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उत्तर प्रदेश

स्वच्छ महाकुम्भ अभियान के तहत सहभागिता बढ़ाने के लिये स्वच्छता मित्रों के साथ सामूहिक भोज

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महाकुम्भनगर। प्रयागराज में आयोजित होने जा रहे महाकुम्भ 2025 को दिव्य-भव्य के साथ स्वच्छ-महाकुम्भ बनाने का संकल्प मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया है। सीएम योगी के संकल्प को सफल बनाने की दिशा में मेला प्राधिकरण महाकुम्भ में सफाई व्यवस्था और स्वच्छता मित्रों का विशेष ध्यान रख रहा है। इसी दिशाक्रम में शुक्रवार को मेला क्षेत्र में संगम तट के समीप नववर्ष के उपलक्ष्य में स्वच्छता मित्रों के लिये सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। जिसमें मेला की विशेष कार्याधिकारी आकांक्षा राणा समेत, स्वच्छता और सैनिटेशन विभाग के अधिकारी, कर्मचारीगण व सेक्टर मजिस्ट्रेट ने सामूहिक भोज कर स्वच्छताकर्मियों का उत्साहवर्धन किया और स्वच्छ महाकुम्भ के सीएम योगी के संकल्प को सफल बनाने का प्रण भी लिया।

सीएम योगी की प्रेरणा से सभी सेक्टरों में होगा स्वच्छता मित्र सामूहिक भोज का आयोजन

सीएम योगी ने अपने पिछले प्रयागराज दौरे पर समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिये थे कि स्वच्छता महाकुम्भ की पहचान है। स्वच्छ-महाकुम्भ अभियान को सफल बनाने के लिए न केवल स्वच्छता के अच्छे से अच्छे इंतजाम करने होंगे, बल्कि मेले में कार्यरत स्वच्छता मित्रों और उनके परिवार का भी पूरा ध्यान रखना होगा। सीएम योगी के दिशानिर्देशों के मुताबिक मेला प्राधिकरण महाकुम्भ में 1.5 लाख शौचालयों के निर्माण के साथ सफाई के आधुनिक उपकरणों का भी प्रयोग कर रहा है। साथ ही लगभग 15 हजार स्वच्छता मित्रों और 2 हजार गंगा सेवादूतों की नियुक्ति की जा रही है। स्वच्छता मित्रों के रहने के लिए हर सेक्टर में सैनिटेशन कालोनी और उनके बच्चों के लिये विद्याकुम्भ स्कूल और आंगबाड़ी भी बनाई जा रही हैं। इसी दिशा में मेला विशेष कार्यकारी अधिकारी आकांक्षा राणा ने स्वच्छता मित्रों के लिए नववर्ष के उपलक्ष्य में सामूहिक भोज का आयोजन किया।सामूहिक भोज का आयोजन संगम तट के पास सेक्टर-3 और सेक्टर-4 में किया गया था। आने वाले दिनों में बाकि के सभी सेक्टरों में उनके सेक्टर मजिस्ट्रेट इसी तरह के सामूहिक भोज का आयोजन करेंगे।

सहभागिता बढ़ाने के लिये स्वच्छता मित्रों के साथ सामूहिक भोज

स्वच्छता मित्र सामूहिक भोज कार्यक्रम में शामिल रहीं मेला की विशेष कार्यकार्याधिकारी आकांक्षा राणा ने कहा कि इस सामूहिक भोज के आयोजन का उद्देश्य स्वच्छता मित्रों का नववर्ष में स्वागत करना, साथ ही उनमें सामूहिकता और अपनत्व का भाव पैदा करना है। हम ये बताना चाहते हैं कि वो भी मेला परिवार का हिस्सा हैं, बिना उनके ये आयोजन सफल नहीं हो सकता। जैसा कि मुख्यमंत्री जी का मार्गदर्शन है कि महाकुम्भ को दिव्य-भव्य के साथ स्वच्छ महाकुम्भ बनाना है जो कि हमारे स्वच्छता मित्रों के सहयोग और पूर्ण सहभागिता के पूरा नहीं हो सकता। ये सामूहिक भोज उसी दिशा में एक टीम बिल्डिंग एक्सरसाइज़ है। सामूहिक भोज कार्यक्रम में विशेष कार्यधिकारी के साथ सैनिटेशन विभाग के आनंद सिंह और सेक्टर-3 और 4 के सेक्टर मजिस्ट्रेट विनय मिश्रा और संजीव उपाध्याय भी शामिल हुए।

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उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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