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प्रादेशिक

सीएम योगी पहुंचे मुजफ्फरनगर, इंटीग्रेटेड कमांड कोविड-19 कंट्रोल रूम का किया निरीक्षण

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को मुजफ्फरनगर पहुंचे। सीएम योगी ने यहां पहुंचकर कलेक्ट्रेट स्थित इंटीग्रेटेड कमांड कोविड-19 कंट्रोल रूम का निरीक्षण किया।

मुजफ्फरनगर में प्रेस वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में सबसे अधिक पॉजिटिव केस 24 अप्रैल को आए थे। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में हमारा पॉजिटिविटी रेट ज्यादा व रिकवरी रेट कम था। मुझे आप सबको आज यह बताते हुए प्रसन्नता है कि अब प्रदेश में पॉजिटिविटी रेट लगातार घट रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश, देश में सर्वाधिक कोविड-19 टेस्ट करने वाला प्रदेश है। अब तक हमने 4.50 करोड़ कोविड-19 टेस्ट सम्पन्न किए हैं। वर्तमान में हमारा रिकवरी रेट 90 फीसदी है।

सीएम योगी ने बताया कि हर जनपद मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति में आत्मनिर्भर बन सके, इसके लिए भी आदरणीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में कार्यवाही प्रारम्भ हुई है। हम प्रदेश में 300 से अधिक मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाने की कार्यवाही शुरू हो चुकी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुजफ्फरनगर में भी 06 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट प्रस्तावित हैं, जिन्हें हम जल्दी ही लगाने जा रहे हैं। यहां पहले से 04 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट मौजूद हैं।

सीएम ने कहा कि ऐसे लोगों को मेडिकल किट उपलब्ध कराई जा रही है। RRT द्वारा 24 घंटे के अंदर ऐसे गांवों में पहुंच कर लोगों का एंटीजन टेस्ट / RT-PCR टेस्ट कराया जा रहा है। साथ ही स्वच्छता, सैनिटाइजेशन व फॉगिंग की कार्यवाही की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 संक्रमण फैलने की आशंका से  यूपी सरकार पहले से ही पूरी तरह सतर्क है। 05 मई से गांवों में घर-घर निगरानी समिति द्वारा स्क्रीनिंग का काम चल रहा है। लक्षणयुक्त व संदिग्ध व्यक्तियों की लिस्ट बनाई जा रही है।

थर्ड वेव की आशंका को लेकर सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार इसके लिए पूरी तरह से सतर्क है। बच्चों में संक्रमण के खतरे को देखते हुए हमने इस बारे में तैयारी कर ली है। हर जनपद में पीडियाट्रिक ICU निर्माण व मेडिकल स्टाफ ट्रेनिंग की कार्यवाही प्रारम्भ हो चुकी है।

उत्तर प्रदेश

हर्षवर्धन और विक्रमादित्य जैसे प्रचंड पुरुषार्थी प्रशासक हैं योगी आदित्यनाथ : स्वामी अवधेशानंद गिरी

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महाकुम्भ नगर। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने महाकुम्भ 2025 के भव्य और सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना प्राचीन भारत के महान शासकों हर्षवर्धन और विक्रमादित्य से की। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने उन महान शासकों की परंपरा को नए युग में संवर्धित किया है। वे केवल एक शासक नहीं, बल्कि प्रचंड पुरुषार्थ और संकल्प के धनी व्यक्ति हैं। उनके प्रयासों ने महाकुम्भ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

भारत की दृष्टि योगी आदित्यनाथ पर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि भारत का भविष्य योगी आदित्यनाथ की ओर देख रहा है। भारत उनसे अनेक आकांक्षाएं, आशाएं और अपेक्षाएं रखे हुआ है। भारत की दृष्टि उनपर है। उनमें पुरुषार्थ और निर्भीकता है। वे अजेय पुरुष और संकल्प के धनी हैं। महाकुम्भ की विराटता, अद्भुत समागम, उत्कृष्ट प्रबंधन उनके संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारत का राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में योगी जी ने महाकुम्भ को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आस्था का यहां जो सागर उमड़ा है, इसके लिए योगी आदित्यनाथ ने बहुत श्रम किया है। चप्पे चप्पे पर उनकी दृष्टि है।

हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर

स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि आज सनातन का सूर्य सर्वत्र अपने आलोक रश्मियों से विश्व को चमत्कृत कर रहा है। भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है। संसार का हर व्यक्ति महाकुम्भ के प्रति आकर्षित हो रहा है। हर क्षेत्र में विशिष्ट प्रबंधन और उच्च स्तरीय व्यवस्था महाकुम्भ में दिख रही है। भक्तों के बड़े सैलाब को नियंत्रित किया जा रहा है। सुखद, हरित, स्वच्छ, पवित्र महाकुम्भ उनके संकल्प में साकार हो रहा है। हम अभिभूत हैं ऐसे शासक और प्रशासक को पाकर, जिनके सत्संकल्प से महाकुम्भ को विश्वव्यापी मान्यता मिली है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक अमूर्त धरोहर घोषित किया है। यहां दैवसत्ता और अलौकिकता दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ के प्रयास स्तुत्य और अनुकरणीय हैं तथा संकल्प पवित्र हैं। विश्व के लिए महाकुम्भ एक मार्गदर्शक बन रहा है, अनेक देशों की सरकारें सीख सकती हैं कि अल्पकाल में सीमित साधनों में विश्वस्तरीय व्यवस्था कैसे की जा सकती है।

आस्था का महासागर और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

महामंडलेश्वर ने महाकुम्भ को सनातन संस्कृति का जयघोष और भारत की आर्ष परंपरा की दिव्यता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व नर से नारायण और जीव से ब्रह्म बनने की यात्रा का संदेश देता है। महाकुम्भ को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन दिखाता है कि हम अलग अलग जाति, मत और संप्रदाय के होने के बावजूद एकता के सूत्र में बंधे हैं। उन्होंने महाकुम्भ को गंगा के तट पर पवित्रता और संस्कृति का संगम बताया। गंगा में स्नान को आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।

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