उत्तर प्रदेश
मेला क्षेत्र में शिविरों को मिलेंगी सभी सुविधाएं, तीन-तीन बार किया जाएगा सत्यापन
महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ 2025 को भव्य और दिव्य बनाने में जुटी योगी सरकार यहां मेला क्षेत्र में लगने वाले शिविरों को भी तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। इसमें शौचालय से लेकर पीने योग्य पानी की आपूर्ति और बिजली आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं भी सम्मिलित हैं। सुविधा पर्ची के माध्यम से यह सभी सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं, इसको लेकर योगी सरकार ने पारदर्शी प्रक्रिया के तहत सत्यापन की व्यवस्था की है। हालांकि, इसे और मजबूती देने के लिए मेला प्राधिकरण की ओर से सभी सेक्टर मजिस्ट्रेट को निर्देशित किया गया है कि वे पूरे मेला के दौरान तीन बार सभी संस्थाओं का सत्यापन करेंगे, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें वे सभी सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं जिसकी उन्हें आवश्यकता है। ये तीनों सत्यापन अलग-अलग समय में किए जाएंगे।
पूरे 45 दिन चलेगी सत्यापन की प्रक्रिया
प्रयागराज मेला प्राधिकरण द्वारा सभी सेक्टर मजिस्ट्रेट को दिए गए निर्देशों में कहा गया है कि भूमि और सुविधा आवंटन सॉफ्टवेयर में जितनी संस्थाओं को भूमि और सुविधाओं का आवंटन हुआ है, उनका समय सारणी के अंतराल पर कम से कम तीन बार सत्यापन कर अपडेट किया जाए। पहले सत्यापन 12 जनवरी से 4 फरवरी के मध्य किया जाना निर्धारित है, जबकि दूसरा 5 फरवरी से 12 फरवरी के मध्य और तीसरा सत्यापन 13 फरवरी से 26 फरवरी के मध्य किया जाएगा। इसमें संस्था का नाम, औसतन कल्पवासियों की संख्या, संस्था द्वारा किए गए भंडारों तथा भंडारों में प्रतिभागियों की संख्या, संस्था द्वारा किए गए प्रवचनों की संख्या, संस्था में अनुमानित आगंतुकों की संख्या और संस्था द्वारा कितनी अवधि के लिए शिविर लगाया गया जैसे विवरण का सत्यापन किया जाएगा। इस तरह 45 दिन चलने वाले मेला के दौरान पारदर्शी तरीके से सत्यापन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
सॉफ्टवेयर में फीड किया जाएगा डाटा
इस सत्यापन का उद्देश्य यही है कि जिन संस्थाओं को भूमि एवं सुविधाएं आवंटित की गई हैं, उनके द्वारा दिए प्रस्ताव के क्रम में गतिविधियां हो रही हैं कि नहीं, इससे उनका सत्यापन हो जाएगा तथा उन संस्थाओं का अपडेट भी सॉफ्टवेयर पर फीड हो जाएगा। यही नहीं, संस्थाओं को सुविधाओं एवं अन्य के संबंध में डाटा ड्रिवेन सिस्टम किए जाने में भी आसानी होगी। इसके अलावा सुविधा पर्ची में क्षेत्रफल एवं सुविधा का उपयोग दिए गए व्यवस्थानुसार हो रहा है अथवा नहीं, अनुबंधित आपूर्तिकर्ताओं द्वारा कार्य पूर्ण किया गया है या नहीं, यह भी पता चल सकेगा जिससे भुगतान की प्रक्रिया नियमानुसार पूर्ण की जा सकेगी।
उत्तर प्रदेश
यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल
लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।
राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।
टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।
इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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