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उत्तर प्रदेश

कल्याण सिंह जी की कार्यकुशलता, कर्मठता व प्रशासनिक क्षमता को हर किसी ने किया स्वीकारः सीएम योगी

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लखनऊ |  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कल्याण सिंह जी भारत मां के महान सपूत, राष्ट्रभक्त व रामभक्त थे। 1932 में अलीगढ़ के एक छोटे से गांव में आज ही के दिन सामान्य किसान परिवार में उनका जन्म हुआ था। बाल्यकाल से ही देश की आजादी की लड़ाई को देखने, स्वतंत्रता के बोध व भावी भारत के निर्माण में हमारी क्या भूमिका होगी, इन संस्कारों से ओतप्रोत बालक कल्याण सिंह ने उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सामान्य शाखा से लेकर आगे के कार्यक्रमों के माध्यम से खुद को राष्ट्रभक्ति के सांचे में ढाला था। किसान, शिक्षक, 1977 में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री, विधायक, सांसद, दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री व दो राज्यों के राज्यपाल के रूप में उनकी कार्यकुशलता, कर्मठता व प्रशासनिक क्षमता की दक्षता को हर किसी ने स्वीकार किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यपाल ‘पद्म विभूषण’ कल्याण सिंह की जयंती पर 2, मॉल एवेन्यू में आयोजित कार्यक्रम में उनके चित्र पर पुष्पांजलि की। सीएम ने कहा कि उनकी स्मृतियों की जीवंतता बनाए रखने के लिए प्रदेश सरकार ने लखनऊ में अत्याधुनिक कैंसर इंस्टीट्यूट और बुलंदशहर के मेडिकल कॉलेज का नामकरण भी श्रद्धेय कल्याण सिंह जी के नाम पर रखा है।

कल्याण सिंह ने कभी सिद्धांतों व मूल्यों से समझौता नहीं किया

सीएम ने कहा कि सत्ता के लिए लोग सिद्धांतों की तिलांजलि दे देते हैं। कुछ प्राप्त करने के लिए मूल्यों के साथ समझौता करते हैं, लेकिन कल्याण सिंह जैसे व्यक्तित्व ने मूल्यों व सिद्धांतों के साथ कभी समझौता नहीं किया। रामजन्मभूमि आंदोलन और उसके बाद भी प्रदेश की राजनीति को नई दिशा देने, प्रशासनिक दक्षता को परिपूर्ण करने के लिए उनके द्वारा 1990 के दशक के प्रारंभ व उत्तरार्ध में जो प्रयास प्रारंभ किए गए थे, वह नए उत्तर प्रदेश का दर्शन कराते हैं।

जब कल्याण सिंह बने सीएम, तब पहली बार यूपी वालों को हुआ सुशासन का अहसास

सीएम ने कहा कि देश 1947 में आजाद हुआ, लेकिन उत्तर प्रदेश के लोगों को पहली बार इसका अहसास तब हुआ, जब मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करके कल्याण सिंह जी ने शासन व्यवस्था को आगे बढ़ाया। उस समय भी उन्हें अस्थिर करने के लिए झुंड के झुंड अव्यवस्था फैलाने पर उतारू थे। उसकी परवाह किए बिना उन्होंने श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सरकार की तिलांजलि दी। उनकी दूरदर्शिता थी, जो सपना उन्होंने देखा, वह साकार हो गया। आज अयोध्या में रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण कार्य पूरा हो गया तो उनकी आत्मा को भी असीम शांति प्राप्त हुई होगी।

नकल विहीन परीक्षा के माध्यम से युवाओं के भविष्य को उज्ज्वल करने का चलाया था अभियान

सीएम ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय के जिस एकात्म मानववाद को उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पाठशाला में सीखा था, उसे धरातल पर भी उतारा। अन्नदाता किसानों के लिए घोषित योजनाएं हों, नकल विहीन परीक्षा के माध्यम से उप्र के युवाओं के भविष्य को उज्ज्वल करने के उनके द्वारा चलाया गया अभियान भी अनुकरणीय है।

जब भी शुचिता की बात होती है तो प्रदेशवासी श्रद्धा से लेते हैं कल्याण सिंह जी का नाम

सीएम योगी ने कहा कि 21 अगस्त 2021 को वे भौतिक काया से हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनका मार्गदर्शन शासन-प्रशासन के लिए आज भी पाथेय बना है। उप्र में जब भी शुचिता की बात होती है, हर प्रदेशवासी श्रद्धा-सम्मान के साथ कल्याण सिंह का नाम लेता है। उनके द्वारा प्रारंभ किए गए अभियान मजबूती के साथ सुशासन के लक्ष्यों को प्राप्त करके आमजन के जीवन में परिवर्तन करते दिखाई देते हैं। जिस नए उत्तर प्रदेश के निर्माण के लिए उन्होंने अपना जीवन लगाया, उसके लिए हम सब मिलकर कार्य करें। सीएम ने कहा कि राष्ट्रवाद व सुशासन का मंत्र ही नए भारत के निर्माण में उत्तर प्रदेश की भूमिका को रेखांकित कर पाएगा।

बेसिक शिक्षा मंत्री के रूप में शिक्षा को नई दिशा दे रहे कल्याण सिंह जी के पौत्र

सीएम ने कहाकि जिस बेसिक शिक्षा स्कूल के छात्र के रूप में कल्याण सिंह जी ने पढ़ाई और अध्यापक के रूप में कार्य किया होगा। उनके पौत्र आज उस विभाग के मंत्री के रूप में शिक्षा को नई दिशा दे रहे हैं। यही पूर्वजों की तपस्या और साधना का फल है। सही दिशा में किए गए प्रयास से परिणाम अवश्य आएंगे। 25 करोड़ जनता के जीवन में सुरक्षा व खुशहाली लाकर कल्याण सिंह के सपनों का उत्तर प्रदेश बढ़ाया जा सकता है।

स्व. कल्याण सिंह के पुत्र पूर्व सांसद राजवीर सिंह ‘राजू भैया’ ने आगंतुकों का स्वागत किया।

इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, सांसद साक्षी जी महाराज, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह आदि मौजूद रहे।

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उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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