प्रादेशिक
भारतीय किसान मंच को मिला संत समाज का समर्थन, कहा किसान हमारे देश का अन्नदाता है
अपने संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ, भारतीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री देवेन्द्र तिवारी जी एवं श्रीमती पारुल भार्गव जी (राष्ट्रीय अध्यक्ष, महिला प्रकोष्ठ) ने अयोध्या नगरी में स्थित भगवान श्री राम जन्मभूमि के दर्शन किये । संगठन ने पवित्र मंदिर के दर्शन कर वहाँ के पहलुयों तथा इतिहास की जानकारी ली वहाँ के सज्जनों व पुरोहितों का कुशलक्षेम लिया, एवं बाद जीवनदायिनी सरयू नदी के जल से आचमन कर यात्रा का लाभ लिया। और ये भी जाना कि राम मंदिर को राजा हरिश्चंद्र जी ने बनवाया था। तथा हनुमानगढ़ी में हनुमान जी के दर्शन कर लाभान्वित हुए, साथ ही साथ दसरथ महल के दर्शन किये।
श्री संतोष दास खाकी जी महाराज के निर्देशानुसार अपने सफर को आगे बढ़ाते हुए रामभूमि की पावन धरती पर दसरथ गद्दी मठ के परम पूज्य महंत ब्रजमोहनदास जी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त किया एवं उनको अपने संगठन से अवगत कराया। महंत ब्रजमोहनदास जी उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय मुख्यमंत्री महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी के घनिष्ठ मित्र होने के साथ-साथ आस्था और प्रेम भाव की ज्योति भी हैं। सनातन धर्म को बचाने एवं श्री राम मंदिर निर्माण अभियान के चलते ब्रजमोहन महाराज जी को कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। ऐसी पुण्यात्मा का मार्गदर्शन भारतीय किसान मंच को राष्ट्र स्तर पर व्यापक एवं सशक्त बनाएगा। महाराज जी ने श्रीमती पारुल भार्गव जी की पहल “गौ दर्शन अभियान” की भी खासा प्रशंसा की। श्री देवेन्द्र तिवारी जी ने किसानों के मुद्दों पर चर्चा करते हुए किसानों की कठिनाईयों पर प्रकाश डाला। संगठन में सच्चाई देखकर महंत जी ने संगठन की सराहना की एवं आशीर्वाद देते हुए भारतीय किसान मंच के संरक्षक बन, समर्थन प्रदान किया। जिसका समर्थन समस्त संत समाज के द्वारा किया गया।
किसान हमारे देश का अन्नदाता है। किसान का नाम मस्तिष्क में आते ही हम गाँव की हरियाली में स्वयं को उपस्थित पाते हैं। देश का किसान एक महत्वपूर्ण कड़ी है, हमारे जीवन के लिए भी और भारत देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज़ से भी किसानों की समस्याओं का कोई उचित हल नहीं निकल रहा है। इसीलिए भारतीय किसान मंच एवं संत समाज ने देश हित में किसानों एवं पीड़ित वर्ग के उद्धार हेतु संकल्प लिया। इस अवसर पर डॉ. नलिनी गोयल (चिकित्सा सलाहकार), डॉ. पंकज पाण्डेय (प्रदेश सचिव), श्रीमती मधु जैनी जी, श्री अनिल कुमार राज ( वरिष्ठ) उपाध्यक्ष), उत्कर्ष श्रीवास्तव ( प्रदेश महासचिव), इमरान जी (प्रदेश संगठन मंत्री), श्री प्रयांशु पाण्डेय (प्रदेश अध्यक्ष, मध्य प्रदेश), वैश जी, अजय कुमार जी, मनीष कुमार जी, एवं संदीप कुमार जी उपस्थित रहे।
उत्तर प्रदेश
यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल
लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।
राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।
टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।
इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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