।
पीड़िता की तहरीर पर रुधौली थाने में धीरसेन निषाद और माया पाठक पर धारा 376, 120B और SC ST का मुकदमा दर्ज किया गया। मुकदमा दर्ज होने के बाद वह फरार हो गया।
पुलिस ने बताया अभियुक्त धीरसेन निषाद पुत्र मुखलाल निषाद को मुखबिर की सूचना पर बस्ती फैजाबाद हाइवे पर थाना छावनी थाना गेट के सामने हाइवे से थाना प्रभारी रुधौली दिनेश चंद्र व उनकी टीम ने गिरफ्तार कर विधिक कार्यवाही पूर्ण कर न्यायालय के सम्मुख पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
उत्तर प्रदेश
यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल
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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।
राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।
टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।
इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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