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उत्तर प्रदेश

आस्था का केंद्र बने बड़े हनुमान के दर्शन के लिए उमड़े चौगुना श्रद्धालु

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महाकुम्भनगर: महाकुम्भ में नए साल से पहले ही आस्था के केंद्र बने बड़े हनुमान के दर्शन के लिए अचानक चौगुना श्रद्धालु उमड़ने लगे हैं। हनुमान मंदिर के कॉरिडोर बनने के बाद से श्रद्धालुओं की संख्या महाकुम्भनगर में पहले से काफी बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संगम किनारे सभा के बाद से महाकुम्भनगर में बढ़ता लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा है।

चार गुना बढ़े श्रद्धालु

संगम के किनारे श्रद्धालुओं के साथ साथ सेलेब्रिटी और अंतरराष्ट्रीय कथावाचक भी जुटने शुरू हो गए हैं। हनुमान मंदिर के प्रमुख पुजारी सूरज राकेश पाण्डेय ने बताया कि बड़े हनुमान के दर्शन के लिए सामान्य दिनों की अपेक्षा चौगुना श्रद्धालु आने लगे हैं। बड़े हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर पूज्य बलवीर गिरी जी महराज ने देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तमाम इंतजाम किए हैं। श्रद्धालुओं को हनुमान जी के दर्शन करने में किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। मंदिर परिसर की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है। साथ ही साथ श्रद्धालुओं के एंट्री और एग्जिट के लिए अलग अलग रास्ते बनाए गए हैं।

पहुंचने लगे हैं गणमान्य लोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी की गत दिनों संगम किनारे सभा के बाद से अचानक श्रद्धालुओं की आस्था बढ़ गई है। महाकुम्भनगर में संगम के किनारे तमाम सेलेब्रिटी का पहुंचना शुरू हो गया है। अंतरराष्ट्रीय कथावाचक शिवाकांत महाराज और अन्य प्रमुख लोगों ने पहुंचकर बड़े हनुमान का दर्शन किया। इनके अलावा देवकीनंदन ठाकुर, राजपाल यादव, गुरमीत चौधरी, साक्षी महाराज समेत बड़ी संख्या में देश के वीआईपी का संगम पहुंचकर सबसे पहले हनुमान मंदिर दर्शन करने का सिलसिला शुरू हो गया है।

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उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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