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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज जंक्शन पर बनकर तैयार एनसीआर का पहला गेमिंग जोन

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महाकुम्भनगर। महाकुम्भ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने के क्रम में प्रयागराज रेल मण्डल भी कोई कसर बाकी नहीं रख रहा। एक ओर जहां प्रयागराज रेल मण्डल के सभी स्टेशनों का कायाकल्प किया जा चुका है, साथ ही महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए स्पेशल मेला ट्रेनें, आश्रय स्थल, टिकट घर के साथ कई अन्य सुविधाओं का विकास हो रहा है। इसी दिशा में प्रयागराज रेल मण्डल ने यात्रियों को सुखद अनुभव देने के लिए गेमिंग जोन का निर्माण किया है। उत्तर मध्य रेलवे का यह पहला गेमिंग जोन है जो महाकुम्भ से पहले प्रयागराज जंक्शन पर कार्य करना शुरू कर देगा। इसका लाभ महाकुम्भ में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और यात्रियों को मिलेगा।

उत्तर मध्य रेलवे का पहला गेमिंग जोन

महाकुम्भ 2025 के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उत्तर मध्य रेलवे, प्रयागराज मण्डल के स्टेशनों पर कई आधुनिक और उन्नत सेवाओं का निर्माण कर चुका है। इसी क्रम में प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफॉर्म 6 के निकट, सिविल लाइंस साइड शुरू किया जा रहा गेमिंग जोन, उत्तर मध्य रेलवे का पहला गेमिंग जोन है। ये गेमिंग जोन हाई-एंड गेमिंग वीआर क्रिकेट बॉक्स, मोशन थिएटर, पीसी गेम्स, आर्केड गेम्स, जंगल सफारी, एयर हॉकी और वीआर गेम्स से लैस होगा। यात्री क्लासिक से लेकर आधुनिक आर्केड गेम्स तक कई तरह के खेलों का आनंद ले सकते हैं। यह जोन यात्रियों को मनोरंजन का अनूठा अनुभव प्रदान करने के लिए बनाया गया है। यह गेमिंग जोन फन स्पेस एलएलपी द्वारा स्थापित किया गया है।

देश-विदेश से आने वाले यात्री 24 घंटे ले सकेंगे गेमिंग जोन का आनंद

प्रयागराज जंक्शन पर गेमिंग ज़ोन के बारे में बताते हुए वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबंधक हिमांशु शुक्ला ने कहा कि यह सुविधा न केवल यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाएगी, बल्कि बच्चों, वयस्कों और वृद्धों जैसे सभी आयु समूहों के लिए भी इसका अनुभव बेहतर होगा। गेमिंग ज़ोन 24/7 खुला रहेगा और यात्री निर्धारित शुल्क पर टिकट खरीदकर इसका उपयोग कर सकेंगे। यह गेमिंग जोन मॉल में बने गेमिंग जोन की तर्ज पर बनाया गया है। यह पहल यात्रियों को बेहतर, आधुनिक व उन्नत सुविधाएं देने की दिशा में प्रयागराज मण्डल के प्रयासों का हिस्सा है। प्रयागराज रेल मण्डल इससे पहले ही प्रयागराज जंक्शन पर एग्जीक्यूटिव लाउंज और स्लीपिंग पॉडस जैसी उन्नत सुविधाएं उपलब्ध करा चुका है। ये गेमिंग जोन देश-विदेश से आने वाले यात्रियों के मनोरंजन की विश्व स्तरीय सुविधा उपलब्ध कराएगा।

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उत्तर प्रदेश

यूपी ने बाजी मारी, टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल

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लखनऊ: प्रदेश की झोली में एक और उपलब्धि आई है। ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान व इलाज करने में उत्तर प्रदेश 2024 में भी अव्वल रहा है। प्रदेश को बीते साल साढ़े छह लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। उसके सापेक्ष 6.73 लाख मरीजों की पहचान की गई। ये रिकार्ड है। 2023 में भी प्रदेश ने साढ़े लाख मरीजों के लक्ष्य का आंकड़ा पार किया था। दूसरे स्थान पर महराष्ट्र व तीसरे स्थान पर बिहार का नाम दर्ज है। इसके बाद मध्यप्रदेश व राजस्थान ने नोटिफिकेशन किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को 2024 की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर तक प्रदेश में 6 लाख 73 हजार टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन सभी का इलाज शुरू हो चुका है। टीबी नोटिफिकेशन के लक्ष्य को छू पाने में प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। प्रदेश में ढाई लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद महराष्ट्र में सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे नंबर पर बिहार में दो लाख मरीज चिंहित किए जा सके। मध्य प्रदेश में 1.78 लाख व राजस्थान में 1.70 लाख मरीजों का चिन्हिकरण किया हुआ।

राज्य टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम जैसे हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान चलाए गए जिससे हम ज्यादा से ज्यादा टीबी के लक्षण वाले मरीजों को खोज पाए। इस वक्त 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है जिसके माध्यम से उच्च जोखिम वाले व प्रिजेम्टिव टीबी वाले केसों को खोजने पर पूरे विभाग का ध्यान केंद्रित है।

टीबी का उन्मूलन प्राइवेट डाक्टरों की सहभागिता के बिना नहीं हो सकता। यह एक कड़वा सच है। उत्तर प्रदेश में मथुरा, आगरा, कानपुर, गोरखपुर व झांसी ने इस मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली व गाजियाबाद में भी प्राइवेट डाक्टर सक्रियता दिखा रहे हैं लेकिन श्रावस्ती में बीते साल सिर्फ 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं।

इसके अलावा महोबा में 255, सोनभद्र में 374, चित्रकूट में 376, हमीरपुर में 380, कन्नौज में 444, सुल्तानपुर में 444, अमेठी में 447, संतरवीदास नगर में 456, चंदौली में 488 और कानपुर देहात में सिर्फ 468 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।

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