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उत्तर प्रदेश

स्वस्थ महाकुम्भ: महाकुम्भ में आए 10,000 मरीजों का अब तक उपचार

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महाकुम्भनगर| महाकुम्भ में श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर महाकुम्भ के कोने कोने में श्रद्धालुओं को बेहतरीन उपचार की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है। महाकुम्भ में सेंट्रल हॉस्पिटल के चिकित्सक पूरे उत्साह से मरीजों की देखभाल में लगे हैं। अभी तक 10 हजार से भी अधिक मरीजों का उपचार किया जा चुका है।

सेंट्रल की तरह सब सेंट्रल हॉस्पिटल में भी मरीजों की देखरेख शुरू

महाकुम्भ मेला के नोडल चिकित्सा स्थापना डॉक्टर गौरव दुबे ने बताया कि सीएम योगी के निर्देश पर महाकुम्भ के कोने कोने में श्रद्धालुओं को बेहतर उपचार की व्यवस्था की गई है। इसी क्रम में सेंट्रल हॉस्पिटल की ही तरह अरैल स्थित सेक्टर 24 में एक सब सेंट्रल हॉस्पिटल भी पूरी क्षमता से शुरू कर दिया गया है। यहां भी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती कर दी गई है। जिन्होंने देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं का विधिवत उपचार भी शुरू कर दिया है।

स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती

25 बेड वाला अरैल स्थित यह सब सेंट्रल हॉस्पिटल हाईटेक सुविधाओं से लैस है। यहां सेंट्रल हॉस्पिटल की ही तरह से मरीजों को उपचार की सुविधा मिलेगी। यहां पर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती भी कर दी गई है। सबसे खास बात यह है कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश हैं कि महाकुम्भ के कोने कोने में श्रद्धालुओं को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए। डॉक्टर गौरव दुबे ने बताया कि महाकुम्भ में एक एक श्रद्धालु के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा रहा है। महाकुम्भनगर में यहां सेंट्रल हॉस्पिटल में सिर्फ साल के पहले ही दिन 900 मरीजों की ओपीडी की गई।

सेंट्रल हॉस्पिटल में कुम्भ और गंगा के बाद जमुना प्रसाद ने लिया जन्म

महाकुम्भनगर के सेंट्रल हॉस्पिटल में देश से ही नहीं विदेश से भी लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए पहुंचने लगे हैं। यहां कुम्भ और गंगा के बाद जमुना प्रसाद ने भी जन्म ले लिया है। चिकित्सकों के अनुसार फतेहपुर निवासी दंपति सेंट्रल हॉस्पिटल पहुंचे थे, जिन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है। दंपति अजय कुमार और पूजा ने इसे महाकुम्भ का आशीर्वाद मानते हुए जमुना प्रसाद नाम दिया है। डॉक्टर गौरव दुबे ने बताया कि डॉक्टर जैस्मिन और सिस्टर इंचार्ज रामा ने यह सफल डिलीवरी कराई है। बच्चे का वजन 2.3 किलोग्राम है। चिकित्सकों के अनुसार बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है।

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उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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