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उत्तर प्रदेश

भयंकर ठंड के कारण लखनऊ में कक्षा 8 तक के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश

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लखनऊ। उत्तर भारत को कड़ाके की ठंड ने अपने चपेट में ले रखा है। राजधानी दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में लोग कड़ाके की ठंड झेल रहे हैं। वहीं घने कोहरे की चादर में पूरा उत्तर भारत लिपटा हुआ है। इस बीच भयंकर ठंड के कारण लखनऊ में कक्षा 8 तक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया है। वहीं 9वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के क्लास ऑनलाइन माध्यम से संचालित किए जाएंगे। अगर ऑनलाइन क्लासेस की व्यवस्था नहीं है तो ऐसे में स्कूलों का संचालन सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक होगा। इसे लेकर लखनऊ जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा आदेश पारित कर दिया गया है।

लखनऊ में ठंड के कारण स्कूलों को किया गया बंद

जिलाधिकारी कार्यालय ने जारी आदेश में लिखा, ‘सचिव, उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज के 2024-25 दिनांक 26 दिसंबर 2024 में दी गई व्यवस्था परिषदीय विद्यालयों के लिए पूर्ववत लागू रहेगी। शीत लहरी संबंधित मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखते हुए लखनऊ जनपद के अन्य सभी विद्यालयों (समस्त बोर्ड्स) के लिए निम्न आदेश पारित किए जाते हैं। सभी विद्यालयों में कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों के लिए दिनांक 4 जनवरी 2025 से दिनांक 11 जनवरी 2025 तक अवकाश रहेगा। कक्षा 9 से कक्षा 12वीं तक के जिन स्कूलों में अवकाश घोषित नहीं है, दिनांक 4 जनवरी 2025 से 11 जनवरी 2025 तक विद्यार्थियों की कक्षाएं यथासंभव ऑनलाइन कराई जाए।

आदेश में जिलाधिकारी ने कही ये बात

आदेश में आगे लिखा गया है कि कक्षा चलाने की ऑनलाइन व्यवस्था न होने पर कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों के लिए विद्यालय का संचालन प्रात: 10 बजे से दोपहर 3 बजे के मध्य किया जाए। साथ ही विद्यालय द्वारा निम्न व्यवस्था सुनिश्चित किए जाएंगे। इसके तहत ऐसे विद्यार्थियों की कक्षाओं में ठंड से बचाव हेतु पर्याप्त प्रबंध करने की जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंधन की होगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक कक्ष में तापमान सामान्य बनाए रखने हेतु हीटर आदि का प्रयोग किया जाएगा। क्लासेस, प्रैक्टिकल, परीक्षा आदि के विद्यार्थियों को बाहर, खुले में नहीं बैठाया जाएगा। विद्यार्थियों के लिए यूनिफॉर्म पहनने की बाध्यता को समाप्त किया जाता है और यह सलाह दी जाती है कि ऐसे गर्म कपड़े जो ठंड से बचाव करने में सक्षम हों उन्हें पहनकर विद्यालय जाएं।

 

 

 

 

 

उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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